आजकल जब भी महिलाओं के लिए कोई आवाज़ उठाता है या महिलाओं के शोषण के बारे में बात करता है तो कुछ बुद्धिजीवी ये कह देते हैं कि महिलाओं का दमन अब नहीं होता। ये पहले की बातें थीं जब महिलाओं का शोषण हुआ करता था। मगर सच तो ये है कि चाहे जितने एनजीओ चाहे जितने संगठन महिलाओं के लिए बन जाएं। महिलाएं चाहे कितनी भी आवाज़ क्यों ना उठा ले, चाहे कितनी महिलाएं अपने पैरों पर कड़ी क्यों ना हो जाए मगर आज भी महिलाओं का शोषण होता है और आज भी महिलाओं को दबाया जाता है। आज भी महिलाओं के बलात्कार होते हैं तो आज भी महिलाएं दहेज़ के लिए जलाई जाती हैं। जिनको जलाया नहीं जाता उन्हें इतना प्रताड़ित किया जाता है कि वो खुद ज़िंदगी से तंग आकर आत्महत्या कर लेती हैं। महिलाएं अपना सबकुछ छोड़ कर आपने ससुराल आती है इस उम्मीद में कि उनके जीवन का एक नया अध्याय शुरू होगा लेकिन ना जाने कितने घरों में महिलाओं की जिंदगी शुरू होने से पहले ही ख़त्म कर दी जाती है। ऐसी ही एक महिला है निहारी मंडली जिन्हे दहेज़ के लिए इतना मारा पीटा गया कि हारकर उन्होंने मौत को गले लगाने की ठानी और खुद को आग के हवाले कर दिया। मगर शायद मौत को भी अभी निराली की ज़िंदगी ख़त्म करना मंजूर नहीं था तभी तो आग की लपटों में घिरकर भी निराली बच गई और इस हादसे के बाद निराली को ये समझ आया कि ज़िंदगी कितनी खूबसूरत है और दूसरों के लिए इसे ख़त्म करना उतना ही बड़ा गुनाह भी है। निहारी मंडली ने पहले तो ज़िंदगी से हारकर मौत को गले लगा लिया मगर ज़िंदा बचने के बाद किस तरह उन्होंने ज़िंदगी को ज़िंदादिली से जीना शुरू किया।

Nihari Mandali : पति की प्रताड़ना से तंग आकर खुद को किया आग के हवाले
ये बात आज से 9 साल पहले की है जब बदकिस्मती से निहारी की शादी एक ऐसे आदमी से हो गई जो निहारी को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता था जिसकी वजह से निहारी काफी परेशान रहने लगी। पहले तो निहारी अपने पति का टॉर्चर सहती रहीं। मगर जब निहारी पति की मार सह नहीं पाईं तो वो अपने मायके चली गईं मगर उनके घरवालों ने समाज की दुहाई देकर निहारी को वापस घर जाने को कह दिया। जिसके बाद निहारी के पति ने उन्हें और भी ज्यादा टार्चर करना शुरू कर दिया। जिसके बाद अपने पति से तंग आकर निहारी ने अपने ऊपर मिट्टी का तेल डालकर खुद को आग के हवाले कर दिया। कुछ ही पलों में उनका पूरा शरीर जलने लगा। जिस वक्त उन्होंने आग लगाई उस वक्त वो गर्भवती थीं। पति की पिटाई से तंग आई निहारी ने अपने पेट में पल रहे बच्चे के बारे में भी नहीं सोचा। आग की लपटों में घिरी निहारी का आग में इतनी बुरी तरह जल जाने की वजह से बच पाना मुश्किल था। मगर वो पूरी तरह आग में झुलसती उससे पहले ही आस पास के लोगो ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवा दिया। किसी तरह डॉक्टर्स ने निहारी को बचा लिया। अस्पताल में उनका इलाज तो हुआ लेकिन उन्हें कई सारी सर्जरी से गुजरना पड़ा। 9 अलग-अलग बड़ी सर्जरी और महीनों तक अस्पताल के बेड पर बिताने के बाद निहारी ने अपनी जिंदगी को वापस सामान्य करने की कोशिश की। अब निहारी को समझ में आ गया था कि उनकी जिंदगी ऐसे ही चलने वाली है। लेकिन निहारी ने सोच लिया था कि वो अपनी बाकी जिंदगी दूसरों के लिए कुर्बान कर देंगी। जिसके बाद अपनी जिंदगी की कहानी से दूसरों की जिंदगी रोशन करने का फैसला किया।
Nihari Mandali : आज अपनी जैसी महिलाओं के लिए चलाती हैं एनजीओ
जिसके बाद निहारी ने 28 साल की उम्र में एक एनजीओ खोला। क्योंकि निहारी अपने ही जैसी कई स्त्रियों की मदद करना चाहती थीं। इस मकसद से उन्होंने एक ट्रस्ट की शुरुआत की जिसका नाम ‘बर्न सर्वाइवर सेवियर ट्रस्ट’ है। निहारी पहले आंध्रप्रदेश के पुल्लिगुड़ा गांव में रहती थी मगर अब वो हैदराबाद में रहती हैं। इस हादसे के कुछ ही साल बाद उन्होंने अपने पति से तलाक लिया और कॉरेस्पोंडेंस से पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई भी की। साथ में निहारी अपने एनजीओ के लिए भी काम करती रहीं।
निहारी के एनजीओ बर्न सर्वाइवर मिशन सेवियर ट्रस्ट” का मकसद ऐसी ही दूसरी औरतों को वापस एक नई जिंदगी जीने की उम्मीद देना है। इतना ही नहीं निहारी उन महिलाओं का फ्री में इलाज करवाती हैं और उन्हें जीने का मकसद देती हैं जो इस तरह के हादसे में जल गई हैं। निहारी का मकसद है कि वो उन सारी महिलाओ को सक्षम बना सके जो खुद को इस हादसे के बाद बोझ समझती हैं। निहारी कहती हैं कि ज़िन्दगी की ये मुश्किलें कभी उनके हौसलों को नहीं तोड़ सकीं। उनका मानना है की जंग जीतने का मतलब दुश्मन को बर्बाद करना नहीं बल्कि जंग जीतने का सही मतलब दुश्मन को जीतना होता है। निहारी को उनके काम के लिए कई अवार्ड भी मिल चुके हैं।