26 जुलाई को कारगिल युद्ध में भारत की विजय के 20 साल पूरे हो रहे हैं। दरअसल 1999 की बात है जब ऑपरेशन विजय में करीब 18000 फीट की ऊंचाई पर कारगिल में पाकिस्तानियों के साथ लड़ाई लड़ी गई। इस जंग में हमारे 527 भारतीय जवान शहीद हुए थे, वैसे तो जवान हुए हर शहीद की अपनी अलग ही वीरता की कहानी है जिनमे से एक फरीदाबाद के बराड़ा के गांव कांसापुर में जन्मे मनजीत सिंह थे। जो कि कारगिल में शहीद होने वाले सबसे कम उम्र के जवान थे। शहीद मनजीत सिंह का जन्म एक किसान गुरचरण सिंह के घर हुआ था।
Manjeet Singh बचपन से ही देश की सेवा करना चाहते थे
जब मंजीत पढ़ रहे थे उसी वक़्त उनका मन सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने का था। जिसके बाद बेटे मंजीत की इच्छा को देखते हुए पिता ने उन्हें 1998 में 8 सिख रैजीमैंट अल्फा कम्पनी में भर्ती करवा दिया। परिवार और खुद मंजीत अपने इस फैसले से बहुत ख़ुश थे वो देश की सेवा करना चाहते थे। मगर मंजीत के सेना में भर्ती होने के करीब डेढ़ साल बाद ही पाकिस्तान ने भारत में घुसपैठ की जिसकी वजह से मनजीत सिंह तमाम जवानों की ड्यूटी कारगिल में लगा दी गई। मगर 7 जून 1999 को टाईगर हिल में दुश्मनों से कड़ी टक्कर लेते हुए मनजीत शहीद हो गए। मंजीत की के घरवालों ने उन्हें बड़े चाव से भर्ती करवाया था, लेकिन वो इतनी जल्दी सबको छोड़कर चले जाएंगे इसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों में मनजीत सभी शहीदों में से सबसे कम उम्र के थे और हरियाणा के शहीद होने वाले सबसे पहले नौजवान भी।
Manjeet Singh सिर्फ 18 साल की उम्र में शहीद हो गए थे
मनजीत 17 साल की उम्र में भर्ती हुए थे और 18 साल की उम्र में ही वो शहीद हो गए। आज भी परिवार को अपने बेटे मंजीत की कमी बहुत खटकती है। काश कि वो ज़िंदा होते तो परिवार के साथ और वक़्त बिता पाते और देश की सेवा भी कर पाते। मगर उन्होंने इतनी कम उम्र में देश के लिए जो किया वो आसान नहीं था। आज भी देश और मंजीत के घरवाले उनपर गर्व करते हैं।