कहते हैं, बिना मकसद कोई भी इंसान दुनिया में ऐसे हैं, जैसे कोई निर्जीव वस्तु. इसलिए हर किसी का अपना एक अलग मकसद, अलग मुकाम होता है. जिसको वो इंसान पाने के लिए अपना पूरा जोर लगा देता है. क्या पुरूष, क्या महिला हर कोई. लेकिन जब कभी हम गौर से देखते हैं तो, समाज में जहां पुरुष वर्ग अपनी जिंदगी और अपने मुकाम के पीछे आखिरी दम तक भागता रहता है, वहीं शादी के बाद अधिकतर महिलाओं की जिंदगी का मकसद बदल जाता है. क्योंकि उन पर उनके परिवार की जिम्मेदारी, उनके परिवार की देखभाल और बच्चों की परवरिश का जिम्मा आ जाता है. अगर सर्वे की बात करें तो, जहां भारत में 50 प्रतिशत महिलाऐं शादी के बाद अपनी नौकरी छोड़ देती हैं तो वहीं 73 प्रतिशत भारतीय महिलाऐं अपनी नौकरी अपने बच्चों की परवरिश के लिए छोड़ देती हैं. क्योंकि उन्हें बाकी के घरेलू काम करने होते हैं.
लेकिन जीवन में एक ऐसा भी मोड़ आता है, जब महिलाओं के सिर सारी जिम्मेदारियां आ जाती हैं. कुछ ऐसा ही हुआ था, आन्ध प्रदेश की नरायणपुर की रहने वाले विजय लक्ष्मी के साथ भी. एक वक्त था, जब 55 साल की हो चुकी विजय लक्ष्मी बाकी साधारण सी घरेलू महिलाओं की ही तरह थी. जो घर में खाना बनाने से लेकर, घर की देखभाल करती थी. लेकिन वक्त ने कुछ ऐसी करवट मारी की सारी जिम्मेदारियां विजय लक्ष्मी के सिर आ गई. यानि की जिंदगी में एक मोड़ आया जब विजय लक्ष्मी के पति उन्हें दुनिया में यूं अकेला छोड़कर चले गए।
मुश्किलों से कभी डरी नहीं Rappeler Amma
कहते हैं ना, जब कभी भी दुनिया में कोई किसी को अकेला छोड़कर जाता है तो असल मुश्किलात वहीं से शुरू होते हैं. कुछ इसमें टूट जाते हैं तो कुछ इसमें संवर जाते हैं. यही वजह रही कि, पति के जाने के बाद विजय लक्ष्मी ने एक एड्वेंचर क्लब ज्वाइन कर लिया, एक ऐसा एड्वेंचर क्लब जहां लोगों को रैपलिंग करना सिखाया जाता था. उम्र के उस पड़ाव में जहां सभी लोग अपने रिटायरमेंट पर फोकस करने लगते हैं, विजय लक्ष्मी ने अपने आपको एक रैपलर बनाने के ख्यालात अपने अंदर पाल लिए और हकीकत में एक रैपलर बनने के लिए उन्होंने रिस्क को गले लगा लिया.
विजय लक्ष्मी खुद कहती हैं कि, “एक वक्त था, जब मेरे पति मुझको अकेला छोड़कर चले गए. उस समय मेरे पास कोई मकसद ही नहीं बचा था. लेकिन फिर मैंने एडवेन्चर क्लब ज्वाइन किया. जिसने मुझको फिर से जीने का मकसद दिया”.

रिटायरमेंट की उम्र में विजयलक्ष्मी ने ज्वाइन किया एडवेन्चर क्लब
एडवेंचर क्लब के फाउंडर के रंगा राव की मानें तो, “विजय लक्ष्मी ने जिस उम्र में क्लब को ज्वाइन किया है, जिस उम्र में अधिकतर लोग रिटायर होने की कल्पना करते हैं. जहां लोग ऊंची पहाडियों से गिरते झरने को देखकर ड़र जाते हैं. वहीं विजय लक्ष्मी के अंदर इसका बिल्कुल भी खौंफ़ नहीं है और वो जो एक बार ठान लेती हैं, वो बिल्कुल करके छोड़ती हैं.”
और खुद विजय लक्ष्मी भी के. रंगा राव की बातों को हकीकत में पहचान देती हैं.. क्योंकि जिस पहाड़ी से लोग देखने बर से ही डर जाते हैं. विजय लक्ष्मी उन्हीं पहाड़ियों के गिरते झरने से रैपलिंग करती हैं. यही वजह है कि, आज के समय में विजय लक्ष्मी जी के नाम एक ऐसा खिताब भी है जो उन्हें पूरी दुनिया की महिलाओं से सबसे अलग बनाता है. क्योंकि जहां पहाड़ों की बर्फ से निकलते झरने आम लोगों के दिमाग सुन्न कर देती हैं. वहीं साल 2016 में विजय लक्ष्मी 420 फीट की ऊंचाई से झरने के बीच रैपलिंग करने वाली दुनिया की पहली महिला हैं. यानि की दी ग्रेट पिरामिड ऑफ गीज़ा की ऊंचाई के बराबर.. विजय लक्ष्मी जी रैपलिंग कर नीचे उतरी हैं. जिसके चलते उनका नाम लिम्बा बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है.
इन सबके अलावा एक रिकॉर्ड और भी विजय लक्ष्मी के नाम है, जिस पहाड़ की चोटी से विजय लक्ष्मी ने रैपलिंग के जरिए उतरकर विश्व रिकॉर्ड बनाया…उसी जगह से उन्होंने ब्लाइन्ड रैपलिंग कर अपने खिताब में एक और खिताब जोड़ दिया. जोकि अभेद है।