Malana Village एक ऐसा गांव जहां नहीं चलता भारत का कानून

दुनिया में ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनमें हमारा देश सबसे आगे है, और उन्हीं में से एक है लोकतंत्र। ये बात तो सभी जानते हैं कि, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। लेकिन अगर हम कहें कि, इसी लोकतांत्रिक देश में एक गांव ऐसा भी हैं जो ना तो देश के लोकतंत्र को मानता है, और ना ही यहां के कानूनों को!

हां हो सकता है कि, आपको हमारी बात पर यकीन ना हो, लेकिन ये बात 100 टका बिल्कुल सच हैं। भारतीय संविधान और कानूनों से अलग चलने वाले इस गांव का नाम हैं मलाणा, जो कि हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में बसा हुआ हैं।

चारो तरफ बर्फीले पहाड़ों और गहरी खाईयों से घिरा मलाणा गांव (Malana Village) अपने आप में ही एक रहस्य हैं। रहस्य इसलिए, क्योंकि, यहां के लोगों की परंपराएं, रहन-सहन और यहां के कानून सिर्फ अलग ही नहीं बल्कि अजीब भी हैं। इस गांव में आने वाले हर एक शख्स को यहां के नियमों का पालन करना पड़ता हैं, और जो इंसान इनके बनाए नियमों का उल्लंघन करता है, उसे मलाणा गांव के नियमों के अनुसार सजा भी दी जाती हैं। साथ ही, बाहर से आने वाले किसी भी शख्स को गांव के किसी भी सामान को छूने की अनुमति तक नहीं हैं, और सामान तो बहुत दूर की बात हैं बाहरी लोग यहां की कई जगहों को भी नहीं छू सकते हैं। अगर वो बिना किसी इजाजत के गांव की इन खास जगहों को हाथ लगाते हैं, तो उन पर 1000 से 2500 रूपये तक का जुर्माना भी लगाया जाता हैं।

और तो और अगर बाहर से आए किसी भी टूरिस्ट को गांव की किसी भी दुकान से कुछ खरीदना होता है तो वो पैसे दुकान के बाहर रख देता है और दुकानदार उसे सामान भी उसी तरह दुकान के बाहर जमीन पर रखकर देते हैं,  और अगर आप इस गांव में घूमने जाने के बारे में सोचते हैं तो हम आपको इस बात से रू-ब-रू करा दें कि, यहां टूरिस्ट्स के लिए रुकने की भी कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते यहां घुमने आने वाले लोग अपने ही टैंट लगाकर गांव के बाहर रात गुजारते है। यहां के नियम इतने ठोस हैं कि, कोई गांववासी इन नियमों को ना तोड़े इसका ध्यान भी बखूबी रखा जाता हैं। पर्यटकों के लिए इस गांव में रुकने की भी कोई सुविधा नहीं है। पर्यटक गांव के बाहर अपना टेंट लगाकर रात गुजारते हैं।

इस गांव के लोगों का मानना हैं कि, अगर उन्होंने यहां के किसी भी नियम को तोड़ने की कोशिश की तो उनके देवता नाराज हो जाएंगे, और देवता को नाराज करने का मतलब हैं तबाही को बुलावा देना। दरअसल, साल 2006 और 2008 में यहां लगी आग की वजह से पूरा गांव तबाह हो गया था। जिसके बाद से तो यहां के कानूनों को और भी ज्यादा सख्त कर दिया गया।

इसी के साथ, इस गांव के अपने खुद के दो अलग सदन हैं। एक छोटा सदन और एक बड़ा सदन, बात बड़े सदन की करें तो इसमें कुल 11 सदस्य होते हैं। जिनमें से 8 सदस्य गांव वाले होते हैं जबकि, बाकी के 3 कारदार, गुर और पुजारी होते हैं। इस सदन की सबसे खास बात यह हैं कि, गांव के हर घर में से एक सदस्य इस सदन से जरूर जुड़ा होता हैं। तो वहीं दूसरी तरफ अगर सदन के किसी भी सदस्य की मौत हो जाए तो पूरे सदन का गठन फिर से किया जाता है। खैर सिर्फ सदन ही नहीं बल्कि मलाणा गांव ने तो अपनी पूरी सरकार ही अलग बनाई हुई है। इस गांव के खुदके अलग थानेदार भी हैं, तो वहीं देश की सरकार खुद भी इसमें दखलअंदाजी नहीं करती हैं।

Malana Village

Malana Village के इंसाफ का तरीका आपको हैरान कर सकता है।

अब बारी आती हैं सदन में होने वाली सुनवाईयों की, मलाणा गांव की सदन में हर तरह के मामलों को निपटाया जाता हैं, लेकिन इनका तरीका हमारे देश में कानूनी रूप से होने वाली सुनवाईयों से बिल्कुल परे हैं। दरअसल, मलाणा गांव में फैसले देवनीति से लिए जाते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि ये देवनीति क्या हैं?

