योगी, संत, बाबा, ऋषि आदि जैसे शब्द सुनने या पढ़ने हमारे मन में एक धार्मिक और तपस्वी टाइप इंसान की छवि उभर कर सामने आती है। लेकिन उनकी छवि के संग हीं कई सारी और विशिष्ठ बातें जुड़ी होती है। ऐसे हीं एक बाबा गुजरात में रहा करते थे बाबा प्रहलाद जानी, उनके चाहने वाले चुनरी वाले बाबा के नाम से भी जानते हैं। बाबा का देहांत हो गया है, और इसकी खबर हर नेशनल न्यूज टीवी चैनल पर भी दिखाई गई। साथ में न्यूज चैनलों ने उस बारे विशिष्ठ बात की भी जानकारी दी जिसके कारण बाबा जानी लोगों के बीच हमेशा चर्चा का केंद्र बने रहे थे।
ऋषि, मुनि, योगी या किसी सिद्ध पुरुष के बारे में भारत में एक बात हमेशा चर्चा में रहती है की वो कई दिनों तक भूखे प्यासे जीवित रह सकते हैं। यहाँ तक की आपने और हमने रामायण और महाभारत जैसे कव्यों में ऐसे कई सिद्ध लोगों के बारे में पढ़ा है, जो एक बार तपस्या करने बैठते थे तो हजार साल तक उसी में लीन रहते थे। बाबा जानी के साथ भी ऐसा ही चौंकाने वाला एक दावा जुड़ा हुआ है। उनका दावा था कि उन्होंने 11 साल की उम्र से ही खाना और पीना त्याग दिया था। यहां तक कि मल मूत्र तक का त्याग नहीं करते थे। उनके इस हैरान करने वाले दावे पर जब रिसर्च हुआ तो परिणाम भी चौकानें वाले रहे।
कौन थे बाबा प्रहलाद जानी ?

माथे पर बिंदी, मांग में सिंदूर, नाक में नथ और बदन पर लाल रंग की साड़ी ये बाबा प्रहलाद का वो रूप था, जो पूरी दुनिया में दिखता था। अपने इस रूप को लेकर उनका दवा था कि बचपन में हीं उन्हें तीनों महादेवियों यानी कि पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के दर्शन हो गए थे। बाबा का दावा था कि इन्हीं महाशक्तियों के वरदान से उन्हें कभी भूख नहीं लगती थी और वे इतने सालों से बिना अन्न जल के जीवित थे।
बाबा प्रहलाद मूल रूप से यूपी के अयोध्या के रहने वाले थे। उनका जन्म यहीं पर 13 अगस्त 1929 को हुआ था। 10 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया था, और इसके एक साल तक वे माता अंबे की भक्ति में डूबे रहे। जिसके बाद वे महिलाओं कि तरह श्रृंगार करने लगे।
कई सालों से बिना खाना पानी के जीवित रहने के आलावा बाबा जानी अपने भक्तों में, इसके अलावा भी कई बातों को लेकर फेमस रहे। उनका दावा था कि वे कई तरह की बीमारियां जिसमे एड्स जैसी बीमारियां भी शामिल थी उन बीमारियों को बस एक फल के जरिए ठीक कर देते थे। वे निः संतान को संतान दिलाने तक का दावा करते थे और उनके भक्त भी इस दावे की पुष्टि करते थे।
बाबा ज्ञानी के ये दावे कितने सही थे, इसके बारे में तो नहीं कहा जा सकता। हालांकि अपने दावों के कारण वो हमेशा डॉक्टरों के रिसर्च टीम का हिस्सा रहे। अपनी जिंदगी के कई, साल वे डॉक्टरों के शोध का हिस्सा बने रहे। जिस दौरान 24 घंटे उन पर निगरानी रखी जाती।
जब विज्ञान भी चौंक गया !

