हम जब भी धरती बचाने की बात पर जोर देते हैं तो, हम Global warning, Air Pollution, Noise Pollution के बारे में सोचना शुरू कर देते हैं. ऐसे में कई सारे प्रयास भी किए जाते हैं. हालांकि जिस तरह विकास की ओर अग्रसर दुनिया हर रोज एक ओर नए आयाम बना रही है. वहीं दूसरी ओर उससे कई अधिक अपने लिए चुनौतियां खड़ी कर रही है.
हर इंसान जानता है कि, जरूरत ही आविष्कार की जननी है. हालांकि उस आविष्कार के बाद होने वाले दुष्परिणामों की ज्यादातर लोग चिंता नहीं करते. यही वजह है कि, आज ज्यादातर लोग Light Pollution के बारे में जानते तक नहीं.
हमारे घरों से लेकर ऑफिस, दुकान, सड़क, हर किनारे जलते बल्ब की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. हमें अंधेरे से डर लगता है. हमने अंधेरे से जुड़ी कई कहानियां बचपन में ही सुनी होंगी. तभी तो हमें हमेशा भूतिया कमरे या फिर गुप्प अंधेरे के ख्याल से भी डर लगता है.
जिस समय दुनिया में थामस एडिसन ने पहली बार बल्ब का आविष्कार किया था. उस समय न तो उन्होंने कल्पना की होगी की आने वाले समय में पूरी दुनिया दिन की ही तरह चमकेगी. और न ही इंसान ने, हालांकि उसकी जरूरत हर रोज़ बढ़ती चली गई और आज पूरी दुनिया में की लगभग 80 प्रतिशत से अधिक आबादी को रात का अंधेरा नसीब तक नहीं होता.
यहाँ तक की सिंगापुर में रात के वक्त भी इतनी लाईटें होती हैं कि, अंधेरा किसी ओर दिखाई तक नहीं देता. ठीक इसी तरह कतर, कुवैत में भी यही हाल है.
Light Pollution, उजाला और नाकामी

मनुष्य जाति ने दुनिया में अपने आप को सबसे ऊपर रखने की खातिर कई प्रयास किए. लेकिन वो सभी प्रयास हमेशा से उस पर ही भारी पड़ने लगे. साल 2016 में World Atlas of Night Sky Brightness ने सैटेलाइट से ली हज़ारों तस्वीरें जारी की थी. जिसमें उन्होंने दिखाया था कि, अंधेरे के वक्त भी पूरी दुनिया किस तरह चमकती है. जिसमें नार्थ अमेरिका, यूरोप, मिडिल ईस्ट और एशिया चमक रहा था. वहीं साइवेरिया, सहारा और अमेजन सबसे अन्धकार वाली जगह थी. ऐसे में जगमागाती दुनिया देखना सबकी ख्वाहिश है. मगर उनके दुष्परिणामों के बारे में जानना उससे कई ज्यादा जरूरी है.
वजह है कि, इस दुनिया को भले ही इंसान अपने तरीके से चलाने की ख्वाहिश रखता है. हालांकि दुनिया में उसके अलावा और भी अनेकों, करोड़ों जीव हैं जिन्हें इनके चलते परेशानियां झेलनी पड़ती है, मसलन अनेकों जीव-जन्तु आज या तो विलुप्त हो चुके हैं. या फिर उसी कगार पर हैं.
आज लगभग 99 प्रतिशत अमेरिका और यूरोप वासी हमेशा ही उजाले में जीते हैं. यही वजह है कि, उन्हें अंधेरे का मतलब तक मालूम नहीं रह गया है.
Light Pollution के दुष्परिणाम

Light Pollution के बारे में भले ही हम सभी उतने सजग होकर बात नहीं करते, लेकिन इसके दुष्परिणाम कई ज्यादा है. हमने अपनी खोज में एक बेशकीमती खोज की घड़ी कि, घड़ी जो हमें वक्त बताती है. रात से लेकर दिन के बारे में. ऐसे में चौबीस घंटे की ये घड़ी ही हमारा मार्गदर्शन करती है. रात के समय में जब अंधेरा आता है तो, हमारे शरीर से मेलाटोनिन हार्मोन का स्त्राव होता है. रात के समय में ही इस हार्मोन के चलते हमें थकान, सिरदर्द, तनाव, चिंता और अन्य अनेकों स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से छुटकारा मिलता है.
हालांकि उजाल के समय मेलाटोनिन हार्मोन के स्त्राव में कमी आती है. जिससे तनाव, चिंता, सिरदर्द, थकान इंसान को महसूस होता है. एक अध्ययन की मानें तो, मेलाटोनिन हार्मोन के स्तर और कैंसर के बीच एक संबंध दिखाते हैं.
अमेरिका की मेडिकल एसोसिएशन (एएमए) ने अपने अध्ययन में बताया कि, कृत्रिम प्रकाश मानव शरीर के लिए काफी हानिकारक है. अध्ययन में बताया गया की ब्लू लाइट इस प्रक्रिया में काफी अधिक घातक होती है. क्योंकि इस लाइट के दौरान मेलाटोनिन हार्मोन का स्तर कम रहता है. जबकि आज यूज होने वाले हमारे सेल फोन, कंप्यूटर और अनेकों इस तरह के गैजेट प्रकाश उत्सर्जक डायोड (एल ई डी) के बने हैं. जिनमें नीले रंग की रोशनी निकलती है.
Light Pollution से भ्रमित होते जीव

हर इंसान जानता है कि, पशु-पक्षी, जानवर ये सभी एक स्थान से दूसरे स्थान प्रवास करते हैं. संमुद्र में रहने वाले कछुए, पशु-पक्षी और तमात कीड़े मकौड़े हमेशा चांद की दिशा को देखकर प्रवास करते हैं. ऐसे में अत्यधिक प्रकाश प्रदूषण के चलते ये सभी भ्रमित हो जाते हैं. और गलता दिशा में चले जाते हैं. जिससे या तो वो मर जाते हैं. या फिर अपना मंजिल से भटक जाते हैं.
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यही वजह है कि, हर रोज़ छोटे-मोटे जीवों से लेकर कई प्रजातियों का खात्मा हो रहा है. हालांकि इससे निपटने के लिए कई शहर “लाइट्स आउट” कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं. जिसके तहत वो रात के समय में अपने इमारतों की रोशनी बंद करते हैं. हालांकि फिर भी प्रकाश प्रदूषण से होने वाली रोशनी इन जीवों के लिए घातक बनी हुई है.
प्रकाश प्रदूषण एक चुनौती
एक और हर रोज इंसान अपनी दुनिया चमकदार बना रहा है तो, ऐसे अनेकों संगठन भी हैं. जो प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution) को कम करने की खातिर काम कर रही हैं. अमेरिका की इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन (IDA) जोकि साल 1988 में बनाई गई थी. वो रात के समय आसमान को संरक्षित करने के लिए काम करती है.
जोकि लोगों को शिक्षित करने साथ, पार्क से लेकर अनेकों ऐसी जगह पर जहाँ प्रकाश उत्सर्जन में कटौती की जा सकती है. उस पर काम करती है.