रिंग पर गोल और मोटे शरीर वाले सूमो पहलवानों को आपस में भिड़ते तो आप सबने जरूर देखा होगा, लेकिन हर फील्ड में आगे रहने वाली महिलाओं के लिए सूमो कुश्ती का अखाड़ा भी अब अछूता नहीं रहा है।
दरअसल, हम बात कर रहे हैं भारत की पहली सूमो पहलवान हेतल दवे की। लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भारत की पहली महिला सूमो पहलवान का खिताब जीतने वाली हेतल को आज सब सूमो दीदी के नाम से पुकारते हैं।
आपने ज्यादातर सूमो पहलवानी करने वाले खिलाड़ियों को मोटा और वजनदार ही देखा होगा। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हमारी सूमो दीदी का वजन सिर्फ 76 किलो है। और अपने इसी संतुलित वजन के साथ हेतल ने बहुत सारे देशों में वर्ल्ड सूमो चैंप्यिनशिप के लिए भारत को रिप्रजेंट किया है। इतना ही नहीं 2009 में ताईवान में हुए विश्व खेलों के दौरान हेतल ने सूमो कुश्ती प्रतियोगिता में पांचवां स्थान भी हासिल किया है।
Hetal Dave – जैकी चैन की फिल्में देखकर बड़ी हुई है हैतल
राजस्थान के कट्टर ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने वाली हेतल बचपन से ही जैकी चैन की बहुत बड़ी फैन रहीं हैं। जिस उम्र में लड़कियां गुड्डे-गुड्डियों के खेल खेलती हैं और टी वी पर कार्टून देखने का शौक रखती हैं। उस समय हेतल जैकी चैन की फिल्में देख कर उनके जैसे स्टंट करने के सपने देखती थी। अपने इसी शौक के चलते महज 5 साल की उम्र में हेतल ने जूडो, कराटे और मार्शल अर्टस की क्लासेस लगाना शुरू कर दिया। हेतल के स्पोर्टस के प्रति जुनन को देखकर उसके पिता ने उसे टूर्नामेंट्स में भेजना शुरू कर दिया। देखते ही देखते सिर्फ सात साल की उम्र में हेतल ने अपना पहला टूर्नामेंट खेला।
कराटे और जूडो की प्रैक्टिस के दौरान हेतल ने सूमो पहलवानी करने का मन बना लिया। लेकिन उस समय सूमो कुश्ती को बहुत ही अपमानजनक खेल के रूप में देखा जाता था, क्योंकि इस खेल में खिलाड़ी कपड़े नहीं पहनते थे, और तो और अभी तक इस खेल को सिर्फ पुरुष ही खेलते आ रहे थे। मगर अपनी जिद्द की पक्की हेतल ने इस अवधारणा को तोड़ते हुए सूमो पहलवानी शुरू तो कर दी, लेकिन इस खेल में कोई महिला खिलाड़ी ना होने के कारण उनको पुरूष सूमो पहलवानों के साथ ही भिड़ना पड़ा।
Hetal Dave – समाज के तानों के बावजूद भी नहीं मानी कभी हार
इतना ही नहीं, परिवार को छोड़ कर सारी सोसाईटी हेतल की सूमो कुश्ती के खिलाफ हो गई। हेतल और उसके पिता को अक्सर ये ताने सुनने को मिलते कि उनकी बेटी के साथ कोई शादी नहीं करेगा और ना ही उनके परिवार के साथ कोई नाता रखेगा। फिर भी हेतल के भाईयों और पिता ने उनको कुश्ती लड़ने से कभी नहीं रोका। हेतल अब सूमो कुश्ती में इतनी माहिर हो गई थी कि वो अपने से ज्यादा वजनदार पुरूष सूमो पहलवालनों को अखाड़े में पटकने लग गईं। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भारत में सूमो कुश्ती को अभी तक मान्यता प्राप्त खेलों में नहीं गिना जाता है, लेकिन फिर भी हेतल को भारत की तरफ से कईं बार विदेशों में विश्व कुश्ती प्रतियोगिया के लिए रिप्रेसेंट किया जा चुका है। और हेतल भारत के लिए इनाम भी जीत कर ला चुकी हैं।
भारत का गर्व हेतल दवे ने इस खेल में महारथ हासिल कर ये साबित कर दिया है कि स्त्री जो चाहे वो कर सकती है। मुंबई में रह रहीं हेतल अब छात्रों को सूमो रेसलिंग के साथ कुश्ती और जूडो की ट्रेनिंग दे रही हैं। लेकिन हेतल की लड़ाई अभी तक अधूरी है क्योकिं सूमो कुश्ती अभी तक ओलिंपिक में दर्ज नहीं हुई है। इतना ही नहीं सूमो कुश्ती खेल रहे बहुत सारे भारतीय खिलाड़ियों को मान्यता प्राप्त खेल ना खेलने की वजह से कई विदेशी प्रतियोगिताओं में खेलने का मौका नहीं मिलता।
जहां भारत में क्रिकेट को सबसे ऊंचा दर्जा दिया जाता है वहीं हमारा मानना है कि खेल तो खेल होता है चाहे कोई भी हो। इसलिए हेतल जैसै जांबाज खिलाड़ीयों को भी बाकी खिलाड़ीयों जैसा बराबर सम्मान मिलना चाहिए।