चुनरी वाले बाबा के बारे में कहा जाता था कि वे कभी अन्न जल ग्रहण नहीं करते थे और टॉयलेट तक नहीं जाते थे। लेकिन विज्ञान ऐसी बातों को नहीं मानता है। विज्ञान की मानें तो एक इंसान बिना खाए पिए ज्यादा दिनों तक जिंदा रह नहीं सकता, ये इंसान के जीवित रहने के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन बाबा के दावे विज्ञान को धता बता रहे थे। ऐसे में कैन डॉक्टर्स की टीम ने बाबा प्रहलाद पर शोध करने की ठानी और साल 2003 में ऊंपर एक रिसर्च किया गया।
बाबा जानी पर होने वाले इस शोध को डॉक्टर सुधीर शाह लीड कर रहे थे। उन्होंने एक डॉक्यूमेंट्री चैनल के अपने इंटरव्यू में बताया था कि, “किसी दूसरे डॉक्टर ने मुझे इस बारे में बताया था कि एक बाबा है जो 60 सालों से बिना अन्न जल के जिंदा हैं।”
डॉक्टर शाही बताते हैं कि मुझे इसपर विश्वास नहीं हुआ और मैंने उस डॉक्टर से पूछा की क्या उनके पास कोई प्रूफ है..? इस पर दूसरे डॉक्टर ने कहा कि उनके पास प्रूफ नहीं है, लेकिन मैं जिन लोगों से इस बारे में जान पाया हूं उनसे बात करके मैं आपके लिए एक कैसे स्टडी करने का मौका उपलब्ध करा सकता हूं। डॉक्टर की इस बात पर शाही ने हामी भर दी।
इस शोध के लिए जब बाबा से पूछा गया तो वे सिर्फ एक शर्त पर राजी हुई की उनके शरीर में किसी तरह का कोई यंत्र नहीं लगाया जाएगा। वैसे योगी लोग हमेशा इन चीज़ों से बचते थे, अपने गांधी जी के बारे में तो पढ़ा हीं होगा। ऐसे में डॉक्टर शाही ने उनसे कहा कि हम आपको कुछ दिनों तक हॉस्पिटल में रखेंगे, जहां आपको ऑब्जर्व किया जाएगा, अगर आपके दावे सही हुए तो मैं दुनिया तक आपकी कीर्ति फैलाऊंगा और अगर गलत तो आपकी सच्चाई दुनिया को बताऊंगा।
डॉ. शाही ने ये शोध इंडियन मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस और मेडिकल एसोसिएशन ऑफ अहमदाबाद के सुपरविजन में कंडक्ट किया। डॉ सुधीर के अलावा, डॉ वी एन शाह, डॉ उर्मान ध्रुव और डॉ संजय मेहता जैसे लोग भी इस शोध का हिस्सा थे। इन सब ने शोध शुरू होने से पहले ही ये मान लिया था कि ये बाबा झूठ बोल रहा है और 24 घंटे के अंदर ही उसका सच सामने आ जाएगा।
यह सोध एक आब्जर्वेशन था जिसके लिए सीसीटीवी, कैमरा और कैमरा मैन, डॉक्टर्स ऑन ड्यूटी, स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स, सिक्योरिटी, मॉनिटरिंग पैनल आदि कई लोगों को ड्यूटी पर लगाया गया था। इस दौरान हर बार सिक्योरिटी गार्ड, मेडिकल स्टाफ और कैमरामैन तक को बदला जाता, वहीं दो दो कैसेट्स का इस्तेमाल होता ताकि एक सेकंड का गैप ऐसा ना हो जिसमें बाबा की एक्टिविटी कैमरे में कैद ना हो। यानि 24*7 बाबा फुली तौर पर स्ट्रिक्ट निगरानी में थे।
ये पूरा आब्जर्वेशन 10 दिनों तक चला, जिसके परिणाम चौकानें वाले थे। इस शोध में सामने आया कि बाबा प्रहलाद ज्ञानी ने दस दिन में न अन्न का एक दाना और ना पानी की एक बूंद अपने कंठ से नीचे उतारी। वहीं सूप में एक हैरान करने वाली बात ये आईं की बाबा के गाल ब्लैडर में यूरिन तो बनता था लेकिन वो बाद में गौल बलैडर के द्वारा ही उसे शोख लिया जाता। यानि कि बाबा ने इन दस दिनों में किसी भी तरह का मल मूत्र त्याग भी नहीं किया। जो साइंस के हिसाब से पॉसिबल हीं नहीं था। वहीं शोध में बाबा के हर टेस्ट नॉर्मल आए। मतलब नतीजे हैरान करने वाले थे, ऐसे थे जिन्हे देख आंखों पर विश्वास न हो।
