एक मस्जिद ऐसी भी जहां सिर्फ महिलाएं अदा करती हैं नमाज़

मंदिर और गुरुद्वारा दोनों ही धर्मस्थलों पर पुरुष और महिलाएं दोनों ही जा सकते हैं। मगर मुस्लिम समुदाय में महिलाओं के मस्ज़िद में जाने पर पाबन्दी है। इसके पीछे मुस्लिम समुदाय के अलग-अलग वर्गों में प्रचलित अलग-अलग विश्वासों से जुड़ी कई वजहें हो सकती हैं। लेकिन अमरोहा की एक मस्जिद महिलाओं को एक नई राह दिखाती है। अमरोहा जैसे एक छोटे से शहर में जनानी मस्जिद देशभर में एक अलग ही तस्वीर पेश करती है। अमरोहा के शफातपोता मोहल्ले में जनाना मस्जिद में रोजाना शिया समुदाय की महिलाएं आकर नमाज अदा करतीं है। साथ ही मस्जिद में नमाज अदा करने के सवाब की हकदार बनती हैं। ये देश की अपनी तरह की इकलौती मस्जिद है जहां महिलाएं नमाज पढ़ सकती हैं। इस मस्जिद में महिलाएं इत्मिनान से नमाज़ अदा कर सकती हैं। इससे दो फायदे हैं एक तो ये कि इससे पुरानी रिवायत जिंदा हैं तो दूसरी ओर महिलाओं को समाज में समान अधिकार भी मिल रहा है।

ये नज़ारा किसी को भी हैरत में डाल देता है। क्योंकि देश में इसके अलावा और कोई दूसरी ऐसी मस्जिद है ही नहीं जहां महिलाएं जा सकें। इसलिए देखने वालों के लिए ये नज़ारा वाकई में एक दम अलग है। ऐसा क्यों है ये भी हम आपको बता देते हैं। दरअसल ये मस्जिद 132 साल पहले 1885 में बनी थी। मस्जिद की तामीर गुलाम मेंहदी ने करावाई थी। गुलाम मेंहदी अंग्रेजी हुकूमत में फौज में हवलदार थे। उनकी तीन बेटियां साबरा खातून, कनिज फातमा और शायदा फातमा थी। वो अपनी बेटियों से बहुत प्यार करते थे और चाहते थे कि उनकी बेटियां भी मस्जिद में नमाज़ अदा करने जाएं। मगर उस वक़्त ये मुमकिन नहीं था। इसलिए उन्होंने अपनी इन बेटियों के लिए मस्जिद बनवाई थी। ताकि उनकी बेटियां बिना किसी रोक टोक के मस्जिद में नमाज़ अदा कर सकें। बस ये मान लीजिए कि तब से अभी तक ये रिवायत निभाई जा रही है।

आज ये शहर उन सारी महिलाओं की सबसे पसंदीदा जगह है, जो मस्जिद में नमाज़ अदा करना चाहती हैं। यही नहीं ये जनानी मस्जिद उन सभी महिलाओं के लिए दूसरे घर की तरह है जो यहां आती हैं। यहां आकर इन महिलाओं की सारी चिंताएं दूर हो जाती है। इस बहाने महिलाओं को आपस में मेल जोल भी होता रहता है। इस्लाम के हदीस में भी महिलाओं का मस्जिद में नमाज पढ़ने का जिक्र किया गया है, ये एक रिवायत मानी जाती है। मगर अफ़सोस देश की बाकि मस्जिदों में ऐसा नहीं होता है। देखा जाए तो ये जनानी मस्जिद ही ऐसी एकलौती मस्जिद है जहां महिलाएं इस रिवायत को आगे बढ़ा रही हैं।

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