दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता कौन सी है? हम भारतीय लोग हैं तो ये ही कहेंगे कि, भारत की सभ्यता सबसे पुरानी है। लेकिन ऐसा था नहीं। यह बात तो 2016 में साबित हुई कि भारत की हड़प्पा सभ्यता ही दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता है। जिसका इतिहास 8000 साल पुराना है। लेकिन इतिहास में आज के दौर में एक के बाद एक प्रगति हो रही है। आर्कियोलॉजिकल सर्वे से भारतीय इतिहास के बारे में बहुत कुछ अलग और नया जाना जा रहा है। हाल ही में मीडिया में महाभारत के साक्ष्य जैसे मेटाफर के साथ कुछ खबरे आई थी, जिसमें आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की एक नई रिसर्च के बारे में बताया गया था। एएसआई ने यह खुदाई दिल्ली से कुछ ही दूरी पर बागपत के ‘सनौली’ में की थी। इस खुदाई के बाद से देश की एंसियंट हिस्ट्री की कई परते खुलीं। दिल्ली से करीब 2 घंटे की दूरी पर स्थित इस जगह पर हुई खुदाई ने इतिहासकारों को दोबारा हिस्ट्री लिखने और इसके बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है।

Warrior of Sanauli के बारे में पता कैसे चला
यूपी के बागपत में सनौली पड़ता है। देश की राजधानी से यह जगह ज्यादा दूर नहीं है। 2005 में सबसे पहले सनौली का नाम मीडिया में उछला था, उस समय पुरातत्व की टीम ने इस जगह पर 13 महीनों तक यहां की कई जगहों पर पुरातत्विक सर्वेक्षण का काम किया था। दरअसल, यहां के श्री राम शर्मा नाम के एक किसान को अपने खेत में काम करने के दौरान तांबे के कुछ बर्तन मिले थें। श्रीराम को लगा कि, यह कोई पुरानी चीज़ है तो उन्होंने इसके बारे में जानकारी मीडिया को दी और फिर वहां से इस जगह के बारे में एसआई को जानकारी मिली।
यहां खुदाई के दौरान पुरातत्व की टीम ने 116 दफनाई गई बॉडीज और कई प्राचीन वस्तुओं की एक विस्तृत श्रृंखला बरामद की। इस खोज से पता चला कि, सनौली में उस समय जो लोग रहे होंगे वो लेटर हडप्पन के समकक्ष होंगे। यानि यहां की सभ्यता करीब 4000 साल पुरानी है। 2018 मई में सनौली में यह खुदाई हुई थी। आर्कियोलॉजिस्ट की मानें तो यहां जिन्हें भी दफनाया गया था वो शाही परिवार से थे। यानि यह एक रॉयल बरियल प्लेस था। इसका एक बड़ा कारण था कि, इस जगह पर खुदाई में एक या दो आदमियों के यूज किए जाने वाले रथों के भी अवशेष खुदाई में मिले थे। अभी तक जो खोजें हुई थी उस सब से गढ़ी गई थ्योंरीज को यह आर्कियोलॉजिकल सर्वे झूठा साबित कर रहा था।
हड़प्पा सभ्यता में भी इस तरह से रथ और घोड़ों के सटीक प्रमाण नहीं मिले हैं। लेकिन सनौली में जो मिला उसने इतिहासकारों की अभी तक की मान्यता को बदलने पर मजबूर कर दिया। आर्कियोलॉजिस्ट की मानें तो यह जगह असल में एक बड़ा प्री प्लान्ड बनवाया गया कब्रिस्तान था। लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये लोग कौन थे, क्या यह कोई वॉरियर क्लेन था? सनौली के अचानक लाइमलाइट में आने के पीछे दो कारण दिखाई देते हैं। पहला तो यह कि, इस जगह की खोज को कई इतिहासकारों ने आर्यन थ्योरी को गलत साबित करने का प्रमाण माना। दूसरी बात यह रही कि जो लोग आर्यन थ्योरी को मानते हैं उन्होंने इसे उन लोगों की कैटोगरी में रखा जो भारत में घोड़े लेकर आए।

Sanauli की खुदाई में क्या—क्या मिला
