हत्या, अपहरण, लूट-पाट ऐसी घटनाऐं आज इतनी आम हो गई हैं कि, ये खबरें किसी भी न्यूज पेपर से लेकर किसी भी हिस्से में क्यों न चल रही हो, किसी को इससे फर्क नहीं पड़ता. हाँ मगर जब भी कहीं इस तरह की घटनाऐं होती हैं तो निश्चित ही किसी घर का चिराग बुझ जाता है. किसी की इज्ज़त आबरू छिन जाती है तो कहीं किसी का पूरा संसार उजड़ जाता है. इसी तरह आज से लगभग 13 साल पहले एक घटना 14 अप्रैल 2008 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के बावनखेड़ी गांव में घटी थी.
जहां अपने प्रेम की खातिर प्रेमी-प्रेमिका ने मिलकर अपने ही घर के साल लोगों की हत्या कर दी थी. ऐसी हत्या, जिसे सुनकर प्रेम की भी रूह कांप जाए. हत्या करने वाली लड़की शबनम और उसका प्रेमी सलीम…इन दोनों ने उस दिन अपने प्रेम को एक करने के लिए एक ऐसी कड़ी बुनी की उसी में फंसकर आज मौत के करीब पहुंच गए. आज़ाद भारत में अब तक कई लोगों को फांसी दी जा चुकी है. हालांकि आज तक किसी महिला को उस फांसी के तख्त पर नहीं देखा गया. जहां अब तक न जानें कितने बुरे कर्म करने वाले इंसानों को देखा गया है.

लेकिन आने वाले कुछ दिनों में ऐसा होता शायद पहली बार देखा जाए. इसकी वजह है, शबनम की दया याचिका का खारिज होना. यूँ तो राज्यपाल और देश का राष्ट्रपति फांसी को रोक सकते हैं. हालांकि शबनम के बुरे कर्मों की करतूत का कारण है कि, उन्हें भी लगता है की शबनम माफी योग्य नहीं है. इसकी वजह है 14 अप्रैल 2008 की वो रात…जिस रात शबनम ने अपने ही घर के 7 लोगों की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी थी.
हुआ यूँ था कि, पढ़ाई में M.A किया था. यही वजह थी कि, वो अपने यहां मौजूद स्कूल में बच्चों को पढ़ाने लगी थी और वहीं पास की दुकान में काम करता था सलीम. जोकि महज़ 8वीं पास था. धीरे-धीरे बात हुई बात आगे बढ़ी और दोनों को प्यार हो गया. और जब ये बात शबनम ने अपने घर कही तो, उनके पिता ने अपने ओहदों को ध्यान में रखते हुए शादी से मना कर दिया.
शबनम और सलीम ने यूँ दिया घटना को अंजाम
प्रेम में पड़े शबनम और सलीम को ये बात जब पची नहीं तो, दोनों ने अपने परिवार वालों को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया और दिन चुना 14 अप्रैल का. रात खाने के समय शबनम ने अपने परिवार वालों के दूध में नींद की दवा मिला दी…हालांकि उस समय 11 महीने का मासूम अर्श दूध नहीं पी सका. जिस समय पूरा परिवार दवाई के चलते सो गया. उसी समय शबनम ने सलीम को अपने घर बुलाया. उसके बाद शबनम ने एक-एक कर सभी घरवालों का सिर पकड़ा और उसके प्रेमी सलीम ने सभी का गला काट दिया.

और 11 महीने के मासूम अर्श का गला दबाकर शबनम न मार दिया. जिसके बाद रात में ही दोनों गांव की ट्यबवेल गए. जहां उन्होंने खून के दाग धोए. फिर सलीम अपने घर चला गया और शबनम अपने घर चली आई. रात के करीब साढ़े बारह बज रहे थे. जिस समय शबनम ने शोर मचाना शुरू किया कि, किसी ने उसके घरवालों को मार दिया. ये वो समय था जिस समय वो मासूम अर्स जिंदा बच गया है. जब शबनम को ये मालूम चला तो उसने सलीम को फोन कर उसे फिर से बुलाना चाहा. लेकिन इस समय सलीम ने आने से मना कर दिया. जिसके चलते शबनम ने फिर उसका गला दबाकर मार ड़ाला.
शबनम पर कैसे हुआ पुलिस को शक..?
शुरूवाती तहकीकात में पुलिस को शबनम पीड़ित लग रही थी. शबनम ने अपने परिवार वालों को जिम्मेदार भी अपने चचेरे भाईयों पर लगाया और पुलिस से कहा कि, ये सभी मेरे परिवारवालों को मारना चाहते थे. जिसकी वज़ह थी उनके घर से लेकर जायदात का बंटवारा. हालांकि बेसिक पूछताछ पर उस समय तहकीकात कर रहे आर. पी. गुप्ता ने शबनम से कुछ सवाल पूछे और धीरे-धीरे उन्हें शक होना शुरू हुआ.
आर.पी. गुप्ता ने पूछा कि आरोपी घर में कैसे घुसे..?
शबनम ने कहा कि, पीछे वाली दीवार के ऊपर से..
हालांकि दीवार पर किसी भी तरह के किसी के चढ़ने के निशान नहीं मिले.
उसके बाद उन्होंने पूछा कि, आरोपी कहां से भागे..?
जबाव में शबनम से कहा कि, दरवाज़े से.
हालांकि दरवाज़े से भागने के बाद दरवाज़ा खुला रहता. लेकिन दरवाज़ा उस समय अंदर से बंद था.
आर.पी. गुप्ता ने फिर पूछा की घटना के समय तुम कहां थी..?
शबनम ने जवाब दिया की मैं छत पर थी. मुझे गर्मी लग रही थी.
हालांकि शबनम के घर में इनवर्टर लगा था.

उस समय तहकीकात के दौरान किसी ने पुलिस वालों को शबनम के आशिक सलीम के बारे में जानकारी दी. और पुलिस ने सलीम को गजरौला से फिर गिरफ्तार किया. फिर शुरूवाती पूछताछ में ही सलीम ने सबकुछ पुलिस को बता दिया की कैसे उसने और शबनम ने मिलकर हत्या को अंजाम दिया. बाद में पुलिस ने तालाब से कुल्हाड़ी, सलीम के घर से उनके कपड़े सब कुछ हासिल किए. इस मामले में साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का मौत का फैसला बरकरार रखते हुए फैसला सुनाया था की इन्हें मौत की सज़ा दी जाए. और हाल ही में दया याचिका खारिज़ होने के बाद अब इन दोनों को कभी भी फांसी दी जा सकती है.
पवन जल्लाद दे सकते हैं फांसी
हाल ही में निर्भया के दोषियों को फांसी देने वाले पवन जल्लाद शायद आने वाले दिनों में शबनम और सलीम को फांसी दे सकते हैं. यही वजह है कि, “उन्होंने मथुरा जेल पहुंचकर तैयारियों का जायज़ा लिया और कहा कि, उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर. उसे फांसी मिलनी चाहिए. मैं खुद सबकुछ ध्यान रखने की कोशिश करूंगा. रस्सी का जांच करूंगा.”
भारत जैसे देश में पहली बार किसी महिला को फांसी देना कितना ही सोचने जैसा है. इतना की आज भी हमारे परिवार प्रेम को न तो अपनाते हैं न ही इस विषय पर सोचते हैं. वहीं दूसरी तरफ प्रेम की खातिर इस तरह की घटनाऐं समाज की हकीकत आज भी दिखाती है.