दरअसल, संसद भवन के तौर पर इस गांव में एक चौपाल लगाई जाती हैं। जहां ऊपरी सदन के 11 सदस्य ऊपर बैठते हैं और निचली सदन के सदस्य नीचे बैठते हैं। वैसे तो सभी तरह के मामलों को सदन में सुलझा ही लिया जाता हैं लेकिन अगर कभी कोई ऐसा मामला फंस जाएं, जिसका हल निकाल पाना मुश्किल हो रहा हैं। तो ऐसे मामले को सदन के सबसे आखिरी पड़ाव में भेज दिया जाता है। जी हां आखिरी पड़ाव, जो सुनने में बहुत ही चौंकाने वाला लगता हैं। दरअसल, सदन के इस अंतिम पड़ाव में मामले को जमलू देवता के पास भेजा जाता हैं। जमलू ऋषि को मलाणा गांव के लोग अपना देवता मानते हैं, और जमलू देवता के फैसले को ही आखिरी और सच्चा फैसला माना जाता है।

अब आप अगर ये सोच रहे हैं कि, इसमें चौंकने जैसा क्या हैं। तो हम आपको बता दें कि, इस फैसले को लेने का तरीका बहुत ही अजीबो-गरीब हैं। जिन दो पक्षों के बीच सुनवाई चल रही होती हैं उनसे दो बकरे मंगवाए जाते है। दोनों ही बकरों की टांग में चीरा लगाकर बराबर मात्रा में जहर भर दिया जाता है, फिर जहर भरने के बाद बकरों के मरने का इंतजार होता है, और जिस पक्ष का बकरा पहले मरता है, उस पक्ष को बिना किसी सवाल जवाब के दोषी करार दिया जाता हैं। क्योंकि, इन गांववासियों का मानना हैं कि, ये फैसला खुद उनके देवता जमलू ऋषि लेते हैं।

Malana Village के लोग खुदको मानते हैं सिकंदर का वशंज

Malana Village

तो वहीं हमारे पूरे देश में ये इकलौता ऐसे गांव हैं, जहां मुगल शासक अकबर की पूजा की जाती हैं। साल में एक बार मलाणा गांव में फागली त्योहार मनाया जाता हैं जिसमें खासतौर से अकबर को पूजा जाता है। दरअसल, यहां के लोगों का मानना हैं कि, अकबर ने जमलू ऋषि की परिक्षा लेनी चाही थी, जिसके बाद जमलू ऋषि ने दिल्ली में बर्फबारी करा दी थी। इसी के साथ, मलाणा गांव की एक खासियत और हैं कि, ये गांववासी खुदको सिकंदर के वंशज बताते हैं। तो वहीं इन लोगों की भाषा में कुछ ग्रीक शब्दों का इस्तेमाल किया जाता हैं। हालांकि, मलाणा गांववासियो के पास इस बात का कोई पक्का सबूत तो नहीं हैं, लेकिन इन गांववासियों की मानें तो जब सिकंदर भारत पर आक्रमण करने आया था, तो उसी दौरान उसके कुछ सैनिकों ने उसकी सेना छोड़ दी थी, और बस उन्ही सैनिकों ने मलाणा गांव को बसाया था। इतना ही नहीं, इस गांव में रहने वाले लोगों के हाव-भाव और नैन-नक्श भी भारतीयों जैसे बिल्कुल नहीं हैं बात उनकी बोली की हो या फिर उनकी बनावट की, हर तरह से ये लोग हमसे काफी अलग हैं।

हालांकि, साल 2012 में यहां पहली बार चुनाव हुए थे। जिसके बाद से इस गांव में काफी बदलावों को देखा गया है। तो वहीं अपनी अजीबो-गरीब मान्यताओं वाले इस गांव की चरस दुनिया भर में मशहूर है। जिसे मलाणा क्रीम कहा जाता हैं। यहां जो चरस पैदा की जाती हैं उसमें सबसे अच्छी क्वालिटी वाला तेल पाया जाता हैं। जहां एक तरफ हमारे देश की सरकार देश में नशे पर रोक लगाने के लिए जी तोड़ कोशिशें कर रही हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इस गांव में होने वाली चरस की खेती पर प्रशासन का भी कोई जोर नहीं है।

लेकिन इन सब बातों से अलग हटकर देखें तो ये गांव खुद-ब-खुद में ही एक रहस्य सा हैं। आज के वक्त में भी ऐसे नियमों का पालन करना और कुछ ऐसी परंपराओं को मानना जिनके सच और झूठ का किसी को नहीं पता। ये अजीब और अटपटा कम बल्कि हैरान ज्यादा करता हैं।  

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