बड़े शहरों में जहां अक्सर लोग इस होड़ में बैंक के लोन तले दब जाते हैं कि हमारा घर सबसे सुन्दर दिखे फिर चाहे उसी घर में चैन की नींद आए या नहीं ! ये कहना गलत नहीं होगा कि आजकल लोग अपने सपनों का आशियाना बनाने के लिए जिंदगी भर की कमाई लगा देते हैं। अगर उसमें भी ज़रा सी कमी रह जाए तो समाज व्यक्ति के घर से उसकी हैसियत हांकने लगता है। वहीं पुणे में एक कपल ने मिट्टी का एक घर बनाया है। मजेदार बात तो ये है कि ऐसा करने वाले इस कपल के बारे में कोई भी बातें नहीं बना रहा है बल्कि इस कपल ने तो मिटटी का घर बना कर सुर्खिया ही बंटोर ली हैं। जी हाँ, उन्होंने 700 साल पुरानी तकनीक का इस्तेमाल कर ये घर बनाया है। पुणे के रहने वाले युगा अखारे और सागर शिरुडे ने खुद की मेहनत के दम पर मिट्टी का दो मंजिला घर बनाया है। मिटटी का घर भी ऐसा नहीं जो आंधी या बारिश में गिर जाए क्योंकि युगा और सागर के घर पर ना तो आंधी का कोई असर हुआ और ना ही बारिश इनके घर को गिरा पाई।
दरअसल, युगा और सागर ने एक दिन बैठकर सोचा कि वो पुणे के वाघेश्वर गांव में अपना एक आशियाना बनाएंगे। क्योंकि अब गाँव में वो वो महल तो खड़ा करते नहीं तो ज़ाहिर सी बात है कि उन्होंने उसी वक्त सोच लिया था कि इसे बनाने के लिए वो बांस और मिट्टी का ही इस्तेमाल करेंगे। इसके बाद जब उन्होंने गांव वालों को अपने इस सपने के बारे में बताया तो गांव के लोगों ने साफ मना करते हुए कहा था कि मिट्टी का घर न बनाएं। क्योंकि इस जगह काफी बारिश होती है, जिसमें मिट्टी का घर बह जाएगा। मगर इसके बाद भी दोनों ने खुद से अपने सपनों के आशियाने को आकार देना शुरू किया। इसे बनाने के लिए उन्होंने बॉटल और डॉब तकनीक का इस्तेमाल किया। ये 700 साल पुरानी तकनीक है। इससे गर्मी के मौसम में दीवारें ठंडी रहती हैं, जबकि सर्दी के मौसम में इसमें गर्माहट महसूस की जा सकती है। इस घर को बनाने में बांस, घास और लाल मिट्टी को खासतौर पर इस्तेमाल किया गया है। वहीं ईंटों और बांस को मिट्टी से चिपकाया गया है। दोनों पेशे से आर्किटेक्ट हैं और उन्होंने कई संस्थानों और इमारतों को डिजाइन किया है। इसलिए अपने मिट्टी के घर को उन्होंने खास डिजायन से बनाया। यही नहीं उन्होंने अपने घर का नाम ‘मिट्टी महल’ रखा। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि कपल ने अपने इस महल को बनाने के लिए मात्र 4 लाख रुपये ही खर्च किए हैं ।