रंगों की चमक हर इंसान को अपनी ओर आकर्षित करती है. लोग चटकीले रंगों की तरफ खिंचे चले आते हैं. ऐसे में जब भी दुनिया में कोई आविष्कार हुआ. उसमें बाद में अनेकों चीजें बेहतर होती गई. खोजकर्ता उनमें रंग भरते गए और लोगों की सुविधाऐं बढ़ती चली गई. ऐसा ही Television के साथ भी यही हुआ. साल 1927 में अमेरिका के वैज्ञानिक John Logie Baird ने जिस समय Television का आविष्कार किया था. उस समय उन्होंने भी शायद ही ये सोचा हो की TV रंगीन होगी. क्योंकि उस समय उनके आविष्कार में सब कुछ Black & White था.
अपने आविष्कार के लगभग 7 साल बाद यानि कि, 1934 में जिस समय Television पूरी तरह इलेक्ट्रानिक स्वरूप में बनकर तैयार हुआ. उसके लगभग चार साल बाद इसे मार्केट में उतारा गया. ऐसे में TV के स्टेशन तैयार किए गए. अमेरिका के लोगों ने इसे खरीदना शुरू किया. जिस समय TV अमेरिका के लोगों की मनोरंजन का साधन बन चुका था. वहीं भारत इससे काफी पीछे था. TV को भारत पहुंचने में लगभग 32 साल लग गए.
भारत में पहली बार Television का प्रसारण
भारत में पहली बार Television का प्रसारण 15 सिंतबर, 1959 में दिल्ली में किया गया था. इसी समय दिल्ली में दूरदर्शन केंद्र की स्थापना की गई और यहाँ से पहला प्रसारण किया गया. इस दौरान यूनेस्को ने भारत की मदद की थी. ऐसे में 1965 आते-आते दूरदर्शन का प्रसारण हर रोज़ शुरू किया गया. हालांकि 1975 तक दूरदर्शन भारत के महज़ सात शहरों तक ही सीमित था.
1980 का दशक आते-आते दूरदर्शन का क्रेज पूरे भारत पर छाने लगा. जहाँ एक तरफ लोग उस समय तक Black & White TV देखा करते थे. वहीं 1982 आते-आते TV ने रंगीन रूप धारण कर लिया. ये वो समय था. जिस समय रंगीन टीवी हर समृद्ध परिवार की पहचान बन गया था. 25 अप्रैल 1982 को पहली बार टीवी पर रंगीन प्रसारण (Color Broadcast) की शुरूवात हुई. जोकि मद्रास और चेन्नई के बीच हुई थी. ऐसे में उस साल भारत ने नंवबर महीने में एशियाई खेलों की मेजबानी की और खेलों का रंगीन प्रसारण करना शुरू किया.
Television का पहली बार रंगीन प्रसारण

इसी समय दूरर्शन पर बुनियाद, रामायण, महाभारत जैसे धारावाहिकों का प्रसारण शुरू किया गया. जिसने Television का पूरा स्वरूप ही बदल कर रख दिया. उस समय पूरे देश में Television का क्रेज कुछ इस कदर चढ़ा की TV हर घर की जरूरत बन गई. जिस घर में TV मौजूद होती थी. वहां लोगों का जमावड़ा होता था. लोग इन प्रसारण को देखने की खातिर अपना काम छोड़कर इंतजार किया करते थे. सड़के विरान रहती थी.
यूँ तो टीवी रंगीन टीवी का आविष्कार साल 1954 में वेस्टिंगहाउस ने किया था. हालांकि, उस समय 6,200 रुपये दाम होने की वजह से, रंगीन टीवी आम लोगों की पहुंच से काफी बाहर थी. जिसके बाद अमेरिकन इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी आरसीए ने Color Television CT-100 बाज़ार में उतारी. जिसकी कीमत पाँच हजार रुपये थी.
वहीं 1959 से पहले, 1950 में भारत में पहली बार चेन्नई के इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग के छात्र बी. शिवाकुमारन ने Television की प्रदर्शनी लगाई. जोकि एक कैथोड-रे ट्यूब टीवी थी. जिस पर ब्रॉडकास्ट नहीं किया जा सकता था. हालांकि देश में पहली बार टीवी को पहचान इसी समय मिली थी.
World Television Day

जिस समय भारत में Television अपने विस्तार पर था. उस समय संयुक्त राष्ट्र ने 1996 में 21 नंवबर को World Television Day मनाने की शुरूवात की. इस दौरान Television एक ऐसा साधन बन चुका था. जिसके जरिए एक बार में लाखों लोगों तक अपनी बात कही जा सकती थी. इसी के बाद से देश-दुनिया में प्राइवेट चैनलों की एंट्री होना शुरू हुआ. आज हमारे देश में लगभग टीवी चैनलों की संख्या 1000 के पार पहुंच चुकी है.
ऐसे में जब 21वीं सदी की शुरूवात हुई. उस समय एंटीनों की जगह केबल टीवी प्रसारण ने ले ली और तब भारत में रंगीन टेलीविजन का दौर असल में शुरू हो सका. हालांकि आज अधिकतर लोगों के पास इतना वक्त नहीं कि, वो Television के सामने बैठ सकें. फिर से किसी न किसी झरोखों से लोग Television यानि की आज की LED, LCD देख लेते हैं और खुद का मनोरंजन करते हैं.