सनौली में हुई इस खुदाई में कई सारी चीजें मिली जिनके बारे में एक बार में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता। खुदाई के दौरान मिली इन चीजों में एक दौर के पूरे इतिहास का चैप्टर छुपा हुआ है। सनौली में हुई खुदाई में कई ऐसी चीजें मिली है जो भारत के इतिहास के बारे में फिर से सोचने पर मजबूर करती हैं। खुदाई में बहुत-सी चीजें मिलीं हैं। सनौली में एक लकड़ी का कॉफिन मिला है जिसके दोनों तरफ दो रथ हैं। इन दोनों रथो के चेचिस लकड़ियों के बने हैं जिसके ऊपर कॉपर शीट की लेयर चढ़ी है और एक फ्रेम है जो कॉपर पाइप्स का बना हुआ है जिसमें एक छतरी लगाने के लिए है। इस रॉयल कॉफिन बरियल की जांच बीट बाई बीट खुदाई के निदेशक संजय मंजुल ने की है।
उनकी मानें तो कॉफिन के चार पैर लकड़ी के हैं जिस पर कॉपर की परत लपेटी हुई है। उत्खनन में दो पूर्ण आकार के रथों के संग हेलमेट भी मिला है जो शायद दुनिया के इतिहास का सबसे पुराना हेलमेट होगा, एक तांबे की सीढ़ी, बड़े बर्तन और मणियों के रूप में मोती मिले हैं। वहीं इस उत्खनन में जो दफन ताबूत मिला है उसमें एक लंबी महिला का कंकाल है। ताबूत के चारों ओर तांबे का आवरण नहीं है और कंकाल के सिर के पास जमीन पर एक पतली एंटीना तलवार रखी है। गड्ढे में मिट्टी के बर्तन, लाल फूलदान, कटोरे और बेसिन सहित कई प्रकार के बर्तन थे। वहीं एक दूसरे ताबूत में टूटी हड्डियां हैं।
यह एक दूसरे स्तर के दफन का तरीका है। जिसमें शरीर के बाकी अंगो को तत्वो में मिला दिया जाता होगा यानि की जला दिया जाता होगा और बचीं हड्डियों को कब्र में दफन कर दिया जाता होगा। इसके अलावा एक और छोटा ताबूत है जिसमें एक पूर्ण आकार का रथ, बड़े बर्तन, लम्बी गर्दन के साथ लाल फूलदान और फटे हुए रिम्स, एक तांबे का कवच, एक लंबे डंडे के साथ एक तांबे की सीढ़ी, एक मशाल, एक एंटीना की तलवार और सैकड़ों मोतियों की माला थी। ताबूत के आधार पर तांबे से बना एक हेलमेट जमीन पर उलटा मिला है।
कौन थे Warrior of Sanauli
उत्खनन में मिली चीजों और कलाकृतियों से पता चलता है कि ये जो लोग भी थे वे एक योद्धा जनजाति के रहे होंगे जो टेक्नोलॉजी के मामले में विकसित थे और 2000 ईसा पूर्व से 1800 ईसा पूर्व के बीच में इनका दबदबा रहा होगा। ऐसा भी कहा जा रहा था कि, ये लोग लेटर हड़प्पन पीरियड से ही जुड़े हुए होंगे। लेकिन इस खुदाई के मुख्य निदेशक संजय मंजूल की माने तो यह साइट हड़प्पन साइट से बिल्कुल अलग है और जो चीजें यहां मिली हैं वो बहुत से आर्कियोलॉजिकल सिद्धांतों को भी बदल कर रख देंगी।
संजय इसे एक टर्निग प्वाइंट मानते हैं। यह साइट लेटर हड़प्पन से बिल्कुल अलग है। ऐसा पहली बार है जब किसी जगह पर रथ मिलें हैं। वहीं 2000 से लेकर 1800 का समय वो समय था जब हड़प्पन सामाज पतन की ओर बढ़ने लगा था। जो लोग सनौली में थे वो हड़प्पन से अलग और एक टेक्नोविकसित लोग थे जिनका कल्चर भी शायद अलग था। ये लोग वॉरियर थे जिनका हड़प्पन से भी नजदीकी संबंध रहा होगा। इन टेक्नोविकसित लोगों का समाज अलग था और इसमें एक डिविजन भी रहा होगा।
लेकिन वो डिविजन क्या था, कैसा था? उनके समाज और कल्चर की और क्या खासियत थी और सनौली में जो कब्रिस्तान मिला है उसका मतलब कया है और उसे बनानेवाले लोग कौन थे? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब अभी मिलने बाकी हैं।