जब भी महिलाओं की कहीं चलती तो है तो हर शख्स की जुबान पर सबसे पहले यही बात आती है कि आज हमारे देश की महिलाएं क्या नहीं कर रही हैं? और ये सच भी है क्योंकि महिलाओं का डॉक्टर इंजीनियर होना तो अब आम बात है बल्कि अब तो महिलाएं वो काम भी कर रहीं हैं जो काम सिर्फ पुरुष ही किया करते थे। आज भी कुछ काम ऐसे हैं जो सिर्फ पुरुष ही करते हैं जिनमें महिलाएं ज़रा कम ही हाथ आजमाती हैं। मगर अब महिलाएं इस क्षेत्र में महिलाओं का दबदबा कायम है। ऐसे में एक महिला सीमा ठाकुर एक ऐसे ही क्षेत्र में काम कर रही हैं जिसमें सिर्फ पहले पुरुषों का दबदबा था। दरअसल सीमा हिमाचल राज्य परिवहन निगम बस चलाती है। इंटर-स्टेट रूट पर बस चलाने वाली पहली महिला हैं। आमतौर पर महिलाएं गाड़ी ही चलाती हैं मगर सीमा एक बड़ी बस चलाती हैं वो भी साधारण रोड पर नहीं बल्कि पहाड़ों पर जहां एक बार को पुरुष भी गाड़ी चलाने में काफ़ी सावधानी रखते हैं। इससे पहले तक सीमा ठाकुर शिमला सोलन के बीच चलने वाली इलेक्ट्रिकल बस चलाती रही हैं। सीमा ने अपने शौक को जुनून में बदल दिया और आज इसी कारण उन्हें लोग जानते हैं।
सीमा ठाकुर ने शिमला अंग्रेजी में मास्टर की डिग्री हासिल की है। पिता के साथ बस में सफर के दौरान ही सीमा ने सोचा कि क्यों ना वो भी बस चलाएं। हालांकि अंग्रेजी में मास्टर करने के बाद वो किसी स्कूल में टीचर भी बन सकती थी। मगर सीमा ने तो अपने मन की बात सुनी। पिता से ही उन्होंने बस चलाना सीखा और हैवी व्हीकल लाइसेंस बनवाया। इसके बाद, एचआरटीसी में चालकों की भर्ती निकली, तो उन्होंने भी आवेदन कर दिया। इस पद के लिए 121 लोगों ने आवेदन किया था जिसमें केबल सीमा ही अकेली महिला थीं। ड्राइविंग टेस्ट पास करने के बाद, साल 2016 में उन्हें एचआरटीसी में नियुक्ति मिल गई थी। शिमला में उन्हें निगम की टैक्सी चलाने की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके बाद, उन्होंने शिमला-सोलन के बीच चलने वाली 42 सीटर इलेक्ट्रिक बस भी चलाई। हालांकि सीमा का सफ़र इतना भी आसान नहीं रहा। क्योंकि
लोगों को लगता था महिलाएं अच्छी ड्राइवर नहीं होतीं। लोग उनकी बस में बैठने से पहले हिचकिचाए भी और उनसे सवाल भी किया कि वो बस ठीक से चला लेंगी ना ! मगर सीमा ने इन बातों को नजरअंदाज करके आगे बढ़ने का फैसला लिया और आज वो एक सफल बस ड्राइवर हैं। सीमा को उनकी उपलब्धियों के लिए कई सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। उन्हें हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी सम्मानित किया था और पूर्व राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय भी उन्हें प्रशंसा पत्र भेजकर उनकी सराहना कर चुके हैं। सीमा मानती हैं कि महिलाएं अकेले सब कुछ करने में सक्षम हैं और वो कभी भी हार मानकर रास्ते से पीछे होने वालों में से नहीं रही हैं। इसलिए महिलाओं को निडर होकर आगे बढ़ते रहना चाहिए।