क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी इन खेलों को तो हम सब टीवी पर जरूर देखते हैं। और हमारे देश के लोगों में तो क्रिकेट का क्रेज अलग ही लेवल पर देखने को मिलता है। जिसके चलते हम सब कुछ समय के लिए दिन में मोबाइल और टीवी से चिपकने के लिए टाइम तो जरूर ही निकाल रहे होंगे। खैर इन खेलों को छोड़िए। बात रग्बी की करते हैं। अब आप कहेंगे कि, इसमे क्या इंट्रेस्ट है भाई। तो हम कहेंगे कि, भलें ही आपको इस गेम में इंट्रेस्ट नहीं हो लेकिन जो खबर सामने आई है उसे जानने के बाद आपको भी इसमें इंट्रेस्ट आ ही जाएगा। दरअसल एक खबर आई है और इसे सुनकर हर भारतीय खुश होगा। रग्बी वुमेन ने भारत की स्वीटी कुमारी को इस साल का यंगेस्ट रग्बी प्लेयर ऑफ वर्ल्ड चुना है। साल के अंत में एक पब्लिक पोल के बाद 10 खिलाड़ियों को शॉर्टलिस्ट किया गया था जिसमें से स्वीटी नंबर वन रहीं हैं। वे एशिया “महाद्वीप के सबसे तेज खिलाड़ी” के रूप पहले ही सम्मानित हो चुकीं हैं।
तो यह तो बस लेटेस्ट खबर थी जो हमने आपको बता दी और आपने जान भी लिया। लेकिन अब यह सवाल होगा कि, आखिर ये स्वीटी कुमारी कौन है? और वो इस लेवल तक पहुंचीं कैसे? तो हमने इस बारे में भी थोड़ा रिसर्च किया और पता किया कि, आखिर स्वीटी की जर्नी यंगर रग्बी प्लेयर ऑफ द वर्ल्ड तक की कैसे और कहां से शुरू हुई?

आखिर कैसे हुई Sweety Kumari के इस खूबसूरत सफर की शुरूआत
वुमेन रग्बी की प्रतिष्ठित वेबसाइट स्क्रैमकेन्स द्वारा “वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय युवा खिलाड़ी” के रूप में चुने जाने को लेकर उत्साहित स्वीटी कहती हैं कि, इस खबर के आने के बाद से उनके पैर जमीन से थोड़े ऊपर हैं। बिहार के पटना के बाढ़ गांव की रहने वाली स्वीटी बताती हैं कि, वो पहले एक एथलीट थीं और एथलीट मीट में जाती रहती थीं। इस दौरान उनपर रग्बी एसोसिएशन के सेक्रेटरी की नज़र पड़ी और उन्होंने स्वीटी को रग्बी खेलने की सलाह दी। उन्हीं की सलाह पर स्वीटी ने अपने एथलीट को रग्बी से जोड़ दिया। जिसके बाद उनका नाम इंडियन स्कोरिंग मशीन पड़ गया। वो कहती हैं कि, मैने इसे खेलना शुरू किया और धीरे—धीरे इसमें खूब इम्प्रूव किया और अब मुझे इसमें बहुत मज़ा आता है।
महज 19 साल की उम्र में स्वीटी रग्बी के खेल में भारत की एक्सप्लोसिव स्पीड विंग के तौर पर उभरी हैं। वो बताती हैं कि, उन्हें इस खेल के दौरान सबसे अच्छा तब लगता है जब वो बॉल लेकर दौड़ रही होती हैं और डिफेंडर्स उनके रोकने की बेकार कोशिश में उनके अगल बगल गिर रहे होते हैं। उनके करियर की शुरूआत के यादगार मुकाबलों में फिलिपींस के खिलाफ XVs मुकाबला रहा। इस दौरान उनका खेल उनके करियर का सबसे शानदार खेल रहा है। वो बताती हैं कि ”फिलीपींस के खिलाफ छह और सिंगापुर के साथ चार मुकाबले ऐसे थे जिसमें मुझे कोई नहीं पकड़ नहीं सका, वे सभी आगे और पीछे से मुझे रोकने की कोशिश करते रहे लेकिन कोई भी मेरी स्पीड के आगे टिक नहीं सका।
उनके खेल को लेकर एशिया रग्बी की माने तो वो शुरू से ही बेहतर थीं, लेकिन उनके खेल का असर अब दिखना शुरू हुआ है। खास बात यह है कि वो सेवन और फिफटीन दोनों फॉर्मेट में अच्छी हैं। उसके पेस और पावर ने उसे इंडिया के ज्यादात्तर टूर्नामेंट का सबसे ज्यादा स्कोर करने वाला खिलाड़ी बना दिया है।

Sweety Kumari- International young Player of the Year
7 भाई बहनों में पांचवे नंबर की स्वीटी ने अपने भाई को देखकर
स्प्रिंटर रनिंग शुरू की थी और स्कूल की कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया था। लेकिन
बाद में उनके भाई ने स्पोर्ट की राह छोड़ दी। स्वीटी बताती हैं कि अब उनके पापा
उनके भाईयों के कान ऐंठ कर कहते हैं कि ‘स्वीटी की लाइफ सेट
है, उससे कुछ
सीखो। स्वीटी के पापा हर फन के उस्ताद हैं यानि जो काम मिलता है वो उस काम को करते
हैं जैसे कि हेल्पर, अप्रेंटिस आदि। वही उनकी मां आंगनबाड़ी सेविका
हैं। स्वीटी के लिए उनके पापा उनके सबसे अच्छे दोस्त हैं जिन्होंने उन्हें हमेशा
आगे रखा और उनकी चाहत में उनकी मदद की जिसकी बदौलत आज वो इस मुकाम पर हैं।
रग्बी के बारे में
बात करे तो कई लोग इस खेल के बारे में ज्यादा नहीं जानते। असल में यह फुटबॉल की
तरह ही होता है बस इसमें फुट नहीं बल्कि अपने हाथ में बॉल लेकर गोल पोस्ट की लकीर
की ओर भागना होता है। अमेरिका में यह खेल काफी प्रसिद्ध है। वहीं भारत में भी इसको
लेकर लोकप्रियता बढ़ रही है। बिहार सरकार ने रग्बी को क्रिकेट और बाकी के खेलों के
बराबर ही मान्यता दी है जिसका फायदा स्वीटी जैसे खिलाड़ियों को मिल रहा है।