वैसे तो भारत में स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत मोदी सरकार आने के बाद हुई थी। लेकिन भारत के एक गांव को सबसे स्वच्छ गांव का खिताब साल 2003 में ही मिल चुका था। जी हां, हम बात कर रहे है, एशिया के सबसे स्वच्छ गांव यानि मेघालय के मावल्यान्नॉंग गांव की।
मेघालय का मावल्यान्नॉंग गांव सिर्फ भारत का ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया का सबसे साफ-सुथरा गांव हैं। इस गांव को भगवान का बगीचा भी कहा जाता है। लेकिन इससे भी ज्यादा खास बात तो ये है कि, मावल्यान्नॉंग गांव सिर्फ सफाई में ही नहीं बल्कि शिक्षा के मामले में भी सबसे आगे है।
Mawlynnong village- सुपारी की खेती से अपनी आजीविका चलाते है इस गांव के लोग
इस गांव की साक्षरता दर 100 फीसदी है। जहां एक ओर देश के कई अच्छे स्कूलों के बच्चे आज भी अच्छी अंग्रेजी बोल पाने से वंचित रह जाते है। वहीं इस गांव के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी लोग आम बोल-चाल के लिए भी अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करते नजर आते है।
आपको बता दें कि, एशिया का सबसे स्वच्छ गांव, शिलॉंन्ग और भारत-बांग्लादेश बॉर्डर से 90 किलोमीटर दूर खासी हिल्स डिस्ट्रिक्ट में बसा हुआ है। इस गांव में करीब 95 परिवार अपना जीवनयापन कर रहे हैं। इस गांव की आजीविका का मुख्य साधन सुपारी की खेती है। गंदगी से बचने के लिए इस गांव के लोग घर से निकलने वाले कूड़े-कचरे को बांस से बने डस्टबिन में जमा करते हैं, और बाद में उसे एक जगह इकठ्ठा करके खेती में खाद के तौर पर इस्तेमाल कर लेते है।
मावल्यान्नॉंग गांव को साल 2003 में एशिया का सबसे साफ गांव घोषित किया गया था। खास बात तो ये है कि, इस गांव में सफाई कर्मचारियों की जगह पूरे गांव की सफाई खुद गांववासी ही करते हैं। सफाई से जुड़े किसी भी तरह के काम के लिए गांववासी प्रशासन पर निर्भर नहीं रहते हैं।
Mawlynnong village- जगह-जगह लगे है बांस के बने डस्टबिन
इसी के साथ मेघालय के इस गांव में पेड़ों की जड़ो से बने प्राकृतिक पुल भी है, जो समय के साथ-साथ और भी मजबूत होते जात रहे हैं। इस तरह के ब्रिज पूरे विश्व में केवल मेघालय में ही मिलते है।
आपको जानकर हैरानी से ज्यादा खुशी होगी कि, इस पूरे गांव में जगह-जगह बांस के बने डस्टबिन लगे है। मावल्यान्नॉंग गांव के किसी भी व्यक्ति को जहां कहीं भी गंदगी नजर आती है, वो तुरंत सफाई पर लग जाते हैं। इन गांववासियों में सफाई के प्रति जागरूकता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि, यदि सड़क पर चलते हुए किसी ग्रामवासी को कोई कचरा नज़र आता है, तो वो रूककर पहले उसे उठाकर डस्टबिन में डालेगा फिर आगे जाएगा, और इन गांववासियों की यही आदत इस गांव को पूरे देश से अलग बनाती है।
जहां हम हर बात के लिए प्रशासन पर निर्भर रहते है, और खुद कुछ करने की बजाय हमेशा प्रशासन को ही कोसते रहते है। वहीं मावल्यान्नॉंग गांव के लोग पूरे देश के नागरिकों के लिए मिसाल बन गए हैं।