14 साल का बच्चा क्या कर सकता है। क्या वो किसी कपंनी का मालिक बन सकता है। अब आप यही सोच रहें होगे की हम पागल हो गए है, या तो हमारा दिमाग घुम गया है या तो हम आपके साथ कोई मजाक कर रहे हैं। तो हम आपको बता दे की ना हम पागल हो गए है, ना हमारा दिमाग घुम गया है, और ना ही हम आपके साथ कोई मजाक कर रहे है मुबंई मे रहने वाले 14 साल के तिलक मेहता जो 9 वीं क्लास में पढ़ते है वो एक कपंनी के मलिक हैं। अब तो आपको हमारी बात सच लग रही होगी। लेकिन आपके दिमाग में यह बात सुनकर एक सवाल जरुर आया होगा, और आप सवाल यही है ना की 14 साल का बच्चा एक कपंनी का मालिक कैसे बन सकता है।
Tilak Mehta ‘Papers N Parcels’ कंपनी के मालिक हैं, हर कोई इनके बारे मे सुनकर हैरान हो जाता है

लेकिन एक बात बड़े बुजुर्गो ने सही कही है की बच्चे अक्सर अपने उम्र से बड़ा सोचते हैं तो उसे कर के भी दिखाते हैं, और वोही तिलक ने भी करके दिखाया। अब आप इसे ज्यादा कुछ ना सोचे इसके लिए हम आपको बता दे की तिलक मेहता ने मुंबई के डब्बावालों के साथ मिलकर ‘Papers N Parcels (PNP)’ की कपंनी का स्टार्टअप किया और साथ ही 100 करोड़ टर्नओवर का टारगेट भी बनाया।
Tilak Mehta का स्टार्टअप ‘Papers N Parcels’,यानी पीएनपी एक कूरियर सर्विस है, जिसका मकसद मुंबई में पेपर्स और छोटे पार्सल्स को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना है..

तिलक की शुरुआत भी और बच्चों की ज़ीद की तरह ही हुई। हर बच्चा चाहता है की उनके पिता उनको टाइम दे पर क्या होता है ना एक टाइम पर बच्चों के साथ मां रह सकती है पर पिता नही, क्योंकि वो अपने परिवार के फ्यूचर के बारे मे सोच कर दिन रात बस कम में लगे रहते है पर बच्चे यह कहां समझ पाते है. तिलक को भी बिल्कुल अच्छा नही लगता की उनके पापा रात को ऑफिस से देर मे आते थे एक दिन तिलक को एक बुक की जरुरत पढ़ी। लेकिन वो बुक घर से बहुत दूर मिलती थी जिसे वो ला नही सकते थे और मम्मी भी जा नही सकती थी। अब बुक बस तिलक के पापा ही ला कर दे सकते थे उस दिन तिलक ने अपने पापा का कई देर तक इंतजार किया।
पापा रात को देर से थक कर आए तो तिलक उन्हें कुछ बोल नहीं पाया. उस दिन तिलक को जिस किताब की जरुरत थी वो कोई नहीं लाया। तिलक इस बात से परेशान हुए लेकिन उनके दिमाग में इस परेशानी का समाधान भी आ गया. आज तिलक जैसे अन्य लोगों की परेशानी का समाधान है तिलक का स्टार्टअप किया हुआ ‘Papers N Parcels’. ‘Papers N Parcels’ यानी पीएनपी एक कूरियर सर्विस है, जिसका मकसद मुंबई में पेपर्स और छोटे पार्सल्स को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना है..
पीएनपी की खुद की एक मोबाइल एप्लीकेशन है. साथ ही इस सर्विस से 300 डब्बावाला भी जुड़ गए हैं जो हर दिन लगभग 1200 के करीब डिलीवरी करते हैं. पीएनपी तीन किलोग्राम तक के पार्सल्स ट्रांसफर करता है और पार्सल के वजन के हिसाब से 40-180 रूपये तक के चार्जेस लेता है. एक खास बात यह है कि पार्सल्स एक दिन में ही लोगों तक पहुंचाया जाता है
अब आप सोच रहें होगे की डिब्बे वाला का इनके काम में क्यो रोल है तो बता दे एक दिन तिलक ने डिब्बेवाला को देखा की वो कैसे एक दिन में साइकिल पर कितने लोगों तक खाना पहुचाते है फिर तिलक ने सोचा क्यो ना ऐसे ही डिब्बेवाला के जरिए लोगों तक समान पहुंचाया जाए सके। फिर तिलक ने उनसे बात की और वो लोगों तक पार्सल पहुचाने के लिए तैयार हो गए..
बता दें कि तिलक ने अपना यह स्टार्टअप यूं ही शुरू नहीं कर दिया था. आईडिया आने के बाद उन्होंने पिता और अपने चाचा से शेयर किया. तिलक के चाचा घनश्याम पारेख बैंकर थे। तिलक का आईडिया सुनकर उन्होने अपनी जॉब छोड़ दी और तिलक के साथ उनके आईडिया में जुड़ गए। और वो उनकी कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर यानी सीईओ बन गए। फिर जब दोनो ने मिलकर इसके बारे मे सब जान लिया और फिर टेस्ट करने के बाद इन्होंने इसके लिए एक एप को लॉन्च किया.
तिलक को इस स्टार्टअप में अपने पिता से बहुत मदद मिली। सेटअप जमाने के लिए तिलक के पिता ने उन्हे फाइनेंसियल हेल्प भी की।अब दिन पर दिन तिलक की कंपनी के क्लाइंट्स बढ़ते जा रहे है।
‘Papers N Parcels’ तिलक मेहता का सपना है और वो हर दिन इसे बड़ा बनाने के लिए अपने पापा की तरह दिन रात काम कर रहे है और अपने स्कूल की पढ़ाई भी पूरी कर रहे है। तिलक को यदि 13 साल की उम्र में ही इतना बड़ा आईडिया आ सकता है तो उनके लिए कंपनी को ऊंचाइयों तक पहुंचाना कोई बड़ी बात नहीं होगी. साथ ही तिलक कई अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा साबित हो रहें हैं.