आज से लगभग 50 साल पहले एक फिल्म आई थी, ऐसी फिल्म जिसमें उसके किरदार ने मानों लोगों को हंसाने गुदगुदाने का ठेका ले लिया हो…यही वजह रही कि, लोगों ने इस फिल्म को बेहद पसंद भी किया था. इस फिल्म में गरीबी और बदहाली में लिपटा मुख्य किरदार अपने चेहरे पर हंसी का चोला ओढ़कर लोगों को हंसाने का काम करता है और इसी फिल्म का एक मशहूर डायलॉग भी है,
इंसान इस दुनिया में चार दिन की ज़िन्दगी गुज़ारने आता है…लेकिन चालीस दिन का गम उसे घेरे में रखता है”
और इस फिल्म का नाम था, ‘मेरा नाम जोकर’, हकीकत भी मानों कुछ ऐसी ही है, हम जब भी कभी किसी सर्कस को देखने जाते हैं तो, हमें अपने करतब से हंसाने वाले जोकर के मंच पर आने का इंतजार रहता है. यही वजह है pa हम कह सकते हैं कि जितना की किसी खतरनाक स्टंटमैन अपने स्टंट में मेहनत करता है उससे कई ज्यादा मेहनत एक जोकर अपनी प्रस्तुति देने में करता है।
अपनी अजीबो-गरीब हरकतों से, हंसता, रोता, उदास होता जोकर हमारे इतिहास में कितनी अहमियत रखता है, क्या आपको मालूम है? अगर नहीं तो चलिए जानते हैं जोकरों के मंचन का दिलचस्प इतिहास-
जोकरों से जुड़े सबसे पुराने इतिहास की अगर बात करें तो ये 2400 BCE पुराना माना जाता है। क्योंकि इनके अस्तित्व की शुरुआत का सबसे पहला सबूत भी प्राचीन मिस्त्र में देखने को मिलता है। इस समय जोकरों यानि की मसखरों की मंचन-प्रस्तुतियां होती थी, वो शाही दरबारों में लोगों को हंसाने और गुदगुदाने का काम किया करते थे. जिसके बाद धीरे-धीरे ग्रीक और रोमन समाज में इन मसखरों का आना शुरू हो गया. यहीं नहीं, इस पेशे से जुड़े मसखर खुले तौर पर शारीरिक संबंधों का हास्यास्पद तरीके से मंचन किया करते थे और लोगों को हंसाने का काम किया करते थे.
Joker- आधुनिक जोकरों के आविष्कारक माने जाते हैं जोसफ ग्रीमाल्दी

लेकिन अगर आज के समय की हम बात करें तो, आधुनिक जोकरों की मसखरी का श्रेय जोसफ ग्रीमाल्दी को जाता है. ग्रीमाल्दी जोकि लंदन में एक मनोरंजक थे, जिन्होंने आज के दौर में दिखाई देने वाले जोकरों का आविष्कार किया.
