हमारे देश में चलन बहुत अहमियत रखता है, क्योंकि हमारे यहां ये चलन ही होता है जो लोगों का नजरिया बन जाता है और उसे भी भूनाते हैं, हमारे बॉलीवुड से जुड़ी हस्तियां यानि डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और पर्दे पर उसे दिखाने वाले एक्टर, एक्ट्रैस। क्योंकि आज के दौर में जितनी फिल्में बन रही है। असल धरातल से कहीं न कहीं वो जुड़ी होती हैं, और कुछ इसी तरह की फिल्मों के लिए बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर संजय लीला भंसाली को भी जाना जाता है। क्योंकि वो इसी तरह की फिल्में कहानियां लोगों के सामने लेकर आते रहते हैं। हाल ही, में उन्होंने अपनी नई फिल्म का पोस्टर जारी किया है। जिसमें नजर आ रही हैं, इस टाईम की क्यूटी पाई आलिया भट्ट और पोस्टर पर नाम लिखा है, गंगूबाई काठियावाड़ी।
अब अगर आपने पोस्टर देखा है और आपको नहीं मालूम कि, आखिर ये गंगूबाई थी कौन? तो चलिए हम आपको बता देते हैं कि, आखिर गंगूबाई कौन थी और संजय लीला भंसाली उनकी जीवन से जुड़ी कौन सी कहानी लेकर आ रहे हैं।

आज के समय के एक मशहूर लेखक हैं एस हुसैन जैदी, जिन्हें लेखन के साथ-साथ क्राइम की दुनिया का खबरी भी कहा जाता है. उन्होंने वैसे तो कई किताबें लिखी हैं. जिसमें उन्होंने अंडरवर्ल्ड से लेकर डॉन माफिया सब पर लिखा है। उन पर अब तक कई फिल्में भी बनाई जा चुकी हैं। जैसे फैन्टम, शूट आउट ऐट वाडाला, ब्लैक फ्राइडे अब एक बार फिर उन्हीं की किताब ‘माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई’ पर फिल्म आने जा रही है। अब चलिए हम आपको गंगूबाई की वो कहानी बताते हैं. जिसको संजय लीला भंसाली अब बड़े पर्दे पर लोगों के सामने उतारने जा रहे हैं।
जब पति ने ही धकेल दिया वैश्यावृत्ति के दलदल में
जैसा कि, हुसैन जैदी की किताब माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई के नाम से जाहिर है कि, गंगूबाई मुंबई की माफिया था. हालांकि अगर उनके बचपन की बात करें तो, गंगूबाई गुजरात में उस समय के अमीरघरानों में से एक हरजीवनदास काठियावाड़ी की बेटी थी। जिसके चलते उनका असली नाम गंगूबाई हरजीवनदास था। उनके परिवार वाले उन्हें पढ़ाना चाहते थे। वो चाहते थे कि, बेटी बड़ी होकर सुनहरे ख्वाब सजाए. हालांकि दूसरी तरफ गंगूबाई अपने दिमाग में फिल्मी दुनिया में जाने के ख्वाब का पूरा खाक बुन चुकी थी। क्योंकि उन्हें वहां से निकलकर कामयाब अभिनेत्री बनना था।
इसी समय की बात है जब उनके घर उनके पिता के दोस्त रमणीक आए जो मुंबई से थे और जब गूंग को इस बात का पता चला तो मानों गंगू को अपने सफर की पहली सीढ़ी मिल गई। वहीं दूसरी तरफ धीरे-धीरे इनमें मेल जोल हुआ। फिर दोनों को एक दूसरे से प्यार हुआ और फिर गंगू ने रमणीक से भाग कर शादी कर ली।
गंगू अपने पति के साथ बम्बई आ गई, लेकिन जो गंगू ने सोचा था। ऐसा कभी कुछ नहीं हुआ। क्योंकि रमणीक ने उनसे झूठा प्यार का नाटक किया था और एक दिन उसने गंगू से कहा कि, गंगू जब तक में रहने का यहां कहीं ठिकाना ढूंढता हूं। तुम एक काम करो मेरी मौसी के घर रहो, गंगू भी झट से मान गई और रमणीक वहां से निकल गया।
जिसके बाद रिक्शे पर सवार एक औरत आई और वो उन्हें अंधेरी की उस नगरी ले गई, जहां कोई भी इंसान कभी जाना नहीं पसंद करेगा। कमाठिपुरा.. तब की बंबई और आज की मुंबई की सबसे चर्चित जगह. इस दौरान गंगू को पता चल गया था कि, उनके पति ने उन्हें बेच दिया और हुआ भी यही। गंगूबाई को उनके पति ने 500 रुपये में बेच दिया था।
