हमारे देश ऐसे अनेकों ऐसे जवान हैं, जिनकी शहादत के किस्सों से हर इंसान वाकिफ है…लेकिन ऐसा कम ही हुआ है की जब एक महिला फौजी देश के लिए मिसाल बन गई हो. आज मैं आपको बताने आया हूं भारत की एक ऐसी ही महिला फौजी की दास्तां, जिसने समाज की बेड़ियों से निकलकर, कठिनाइयों से लड़कर एक ऐसा मुकाम हासिल किया है, जहां पहुंचना शायद हर भारतीय स्त्री की चाहत हो सकती है और उस भारतीय महिला का नाम है शांति तिग्गा…
Shanti Tigga ने 35 साल की उम्र में पाया मुकाम

इसके साथ शांति तिग्गा भारतीय सेना में भर्ती होने वाली पहली महिला जवान थी और सेना में शामिल होने का गौरव उन्हें 35 साल की उम्र में हासिल हुआ था. हालांकि इस दौरान उनका सफर छोटा ही रहा, लेकिन उस सफर में उनकी पहचान और उनके मेहनत इतनी थी की आज के समय में किसी भी इंसान के लिए शांति तिग्गा किसी मिसाल से कम नहीं. शुरुवाती समय में ही अपने पति को खो देने वाली शांति का जन्म पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में हुआ था, घर की स्थिति बेहतर न होने के कारण शांति न तो पढ़ पाई और न ही उनका परिवार पढ़ाई करा पाया और हमारे देश में फैले रुढ़िवादी सोच की तो बात ही अलग है, क्योंकि यहां लड़कियों के बड़े होने से पहले ही पड़ोस की नजरें बड़ी हो जाती हैं और यही वजह रही की शांति की शादी लगभग 17 साल में ही कर दी गई और 20 साल की उम्र में ही शांति दो बच्चों की मां भी बन गई.
Shanti Tigga ने पति की मौत के बाद भी ने नहीं मानी हार

पति के साथ जिंदगी आसान ढर्रे पर चल रही थी क्योंकि पति रेलवे में थे तो जो आमदनी थी उससे घर चल जाता था. लेकिन 30 की उम्र आते-आते यानि की साल 2005 में उनके पति ने दुनिया छोड़ दी और बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया. उसके बाद शांति ने अपने पति की जगह पर रेलवे में नौकरी शुरु कर दी. इस दौरान उन्हें पॉइन्ट्स मैन के तौर पर नौकरी पर रखा गया और उनकी पहली पोस्टिंग जलपाईगुड़ी जिले में ही चालसा स्टेशन पर हुई.
फिर एक बार जिंदगी आसान ढ़र्रे पर चल ही रही थी कि, उन्होंने उस समय टेरिटोरियल आर्मी का जिक्र सुना, क्योंकि शांति के कई रिश्तेदार इस आर्मी का हिस्सा थे और देखते ही देखते टेरिटोरियल आर्मी शांति के सपने का हिस्सा बन गया. हालांकि दो बच्चों की मां होना और नौकरी के साथ इस सपने को हासिल करना शायद किसी नामुमकिन जैसा ख्वाब था.
हालांकि शांति तब तक ठान चुकी थी कि उन्हें अब ओलिव ग्रीन ड्रेस और पहनकर बंदूक चलानी है. इसके लिए उन्होंने साल 2011 में टेरिटोरियल आर्मी के लिए आवेदन दिया. हालांकि इस दौरान उन्हें पता चला की वो पहली भारतीय महिला हैं, जिन्होंने इसके लिए आवेदन दिया है. इसके बाद भी उन्होंने न तो कदम पीछे हटाए और न ही अपने सपनों को थोड़ा भी डिगने दिया.
इस दौरान बिना हिचकिचाहट उन्होंने अपने कदम बढ़ाए और टेरीटोरियल आर्मी के लिए जितनी भी लिखित परीक्षाऐं थी सब उन्होंने पास कर डाली, और जब बात फिजिकल टेस्ट की आई तो उस दौरान हजारों पुरुषों की भीड़ में वो अकेली एक महिला थी, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने अपने जज्बे को कम नहीं होने दिया.
अपने प्रदर्शन से उन्होंने 1.5 किलोमीटर की दौड़ में सभी पुरुषों को पीछे छोड़ 5 सेंकड पहले ही रेस खत्म कर दी. इसके अलावा उन्होंने 50 मीटर की दौड़ महज 12 सेकंड में ही खत्म कर रिकॉर्ड बन दिया. जिसके बाद निशानेबाजी में उनके निशाने में वहां मौजूद सभी पुरुषों को मात दे दी.
Shanti Tigga को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने किया था सम्मानित किया को

यही नहीं रिक्रूटमेंट ट्रेनिंग में उन्हें सर्वोच्च ट्रेनिंग कैडेट घोषित किया गया था. जिसके बाद उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने सम्मानित किया था. इसके बाद शांति को टेरीटोरियल आर्मी की 969 रेलवे इंजिनियर रेजिमेंट में तैनाती मिल गई और आखिरकार शांति का सपना पूरा हो गया…
लेकिन मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुई और नौकरी के शुरुवाती दौर में शांति पर बदनामी का वो दाग लगा दिया गया की शांति न तो उससे कभी उभर पाई और न ही अपनी जिंदगी उसी ढर्रे पर जी पाई.
हर कठिनाई से लड़कर बहादुरी की मिसाल बनने वाली शांति पर सिफ़ारिश कर लोगों की नौकरी लगवाने का आरोप लगाया गया, यही वजह रही की हर इंसान जो उनको सलाम करता था उन्हें ओछी नजरों से देखने लगा. इस दौरान उन पर शारीरिक हमले भी शुरू हो गए और 9 मई 2013 को कुछ अनजान लोगों ने शांति को अगवा कर लिया.
उनके अपहरण की खबर जब उनकी कंपनी को मिली तो तलाशी अभियान चलाया गया, लेकिन एक रात बीत जाने के बाद उनका कुछ पता नहीं चला. अगली सुबह शांति रेल की पटरी के पास एक खंबे से बंधी दिखाई दी. इस दौरान उनकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी. उन्हें जल्द अस्पताल ले जाया गया और जब शांति को होश आया तो उन्होंने कहा की उन पर किसी प्रकार का शारीरिक प्रहार नहीं किया गया था.
यही वजह थी कि उनकी जान की हिफाज़त को लेकर उनकी कंपनी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी और उन्हें जहां भर्ती कराया गया वहां सुरक्षाबल तैनात किए गए. हालांकि उसी दिन शांति ने अस्पताल के ही बाथरूम में आत्महत्या कर ली थी. उनकी आत्महत्या की असली वजह क्या थी उसका खुलासा अब तक नहीं हो पाया. लेकिन शांति तिग्गा एक जाबाज़ महिला थीं इससे इंकार नहीं किया जा सकता.