शाकाहारी मगरमच्छ जो करता है, अनंतपुर मंदिर की रखवाली

हमारा देश दुनिया का एक मात्र ऐसा देश है. जहां अनेकों विविधताओं के अलावा, अनेकों सभ्यताऐं फलती फूलती हैं. ऐसे में अनेकों मान्यताओं का होना लाजिमी है. ऐसी मान्यताऐं जिनके बारे में ज्यादातर स्थानिय लोग जानते हैं. इन मान्यताओं के पीछे कई दावे होते हैं. जो उन्हें हकीकत बनाते हैं. ठीक इसी तरह हमारे देश के केरल के कासरगोड में मौजूद है अनंतपुर मंदिर.

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि, इस मंदिर की रखवाली मगरमच्छ करता है…वो भी ऐसा-वैसा मगरमच्छ नहीं. बल्कि एक शाकाहारी मगरमच्छ.जिसका नाम है ‘बबिआ’.

मंदिर की मान्यता है कि, यहाँ की रखवाली बबिआ मगरमच्छ करता है. ऐसे झील में मौजूद मगरमच्छ की जब कभी मृत्यु हो जाती है तो रहस्यमयी ढंग से दूसरा मगरमच्छ प्रकट हो जाता है. ऐसे में इस मंदिर की रखवाली हमेशा यही मगरमच्छ करता है.

दो एकड़ झील के बीचों-बीच बने इस मंदिर में भगवान विष्णु वास करते हैं. जिन्हें लोग भगवान अनंत-पद्मनाभस्वामी के नाम से जानते हैं. ऐसे में मान्यता है कि, बबिआ मगरमच्छ कभी किसी को न तो नुकसान पहुंचाता है, न ही मांसाहारी है. ऐसे में मंदिर परिसर के पुजारी बबिआ के मुंह में प्रसाद डालते हैं. इसी से बबिआ मगरमच्छ का पेट भरता है.

बबिआ मगरमच्छ की कहानी

बबिआ मगरमच्छ
बबिआ मगरमच्छ

यहां के लोगों का कहना है कि, यहां चाहे बारिश ज्यादा हो या कम हो. इसके बाद भी पानी का स्तर न तो घटता है और न ही बढ़ता है. झील में पानी का स्तर हमेशा एक जैसा रहता है. ऐसे में बबिआ मगरमच्छ पिछले 60 सालों से भी अधिक सालों से, यहां की रखवाली कर रहा है. जिसे भगवान विष्णु को चढ़ाया प्रसाद खिलाया जाता है.

ऐसे में प्रसाद खिलाने की जिम्मेदारी महज़ मंदिर प्रबंधन की है. स्थानिय लोगों को तो ये भी मानना है की बबिआ झील में मौजूद अन्य जीवों को भी नुकसान नहीं पहुंचाता.

ऐसा कहा जाता है कि, साल 1945 में एक अंग्रेज सिपाही ने मगरमच्छ को गोली मार दी थी. हालांकि अगले रोज वही मगर झील के ऊपर तैरता दिखाई दिया. और कुछ ही दिनों बाद उस अंग्रेज सिपाही की सांप के डसने से मौत हो गई. ऐसे में लोगों का मानना है कि, उस अंग्रेज सिपाही को सांपों के देवता अनंत ने मारा. यहाँ के लोगों का मानना है कि, अगर आप भाग्यशाली हैं तभी आपको बबिआ के दर्शन होते हैं. अगर नहीं तो फिर आपको बबिआ मगरमच्छ दिखाई नहीं देता.

मंदिर के ट्रस्टी श्री रामचंद्र भट्ट कहते हैं कि, “बबिआ मगरमच्छ इश्वर का दूत है और जब भी मंदिर परिसर में या फिर कहीं आस-पास कुछ बुरा होने को होता है तो इसकी सूचना हमें मिल जाती है.”

बबिआ मगरमच्छ के अलावा भी खास है अनंतपुर मंदिर

बबिआ मगरमच्छ
बबिआ मगरमच्छ

एक तरफ इस मंदिर परिसर की रखवाली बबिआ मगरमच्छ करता है. दूसरी ओर इस मंदिर की खास वजह है, यहां की मूर्तियां. जिसकी वजह है मूर्तियां का धातु या पत्थर में न बना होना. अनंतपुर मंदिर की मूर्तियां 70 से अधिक औषधियों से मिलकर बनी हैं. जिन्हें यहां के लोग ‘कादु शर्करा योगं’ के नाम से जानते हैं.

हालांकि 1972 में इन मूर्तियों के बदले पंचलौह धातु की मूर्तियों को मंदिर में विराजमान किया गया था. लेकिन एक बार फिर से ‘कादु शर्करा योगं’ मूर्तियों यहां के मूर्तिकार बना रहे हैं. ताकि फिर से उन्हें मंदिर में विराजित किया जा सके.

अनंतपुर का ये मंदिर, तिरुअनंतपुरम के अनंत पद्मनाभस्वामी मंदिर का मूल स्थान है. ये के लोगों का मानना है कि, भगवान यहां आकर स्थापित हुए थे.

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