जहां एक तरफ 1800 सदी की शुरूआत हो रही थी, वहीं जोसफ नाम के एक किरदार ने रंगमंच पर एंट्री मारी थी, उसने धीरे-धीरे न सिर्फ मौखिक कॉमेडी की बल्कि उसके साथ-साथ उसने शारीरिक कॉमेडी भी करने की शुरुआत की. इस दौरान जोसफ अपने पहनावे का बहुत ख्याल रखता था। चेहरे पर सफेद रंग और गालों में लाल रंग का धब्बा बनाए जब जोसफ मंच पर आता था, तो लोग ठहाके लगाया करते थे।
हालांकि कहा जाता है कि, जोसफ खुद अवसाद का शिकार था, दरअसल, जोसफ की पत्नी की मौत पहले बच्चे को जन्म देने के दौरान ही हो गई थी, जबकि जोसफ के पिता स्वभाव में उन तानाशाहों जैसे थे, जो अपने आगे किसी को पसंद नहीं करते थे, जबकि जोसफ के बड़े भाई की मौत इस बीच नशे की लत के चलते हो गई थी। उस दौरान उनके भाई की उम्र महज 31 साल थी। इतने सारे तूफानों को अपने अंदर लपेटे जोसफ अंदर से पूरी तरह खोखला सा था। यही वजह थी कि, लोगों को हंसाने के पीछे जोसफ में असीम दर्द छिपा हुआ था।
यहीं एक दौर था, जिस समय जोकरों का चलन बढ़ गया, इसी समय फ्रांस में भी एक जोकर था, जिसने अपने जोकर बनने के अंदाज से लेकर लोगों को हंसाने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी, जिसका नाम था जीन गेस्पर्ड देबुराऊ, देबुराऊ एक पेशेवर साइलेंट मीम कलाकार था. जो अपनी पहनावे के साथ-साथ चेहरे पर सफेद रंग, काली मोटी ऑयब्रो और लाल होंठ के लिए पहचाना जाता था।
हालांकि जितनी जल्दी वो लोगों की पसंद बना था, उतनी ही जल्दी लोगों के अंदर उसका खौफ़ पैदा हो गया. क्योंकि साल 1836 में उसने एक बच्चे का कत्ल सिर्फ इसलिए कर दिया था, क्योंकि बच्चे ने उसे चिढ़ाया था. हालांकि देबुराऊ जल्द ही इस इल्जाम से बरी हो गया था. हालांकि इस घटना ने लोगों के अंदर जोकर की छवि कातिल की छवि बना दी थी.
Joker- ये वो दौर था, जब लोग जोकरो को बेवकूफ कहने लगे थे

जाहिर है, जहां एक तरफ दुनिया अक्रामक रैवया अपना रही थी, वैसे वैसे दुनिया में जोकरों की अहमियत भी बढ़ती जा रही थी, वो जोकर, जो भले ही अंदर से असीम दर्द में लिपटे हुए हों, लेकिन हकीकत में लोगों को हंसाना जानते हों, या यूं कहें कि अपना दर्द छुपाकर लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाना जानते हों।
लेकिन धीरे-धीरे दौर बदला, 19वीं शताब्दी आने तक लोग जोकरों को ‘बेवकूफ’ कहने लगे, ये वो दौर था, जब सर्कसों से लेकर जोकरों का मंचन भी बड़े स्तर पर होने लगा था, बच्चे इंसानों से लेकर बच्चे तक इन्हें पसंद करने लगे थे. यही वजह थी अमेरिका के एक टीवी प्रोग्राम में जोकर और उसके साथियों ने लोगों के दिल में इतनी जगह बना ली थी कि, साल 1963 में मैकडॉनाल्ड ने इसे अपनी ब्रांड की पहचान बनाने के लिए काफी पैसे खर्च किए थे.
ये वो दौर था, जब अमेरिका में ‘पोगो जोकर’ को गिरफ्तार किया गया था, पोगो के ऊपर लोगों की हत्या करने और शारीरिक शोषण का इल्जाम लगा था. उसने शिकागो में 35 से भी ज्यादा लोगों की हत्या की थी. जिसका अपराध पोगो पर 1994 में साबित भी हुआ था.
यही नहीं, जोकरों पर अब तक कई फिल्में भी बनाई गई हैं. जिसमें उसके जोकर बनने की घटनाऐं भी दिखाई गई हैं. जहां कभी किसी परेशानी में घिरा इंसान कभी जोकर बना तो, कभी लोगों से बचने के लिए लेकिन उसने काम एक ही किया। ये की मंच पर आकर लोगों को हंसाया, भले ही वो अंदर से कितना खोखला रहा हो, लेकिन दुनिया की नजरों में उसकी कीमत भी तब तक रही जब तक उसने अपने काम को बाखूबी निभाया.
लेकिन उनमें भी कई जोकर ऐसे रहें, जिन्होंने लोगों को हंसाने के अलावा उनमें काफी खौंफ़ भी पैदा कर दिया. चाहे राजदरबारों में मसखरों की बात करें, या फिर सर्कस में लोगों को हंसाने की जोकर भी कई तरह के बने, कभी नाटे-बौने तो कभी चेहरे पर रंगों का अलग नकाब पहने ओढ़े, कभी दुनिया ने इन्हें स्वीकार किया तो, कभी दुनिया ने उन्हें धिक्कार दिया।
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