‘खिचड़ी’ भारतीय खाने का सबसे पुराना और सबसे पौष्टिक आहार माना जाता हैं। लेकिन आजकल इसका क्रेज जरा-सा कम हो गया है। ‘खिचड़ी’ शब्द का ज्यादा इस्तेमाल तो लोग विशेषण के तौर पर करते हैं। जब भी कोई काम खराब होता है तो कह देते हैं क्या खिचड़ी कर दिया है या कुछ गुप्त बात हो रही होती है तब भी यही कहा जाता है कि क्या खिचड़ी पक रही है? ‘ यानि ‘खिचड़ी’ अब व्यंजनों से ज्यादा मेटाफर बनकर रह गई है। लेकिन हाल ही में सरकार की ओर से खिचड़ी को लेकर एवारनेस फैलाई गई है जिसका असर भी दिख रहा है। बनाने से लेकर खाने तक सबसे आसान इस डिश के आगे दुनिया लजीज से लज़ीज और न्यूट्रियेंट से भरपूर डिश भी फेल है। फास्ट फूड कल्चर की बात करें तो यह दुनिया का सबसे बेस्ट फास्ट फूड है।
लेकिन ‘खिचड़ी’ आखिर आई कहां से और अगर कहीं से आई नहीं तो इसे सबसे पहले कब बनाया गया और इसका प्रचलन कैसे चला? क्या इसके बारे में आपने सोचा है? नहीं सोचा तो आज सोचिए। वैसे हमारे मन में खिचड़ी के इतिहास के बारे में सोचने पर सबसे पहली बात आती है’ बिरबल की खिचड़ी’। लेकिन नहीं भैया खिचड़ी का इतिहास यहीं तक सीमित नहीं है। खिचड़ी का इतिहास भारत के सबसे पुराने व्यंजनों के समकक्ष का है।

खिचड़ी का जिक्र और इसका इतिहास
खिचड़ी का सबसे पहला जिक्र आयुर्वेद में मिलता है। चरक संहिता में भी खिचड़ी का उल्लेख आता है। इसमें किशर शब्द से खिचड़ी निकला है। जिसको खाने के समय के बारे में कहा गया है कि, इसका उत्तम समय मकर संक्रांति के बाद शुरू होता है। इस समय देवयोग शुरू हो जाता है और खिचड़ी देवताओं को पसंद है। सूर्य का उत्तरायण होना उत्साह और ऊर्जा के संचारित होने का समय माना जाता है और खिचड़ी इंसानों के अंदर इसी उर्जा को प्रवाहित करती है। तमिलनाडु में इसे ‘पोंगल’ कहा जाता है। यहां ये चावल, मूंगदाल और दूध के साथ गुड़ डाल कर पकाया जाता है। तमिलनाडु में पोंगल सूर्य, इन्द्र देव, नई फ़सल और पशुओं को समर्पित एक त्योहार होता है।
पौराणिक इतिहास की बात करें तो इसमें जिक्र आता है कि, सबसे पहले भगवान शिव ने खिचड़ी बनाई थी और भगवान विष्णु ने इसे खाया था और इस भोजन को स्वादिष्ट के साथ ही सुपाच्य बताया था। लेकिन अगर इतिहास की बात करें तो आयुर्वेद के बाद खिचड़ी का जिक्र अच्छे तौर पर यूनान के शासक सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस ने भी किया है। वहीं इब्नबतूता ने भी अपने यात्रा संस्मरणों में खिचड़ी का जिक्र किया है जिसमें उसने उस समय भारत में खिचड़ी को एक लोकप्रिय खाना बताया है। बतूता को मूंग की दाल वाली खिचड़ी खाने को मिली थी, जिसे उन्होंने स्वादिष्ट बताया था। वहीं पंद्रहवीं शताब्दी में भारत आए रूसी यात्री अफानसीनि निकेतिन ने भी खिचड़ी का जिक्र किया है। वहीं ‘आइने—ए—अकबरी’ में भी अबुल फजल ने खिचड़ी का जिक्र किया है और उसने सात तरह से खिचड़ी बनाने के तरीके भी बताएं हैं।
कहा जाता है कि, अकबर के बेटे जहांगीर को खिचड़ी बहुत पसंद थी। उसी समय से शाहजहांनी खिचड़ी का भी चलन चलता आ रहा है। उसने इसे लाजवाब कहा था। उसके मुगल दस्तरख्वान में खिचड़ी को अहम स्थान हासिल था। हालांकि उसकी खिचड़ी में सूखे फल, सूखे मेवे, केसर, तेजपत्ता, जावित्री लौंग का भी इस्तेमाल होता था। इस दौर में यह व्यंजन मांसाहारी हो गया जिसे हलीम नाम दे दिया गया।
नाथ परंपरा से जुड़ा है खिचड़ी का इतिहास
