कहते हैं हुनर किसी का मोहताज नहीं होता. उसके लिए बस आपको अपने दिमाग का बखूबी इस्तेमाल करना आना चाहिए. यही कर दिखाया है राजस्थान के चितौरगढ़ जिले के एक छोटे से गांव जयसिंहपुरा के रहने वाले 20 साल के नारायण धाकड़ ने.
कहते हैं उम्र किसी हुनर या तजुर्बे की मोहताज नहीं होती और ये पक्तियां बिल्कुल सटीक बैठती है जयसिंहपुरा के नारायण धाकड़ पर, जिनकी उम्र तो अभी महज 20 साल है लेकिन उन्होंने अपने हुनर से वो कर दिखाया है जिसके आगे तजुर्बा भी शायद फीका नजर आता है और नारायण सिंह के उस हुनर का नाम है Jugad Technology यानि की जुगाडु खेती.
जी हां, नारायण सिंह आज अपनी छोटी सी उम्र में अगर लोगों के बीच पहचाना जाता है तो उसकी वजह है जुगाड़ टेक्नोलॉजी यानि की जुगाडु खेती.
पढ़ने लिखने का खूब शौक रखने वाला नारायण सिंह आज अपने हुनर और काबीलियत के दम पर खेती में वो अध्याय जोड़ रहे हैं जो शायद ही इस उम्र में कोई जोड़ पाया हो.
चलिए हम आपको बताते हैं कि नारायण सिंह आखिर ऐसा क्या करते हैं जिसके लिए आज नारायण सिंह लोगों के लिए इसी उम्र में किसी मिसाल की तरह बनते जा रहे हैं.
Jugad Technology – अब तक 4 लाख किसानों को खुदसे जोड़ चुके है नारायण
उम्र के इस पड़ाव में नारायण सिंह कई तरह के जुगाड़ टेक्नोलॉजी से अब तक कई तरह के सस्ते आविष्कार कर चुके हैं, जिससे किसानों को खेती करने में सहुलियत होती है. इसके साथ ही नारायण सिंह अपनी छोटी सी उम्र में अब तक लगभग 4 लाख किसानों को अपने से जोड़ चुके हैं.
नारायण सिंह करते हैं कि, वो सिर्फ खुद अच्छा किसान नहीं बनना चाहते, बल्कि वह दूसरे किसानों को भी आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं. यही कारण है कि उन्होंने साल 2017 में एक यूट्यूब चैनल ‘आदर्श किसान सेंटर’ शुरू किया था. जिसमें लगभग 4 लाख किसान अब तक उनसे जुड़ चुके हैं.
आपको बता दें कि नारायण के पिता नहीं हैं. जन्म से पहले ही पिता का दिल का दौरा पड़ने के कारण देहांत हो गया. मां सीता देवी ने ही नारायण सिंह और उनकी दो जुड़वां बहनों की परवरिश की. पति के निधन के बाद जब परिवार की पूरी जिम्मेदारी सीता देवी के कंधों पर आई, तो उन्होंने खुद को खेती से जोड़ लिया. दोनों बच्चियां छोटी उम्र से ही मां के साथ खेतों में काम करती थीं और इसी के चलते बचपन से ही नारायण सिंह भी अपने खेतों की मिट्टी से जुड़ गया.
नारायण सिंह कहते हैं कि, ‘मैंने 12-13 साल की उम्र से ही मां के साथ खेतों में काम करना शुरू कर दिया था. पिताजी की 7.5 एकड़ जमीन थी, जिसकी उपज हमारे छोटे से परिवार के लिए काफी थी. लेकिन खर्च बढ़ता जा रहा था.’
इन सबके साथ नारायण सिंह कहते हैं कि, वो खेती के साथ-साथ पढ़ाई पार्ट टाइम रखना चाहते हैं. बचपन से मां को खेती करते देखता आ रहा हूं, खेती में मंहगाई के इस दौर में काफी परेशानियां आती हैं. जिसके चलते मैंने जुगाड़ टेक्नोलॉजी वाली खेती करने पर जोर दिया.
Jugad Technology – अपने जुगाड़ से खेती को आसान बना रहे नारायण
नारायण सिंह के पहले जुगाड़ के पीछे नील गाय की परेशानी थी. वह बताते हैं, ‘नील गाय को खेत से दूर रखने के लिए मां को रातभर पहरा देना पड़ता था. कीट और पक्षियों को भी दूर रखने के लिए कीटनाशक खरीदने पड़ते थे. खेती पर खर्च बढ़ रहा था और मुनाफा कम होता जा रहा था. इसलिए मैंने सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए, जिससे तीनों मुसीबतों को एक साथ टाला जा सके. यहीं से जन्म हुआ में पहले जुगाड़ का आविष्कार, नारायण कहते हैं कि, ‘सभी ये बात जानते हैं कि नील गाय रोशनी देखकर भागती हैं. मैंने एक खाली तेल के पीपे को चारों ओर से काट कर बीच में दीया जला दिया. ऊंचाई पर लगे पीपे को देखकर नील गाय अपना रास्ता बदल लेती थी और पीपे में मैंने पानी भर दिया ताकि जो भी कीट रात में आए वो रोशनी की ओर आकर्षित होकर पानी में गिर जाए. इससे सुबह के वक्त जब चिड़िया खेत में आती तो फसलों की बजाए वो कीट खाती. यहीं से मेरी जुगाड़ टेक्नोलॉजी का जन्म हुआ.
इस दौरान पहले जुगाड़ के सफल होने के बाद नारायण खेती के दूसरे कारगर उपाय भी ढूंढ़ने शुरू किये. उन्होंने इंटरनेट के जरिए पढ़ना शुरू किया. जैविक खाद बनाना सीखा, किसानों के लिए नए-नए जुगाडू आविष्कार शुरू किये और कई ज्ञानवर्धक बातों के बारे में उन्होंने यूट्यूब का सहारा लिया. यहीं से ख्याल आया क्यों न मैं भी एक यूट्यूब चैनल बनाऊं जिस पर मैं भी अपने खेती के जुगाड़ और खेती के फायदे किसानों से साझा करूं.
जिसके बाद नारायण सिंह ने अपना खेती का चैनल बनाया और आज उसी के सहारे वो स्थानीय कृषि विभाग से लगातार संपर्क में भी रहते हैं, ताकि जैसे ही कोई नई स्कीम या नियम आए तो उसके बारे में भी विस्तार से किसानों को जानकारी दें सके साथ ही उनसे जानकारी प्राप्त कर सकें. आज बात अगर खेती की हो तो नारायण सिंह के जुगाड़ कई किसान इस्तेमाल कर रहे हैं. जिसके चलते नारायण सिंह के परिवार की आर्थिक तंगी भी दूर होने के साथ साथ नारायण सिंह खुद लोगों के लिए मिसाल बन रहे हैं.
यही एक वजह है जिसे सुनकर जानकर पता चलता है की हुनर कभी किसी का मोहताज नहीं बनता, हुनर के सहारे हर इंसान अपनी कहानी अपनी तरह से लिख सकता है.