बाबा जानी पर हुआ ये शोध दुनिया भर के डॉक्टरों ने पढ़ा और वे भी उन पर शोध करना चाहते थे। लेकिन बाबा ने देश से बाहर जाने से मना कर दिया।
Breatharianism के बारे में जानते हैं

Breatharianism एक विश्वास है, जिसके अनुसार लोग ऐसा मानते हैं कि बिना पानी और खाने के लोग सनलाइट और हवा पर जिंदा रह सकते हैं। दुनिया भर में कई ऐसे लोग हैं जो अपने आप को ब्रीथनरी कहते हैं, लेकिन इनमें से बहुत कम लोग हीं खुद को साबित कर पाएं हैं। भारतीय परंपरा और आयुर्वेद की माने तो ऐसा कर पाना पॉसिबल है। लेकिन विज्ञान इसके बारे में कुछ और हीं कहता है।
प्रहलाद जानी के आलावा नेपाल के रहने वाले एक लड़के पर भी एक शोध डिस्कवरी ने किया था। चैनल ने दावा किया था कि राम बहादुर बांबोज ने फिलमिंग के 96 घंटे के दौरान ना कुछ खाया ना कुछ पिया और न हीं एक जगह से उठा। राम बहादुर को कई लोग भगवान बुद्ध का अवतार मानते थे। हालांकि मौजूदा वक्त में उसपर रेप जैसे संगीन अपराध के आरोप हैं।
वहीं इजरायल के भी एक व्यक्ति ने भी दुनिया को 8 दिनों तक बिना खाना पानी के रहकर दिखाया था। इनके आलावा कैन और लोगों ने भी ऐसे दावे किए लेकिन ये दावे सही नहीं साबित नहीं हो सके।
भारतीय योग परंपरा क्या कहती है
भारतीय आयुर्वेद और योग परंपरा बिना अन्न पानी के सालों तो जीवित रहने के दावे को सच मानती है। ईशा योग फाउंडेशन के संस्थापक सदगुरु जग्गी वासुदेव की मानें तो योग की क्रिया में एक उच्च आयाम पर पहुंचा हुआ व्यक्ति ऐसा कर सकता है। उनके अनुसार हमारा शरीर उतना ही एनर्जी बनाता है, जितनी उसको जरूरत होती है, यानि अगर हम ज्यादा जोर देकर कोई काम करते हैं तो ज्यादा शक्ति लगती है।
पर योग साधना में एक योगी बस चुपचाप बैठा होता है। ऐसा में उसके अंदर की एनर्जी कम यूज होती है और बची रहती है। वहीं योग हमे शारीरिक बंधन से परे करता है, ऐसे में हमारे आस पास की एनर्जी को हम अन्न या जल के बजाए रॉ रूप में हीं कंज्यूम कर सकते हैं। योग एक विज्ञान है, जो हमारे शरीर को अपने अनुसार मैनेज करने की विद्या है, ऐसे में कई बड़ी यौगिक साधना में पारंगत लोग इस काम को कर सकते हैं।
हालांकि साइंस आभी भी इस बात को नहीं मानता, लेकिन साइंस इस बात को जरूर मानता है कि हमारे आस पास बहुत एनर्जी है। लेकिन इसे रॉ रूप में कंज्यूम किया जा सकता है या नहीं इसको लेकर विज्ञान के पास कुछ कहने को नहीं है। लेकिन बाबा प्रहलाद जानी उर्फ माताजी ने अपनी जिंदगी में साइंस को धता तो बता हीं दिया, अब इसे कोई चमत्कार कहे या योग का परिणाम। लेकिन कई वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि अगर बाबा जानी के डीएनए का ट्रांसप्लांट होता तो कई बड़े चमत्कार विज्ञान के क्षेत्र में हो सकते थे।