खिचड़ी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के खिच्चा से मानी जाती है। यह चावल और विभिन्न प्रकार की दाल से बनने वाला भोजन होता है। इसे देश के हर कोने में बड़े ही चाव से खाया जाता है। खिचड़ी को लेकर मकरसक्रांति का पर्व भी मनाया जाता है। इस पर्व का सबसे ज्यादा महत्व नाथ संप्रदाय के बीच देखने को मिलता है। कहा जाता है कि खिचड़ी को सबसे ज्यादा लोकप्रिय नाथों ने ही बनाया है। लोकमान्यता के मुताबिक खिलजी ने जब भारत पर आक्रमण किया था उस समय नाथ योगियों ने उसका डटकर मुकाबला किया। इस दौरान उन्हें भोजन पकाने का समय नहीं मिलता था और भूखे रहना पड़ता था। नतीजतन, नाथ संप्रदाय के बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पकाने का यह नुस्खा निकाला। इसीलिए इस संप्रदाय के मठों और मंदिरों पर खिचड़ी का पर्व बहुत उल्लास से मनाया जाता है।

Best Baby Food है खिचड़ी
खिचड़ी चावल और विभिन्न प्रकार की दाल से बनने वाला भोजन होता है। कई जगहों पर बाजरा और मूंगदाल के साथ भी इसे पकाया जाता है। खिचड़ी कई मायनों में खास है। यह वह डिश है जिसे हर बच्चे को आसानी से यानी बिना किसी दिक्कत के खिलाया जा सकता है और इसी वजह से इसे फर्स्ट सॉलिड बेबी फूड भी कहा जाता है। व्रत के दौरान साबूदाने से बनाई गयी खिचड़ी भी खाई जाती है।
खिचड़ी एक आयुर्वेदिक डाइट है। इसे नियमित खाने से वात्त, पित्त और कफ की समस्या नहीं होती। वहीं ये शरीर को डिटॉक्स करने के साथ-साथ एनर्जी लेवल बढ़ाने और इम्युनिटी को सुधारने में भी मदद करता है। ये जितनी स्वादिष्ट होती है उतनी ही पोषण से भरपूर भी। यह शरीर को पोषक एनर्जी और पोषण देने का काम करती है। खिचड़ी में आमतौर पर ज्यादा मसालों का प्रयोग नहीं किया जाता, यही कारण है कि, खिचड़ी हमेशा से एक हेल्दी फूड मानी जाती रही है। आयुर्वेद बताता है कि यह फूड हमारी आंत और पेट के लिए बहुत फायदेमंद चीज है।
गर्भावस्था के दौरान अक्सर महिलाओं को कब्ज या अपच की दिक्कत होती है। वहीं बाहर का खाना ज्यादा खाने से भी लोगों के पेट में यह समस्या हो जाती है। लेकिन इस सब का ईलाज खिचड़ी है। खिचड़ी मूड सही करने के लिए भी सबसे सही भोजन माना जाता है।
कई प्रकार की खिचड़ी बनती है हमारे देश में
देश भर में खिचड़ी के कई अलग—अलग वैरायटीज देखने को मिलेंगे। जैसे कि, तमिलनाडू में पोंगल जिसे चावल, मूंगदाल, दूध और गुड़ मिलाकर पकाते हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में मूंगदाल की खिचड़ी फेमस है। बंगाल की खिचड़ी में मूंग की दाल होती है। यहां दुर्गा पूजा में भोग में खिचड़ी ज़रूर चढ़ाई जाती है। राजस्थान और गुजरात में बाजरे की खिचड़ी बहुत लोकप्रिय है। हैदराबाद, दिल्ली और भोपाल में दलिया और गोश्त को मिलाकर खिचड़ा और हलीम बनाया जाता है। वहीं उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ के 56 भोग में खिचड़ी भी शामिल है। महाराष्ट्र में झींगा मछली (प्रॉन) के साथ एक खास तरह की खिचड़ी पकाई जाती है। गुजरात के भरूच में खिचड़ी के साथ कढ़ी दी जाती है।
खिचड़ी को Global Food Expo द्वारा आयोजित ‘World Food India 2017’ में दुनिया के सामने सुपर फूड के रूप में पेश किया गया था। इसे राष्ट्रीय पहचान देने के पीछे बड़ा कारण यहीं है कि देश की अधिकतर लोग इसे खाते हैं। सरकार ने ‘India’s Superfood’ और ‘Queen of all foods’ के तौर पर दुनिया के सामने रखा, पर खिचड़ी को भारत की ओर से सुपर फूड के रूप में पहचान दिलाने की आधिकारिक घोषणा 4 नवंबर को की गई थी। खिचड़ी सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि भारत के पड़ोसी देशों में भी फेमस फूड है।