हमारे भारत की अगर बात करें तो, हमारे यहाँ वैदिक काल की बातें शायद सबसे ज्यादा होती है. और यही नहीं हमारे यहाँ वैदिक चीजों की अहमियत भी काफी हद तक दी जाती है. हालांकि हाल ही के कुछ दशकों में हमने अपने पुरानी चीजों पर कम जोर देकर नया आजमाने पर यकीन किया है. लेकिन उसके बावजूद भी हमें वैदिक चीजों आज भी उनसे बेहतर नजर आती हैं.
इसके अलावा अगर देखें तो, वैदिक का मतलब अधिकतर लोग वेदों के ज़माने का मानते हैं और हकीकत भी कुछ इसी से मिलती जुलती है. आज हम बात करने जा रहे हैं वैदिक प्लास्टर कि, वैदिक काल में जिस समय आधुनिक युग की तरह सीमेंट का आविष्कार नहीं हुआ था. उस समय हमारे घरों में, आश्रमों में गोबर और चिकनी मिट्टी के लेप का प्लास्टर किया जाता था. ऐसा माना जाता था कि, ऐसा करने से घर शुद्ध रहने के साथ-साथ घर ठंडा भी रहता है. साथ ही घर बीमारियों से मुक्त भी रहता है. क्योंकि उन घरों में अलग तरह की सुगंध फैली रहती थी. लेकिन नया जमाना आया. हमने जीने के तरीके बदले, और अपने घरों को बनाने के भी.

हालांकि एक बार फिर वैदिक परिभाषाऐं लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती नजर आ रही हैं. जिनमें से वैदिक प्लास्टर एक है. आज भारत जैसे देश में जहाँ गर्मी की शुरूवात से ही पारा 40 को पार कर जाता है. वहीं पंखा, कूलर सब झूठ हो जाता है. लेकिन वैदिक प्लास्टर जहाँ आज घरों में तापमान को कम करने में अहमियत निभा रहा है. तो वहीं लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है. जिसमें अहम रोल निभाया है, हरियाणा के रहने वाले एक डॉक्टर ने.
वैदिक प्लास्टर की खासियत
गाय के गोबर, चिकनी मिट्टी, ग्वार गम, नींबू के पाउडर के साथ जिप्सम को एक साथ मिलकर प्लास्टर का मिश्रण तैयार करने का श्रेय जाता है, हरियाणा के रोहतक के रहने वाले डॉक्टर शिवदर्शन सिंह मलिक को. जिन्होंने रसायन विज्ञान में पीएचडी करने के अलावा, दिल्ली के प्रतिष्ठित आईआईटी दिल्ली में उसके अलावा विश्व बैंक जैसी संस्थाओं के साथ किया. इसी दौरान इन्होंने कच्चे और पक्के मकानों पर रिसर्च की शुरूवात कि, जिसमें उन्होंने देखा की आज के समय में बने घर. गर्मियों में जल्दी गर्म होने के साथ-साथ सर्दियों में जल्दी ठंडे हो जाते हैं. क्योंकि ये सीमेंट के बने घर, तापमान के सुचालक होते हैं. यही वजह रही कि, डॉक्टर शिवदर्शन सिंह मलिक ने वैदिक प्लास्टर का एक ऐसा लेप तैयार किया. जिससे प्लास्टर करने पर घर में तापमान स्थिर रहता है. साथ ही इस प्लास्टर में बाहर का तापमान अंदर के तापमान को उतना नहीं बदल पाता.

वैदिक प्लास्टर की दीवारें
वैदिक प्लास्टर लगी दीवारों की अगर खासियत की बात करें तो, इन दीवारें में सांस लेने की क्षमता होती है, यानि की इन दीवारों में हवा आसानी से पार कर सकती है. यही वजह है कि, वैदिक प्लास्टर वाली दीवारें धूल मिट्टी को सोखने के साथ पानी को भी आसानी से सोख लेती है. जिससे पूरे घर में सौंधी सी खूशबू छा जाती है.
आधुनिकता की होड़ में वैदिक प्लास्ट की अहमियत

आज हमारे देश में भले ही सीमेंट का इस्तेमाल घरों को बनाने में सबसे ज्यादा हो रहा है. हालांकि शिवदर्शन सिंह के प्रयासों की वजह से ही तैयार प्राकृतिक प्लास्टर आज देशभर के अनेकों घर में लगाया जा चुका है. यही नहीं, वैदिक प्लास्टर का इस्तेमाल इस समय देश के साथ साथ विदेश वाले भी कर रहे हैं.
डॉक्टर शिवदर्शन सिंह कि मानें तो, “वैदिक प्लास्टर को कोई भी इंसान आसानी से तैयार कर सकता है. लेकिन आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में ये आसान नहीं है. इसलिए हम ये प्लास्टर तैयार करते हैं. जोकि आप खरीद भी सकते हैं. इस प्लास्टर को ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है या फिर हमारे यहाँ से इसे प्राप्त किया जा सकता है.” यही नहीं शिवदर्शन सिंह इसके लिए लोगों को ट्रेनिंग भी देते हैं. जहाँ कोई भी इंसान इसे आसानी से सीख सकता है. साथ ही अपना कारोबार भी शुरू कर सकता है.
शिवदर्शन सिंह मलिक का कारोबार

आज के समय में वैदिक प्लास्टर लोगों को काफी पसंद आ रहा है. जिसमें शिवदर्शन सिंह प्लास्टर का एक कट्टा 25 किलोग्राम का तैयार करते हैं. जिसमें आधी मात्रा में पानी मिलाकर इसे दीवार पर लगाया जाता है. एक किलोग्राम वैदिक प्लास्टर को एक वर्ग फुट में लगाया जा सकता है. जबकि ये अन्य सीमेंट की तुलना में सस्ता भी है. यही वजह है कि, आज इस कारोबार को लोग पसंद कर रहे हैं…क्योंकि वैदिक प्लास्टर लोगों के घरों के तापमान को समान बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है.
आपको बता दें कि, आज के समय में शिवदर्शन सिंह वैदिक प्लास्टर के अलावा ईंटें और टाइल्स भी बनाते हैं. जोकि आम इंटों और टाइल्स की ही तरह मज़बूत हैं. हालांकि अगर आप सोच रहे हों कि, गोबर की दीवार पर आग लग गई तो, इस पर शिवदर्शन सिंह कहते हैं कि, ये सभी चीजें फायर प्रूफ हैं.
इसके साथ शिवदर्शन सिंह कहते हैं कि, आज से महज़ दस बीस साल पहले तक लोग चूने का इस्तेमाल किया करते थे. घरों की पुताई में, चूने से घर पुते होने के चलते. इसमें हवा आसानी से पास हो सकती थी. दीवारें बेहतर रहती थी, काफी हदतक तापमान ये दीवारे में भी मेंटेन कर लेती थी. हालांकि इन दिनों होने वाले प्लास्टिक पेंट घरों में न तो हवा आने देते हैं. न हीं दीवारों को ये बेहतर रख पाती हैं. जिससे लोगों को शुद्ध हवा नहीं मिल पाती. लेकिन आज फिर से लोग इस बात को समझ रहे हैं. यही वजह है कि, इन दिनों लोग वैदिक प्लास्टर और वैदिक की ओर रूख कर रहे हैं.
इसलिए आने वाले दिनों में ये कारोबार भी बेहतर दिशा में जा सकता है. लोग इससे जुड़ सकते हैं. साथ ही ये लोगों की पसंद भी बन रहा है.