लेकिन हमारा देश जितना बड़ा है उतना ही बड़ा है यहां के लोगों का दिल, हमारे देश में ना तो नेक दिलों की कमी है और ना ही नेक काम करने वालों की, ऐसा ही एक नेक काम दिल्ली के रहने वाले 68 साल के अलगरत्नम नटराजन भी कर रहे हैं। नटराजन को दिल्ली के लोग Matka Man के नाम से भी जानते हैं। दरअसल, Matka Man इसलिए क्योंकि, नटराजन का नेक काम यही है, वो हर रोज साउथ दिल्ली में ना जाने कितने ही गरीब और जरूरतमंद लोगों की प्यास बुझाते हैं।
बहुत बार ऐसा होता है जब राह चलते हमारी नजर किसी गरीब या लाचार इंसान पर पड़ती हैं, तो हम लोगों में उनके लिए एक दया की भावना आ जाती हैं, या फिर हम खुदकों बहुत खुशनसीब महसूस करने लगते हैं, लेकिन कभी भी हम में से किसी ने भी उन जैसे लोगों के लिए कुछ करने के बारे में नहीं सोचा होगा। हम बस दया की भावना या कुछ चंद रूपये देकर अपनी-अपनी जिंदगियों में मशरूफ हो जाते हैं। हालांकि, इसमें कुछ अलग नहीं है, क्योंकि, हम और कर भी क्या सकते हैं, और बस यही सोचकर हम कुछ करने के बारे में सोचते तक नहीं हैं।
नटराजन दिल्ली में बहुत-सी समाज सेवी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। अपने सामाजिक कार्यों के दौरान जब उन्होंने दिल्ली में लोगों को दो वक़्त के खाने और साफ पानी पीने के लिए भी मोहताज पाया तो उन्हें बहुत दुःख हुआ। उन्होंने इन सबसे प्रेरित होकर अपने घर के बाहर एक वाटर कूलर लगा दिया ताकि उस रास्ते से गुजरने वाले राहगीर अपनी प्यास बुझा सकें।
Matka Man ने पूरे साउथ दिल्ली में लगवाए हैं पानी के मटके

हालांकि, इस काम को नटराजन ने अपने घर के बाहर से शुरू किया था लेकिन धीरे-धीरे ये आज पूरे साउथ दिल्ली में फैल चुका हैं। उन्होंने यहां के अलग-अलग इलाकों में लगभग 80 मटके लगवाए हैं और हर सुबह जाकर इन सारे मटकों को स्वच्छ और साफ पानी से भरते हैं।
नटराजन के जगह-जगह मटकों में पानी भरने का सिलसिला तब शुरू हुआ, जब एक बार नटराजन के वाटर कूलर से पानी भर रहे एक गार्ड से नटराजन ने पूछा कि, वो पानी लेने के लिए इतनी दूर यहां क्यों आया है, जहां काम करता है वहां से पानी क्यों नहीं लेता। तो उस गार्ड ने बताया कि वहां उसको पीने के लिए पानी नहीं दिया जाता है।
और बस गार्ड का ये जवाब सुनकर नटराजन को बहुत हैरानी हुई और यहीं से उनको ग़रीब और जरुरतमंदों की प्यास बुझाने की प्रेरणा मिली। वाटर कूलर लगवाने में बहुत खर्चा आता है, इसलिए उन्होंने जगह-जगह मिट्टी के मटके रखवाए। हालांकि, नटराजन के इस काम में उन्हें उनके परिवार का पूरा साथ मिला।
जब नटराजन ने यह काम शुरू किया था, तब लोगों को लगता था कि सरकार ने उन्हें इस काम के लिए नियुक्त किया है पर नटराजन को ना तो सरकार से और ना ही किसी संस्था से इस काम के लिए मदद मिलती है। वो अपनी जेब से ही पूरा खर्च उठाते हैं और अब उन्हें उनके जैसे ही कुछ अच्छे लोगों से दान के तौर पर मदद मिल रही है।
Matka Man मटकों में पानी भरने के लिए एक दिन में लगाते हैं चार चक्कर

आपको बता दें कि, नटराजन, मूल रूप से बंगलुरु से हैं लेकिन युवावस्था में ही लंदन चले गए थे और बतौर व्यवसायी उन्होंने 40 साल वहां बिताए। लेकिन नटराजन को वहां आंत का कैंसर हो गया था और इलाज करवाने के बाद उन्होंने भारत लौटने का फ़ैसला लिया। यहां आकर वो एक अनाथालय व कैंसर के मरीज़ों के आश्रम में स्वयंसेवा करने लगे और चांदनी चौक में बेघरों को लंगर भी खिलाने लगे।
नटराजन ने एक वैन में 800 लीटर का टैंकर, पंप और जेनरेटर लगवाया है, जिससे वो रोज़ मटकों में पानी भरते हैं। नटराजन बताते है कि, गर्मी के दिनों में मटके में हमेशा पानी भरा रखने के लिए मैं दिन में चार चक्कर लगाता हूं। गर्मी के महीनों में मटकों में पानी भरने के लिए रोज 2,000 लीटर पानी की जरूरत होती है। इतना ही नहीं, मटकों के अलावा उन्होंने जगह-जगह 100 साइकिल पंप भी लगवाए हैं। यहां गरीब लोग 24 घंटे हवा भरवा सकते हैं।
नटराजन की ये कहानी हमें ये सोचने पर मजबूर जरूर कर देती हैं कि, हम करने को बहुत कुछ कर सकते हैं बस दिल में हर काम करने की सच्ची नियत होनी चाहिए।