हौसलों की उड़ान भरने के लिए पंखो की जरुरत नहीं होती। इस मिसाल को कामयाब कर दिखाया है शीला शर्मा ने, जो कि एक मिसाल बन कर उभरी है। शीला शर्मा एक अनोखी पेंटर हैं, वो अनोखी इसीलिए है क्योंकि वो हाथों की बजाय अपने पैरों से पेंटिंग करती हैं, अब इससे अनोखी और क्या बात हो सकती है।
शीला शर्मा अच्छे से जानती हैं कि ज़िंदगी और कागज़ी तस्वीरों में रंग रंगों से नहीं भरा जाता, बल्कि थोड़ा रंग आसमान और थोड़ा ज़मीन से चुराना पड़ता है। शीला के आसमानी और जमीनी रंग ने एक साथ मिल कर उन सभी की ज़िंदगियों में रंग भरने की कोशिश की है, जो खराब समय से डर कर जीने का हौसला छोड़ देते हैं।
Foot Painter Sheela- एक हादसे में शीला ने खोए अपने दोनों हाथ
दरअसल एक ट्रेन हादसे में उन्होंने अपने और अपनी मां दोनो के हाथ खो दिए। जिसकी वजह से उनकी मां का देहांत हो गया था। मगर शीला ने हिम्मत नहीं खोई और बढ़ती उम्र के साथ उनका हौसला भी बढ़ता गया। अपने इस हौसले को आकार देने के लिए उन्होंने रंगों से खेलना शुरू कर दिया।
आगे चलकर शीला ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से आर्ट्स में डिग्री हासिल की और पैरों से पेंटिंग बनानी शुरू कर दी। शीला कुछ दिन दिल्ली में भी रहीं और वहां के कलाकारों के हुनर देखकर प्रभावित हुईं, कलाकारों के हुनर ने उनके भीतर छुपे जज्बे को और बढ़ा दिया
साथ ही बता दे कि, पैरों से भी उनका पेंटिग करना आसान नहीं था। पहले तो ये सोचकर ही हैरानी होती है कि कोई पैर से कैसे पेंटिंग कैसे कर सकता है और दूसरा ये कि, भले ही ट्रेन हादसे के बाद शीला के हाथ कटे गए हो लेकिन उनका हौसला अभी भी मजबूत था, दिल्ली आने के कुछ समय बाद शीला अपने शहर लखनऊ लौट गई। यहां आकर उनकी मुलाकात सुधीर से हुई और सुधीर ने शीला से शादी कर ली। शीला शादी के बाद भी अपने रंगों से दूर नहीं हुई।
Foot Painter Sheela- खुदको लाचार नहीं मानती शीला शर्मा
शीला को परेशानियों से लड़ना बहुत अच्छे से आता है। अपनी इसी ज़िद्द के चलते शीला ने कभी किसी भी तरीके से सरकार का सहारा नहीं लिया। उनको कभी भी अपने अंदर कोई कमी नही लगती थी शीला कहती हैं कि, वो अपनी ज़रूरतों को आसानी से पूरा कर सकती थी तो वो सरकार की मदद क्यो लें। बता दे कि, शीला दो बच्चों की मां हैं, और उनके बच्चों को भी उनकी तरह पेंटिंग का शौक है।
शीला कई शहरों में अपनी कला दिखा चुकी हैं, जिनमें लखनऊ, दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर जैसे शहर भी शामिल हैं। शीला की नॉनस्टॉप मेहनत और लगन का ही नतीजा है, कि उन्हें बहुत अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। उनके जानने वाले उन्हें फुट पेंटर के नाम से भी पुकारते हैं।