कैसे कमाठिपुरा की तवायफ से मालकिन बनी गंगूबाई
जिसके बाद गंगू ने वहां से निकलने की तमाम कोशिशें की लेकिन फिर वहां गया कौन वापस निकल पाता है. अंत में मजबूर होकर गंगू ने वहां वेश्यावृत्ति अपना ली। ये वो दौर था, जिस समय बंबई में करीम लाला जैसे माफियाओं का आंतक हर जगह था। उन्हीं के नाम के दम पर न जानें कितने ही लोग अपनी बांहे फैलाए रहते थे। ठीक उसी तरह एक दिन कोठे पर करीम लाला का एक आदमी शौकत खान आया। जोकि गंगूबाई के लिए आया था। उसने गंगूबाई को खूब परेशान किया। उसने गंगू को मार पीटकर उनके साथ बलात्कार किया और फिर चला गया। शौकत यहीं नहीं रूका, फिर कुछ दिनों बाद आया और गंगू को घसीट कर ले जानें लगा। जब कोठे पर मौजूद सभी लोगों ने उसे रोकने की कोशिश की तो शौकत ने उन्हें भी पीट दिया। यही वजह थी कि, अपने जिस्म के दर्द और बार-बार के टॉर्चर से परेशान गंगूबाई ने इस पर अपनी आवाज़ बुलंद की, और सीधा पहुंच गई करीम लाला के दरवाजे पर.. जब करीम लाला ने गंगूबाई को अपने घर के दरवाजे पर देखा तो उन्हें अपने घर की छत पर उनका इंतजार करने को कह दिया, इस बीच करीम लाला ने अपने साथियों को उनका ख्याल रखने की जिम्मेदारी दी। साथ उन्हें खाना पीना भेजने को कहा, साथ ही वो जानते थे कि, वो एक तवायफ से मिल रहे हैं। इस बीच गंगूबाई ने कुछ नहीं खाया, थोड़ी देर बाद जब करीम लाला ऊपर गए तो उन्होंने गंगू से वहां आने का कारण पूछा, साथ उन्होंने कुछ न खाने का कारण भी पूछा। इस पर गंगू बाई ने कहा कि, अगर मैं आपके दरवाजे पर आई हूं और आपको मैं गंदगी जैसी लगती हूं तो आपके बर्तनों को छूकर मैं इन्हें गंदा नहीं कर सकती। फिर उन्होंने वहां आने का असल कारण बताया। साथ ही उनके ऊपर हो रहे अत्याचार की पोटली खोलकर करीम लाला के सामने रख दी।
इस बात से अंजान करीम लाला ने कहा कि, अगर हकीकत में ऐसा कुछ भी है तो, अगली बार जब कभी भी शौकत तुम्हारी चौखट पर तुमको परेशान करने पहुंचे तो इसकी खबर मुझको कर देना। करीम लाला बस ये कह ही पाए थे कि, गंगू ने अपने पास रखे एक धागे को करीम लाला के हाथ पर बांध दिया, और जब करीम लाला ने उनसे ऐसा करने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि, आज तक किसी भी मर्द ने मुझको इतना कभी सेफ नहीं फील कराया है।

जिसके जवाब में गंगूबाई ने कहा कि, आप आज से मेरे राखी भाई हैं। भाई की जिम्मेदारी शायद करीम लाला भी समझते थे। क्योंकि जब अगली बार शौकत गंगू के दरवाजे पर पहुंचा और गंगू को घसीटकर कमरे में ले गया, तो खबरी भागता हुआ करीम लाला के घर पहुंचा और जब करीम लाला ने इस बात को सुना तो वो अपने साथियों के साथ वहां पहुचें और दरवाजे पर जाकर दरवाजा पीटने लगे।
इस बीच गुस्से से लबरेज शौकत ने जब दरवाजा खोला, तो करीम लाला और उनके साथ आए लोगों ने शौकत की हॉकी स्टिक से जमकर पिटाई कर दी और अंत में शौकत को अधमरा कर दिया। इतना ही नहीं, करीम लाला ने कहा कि, गंगू मेरी राखी बहन है। अगर किसी ने भी इसे परेशान करने की हिम्मत की तो समझो उसने मुझको परेशान किया है। जिसके बाद से गंगू का सिक्का कमाठिपुरा में इस तरह चमका कि, गंगू घरवाली के इलेक्शन में खड़ी हुई और जीत गई। जहां से गंगू पूरे कोठे की मालकिन बन गई। साथ गंगू ने एक काम और किया। अपने यहां फरमान जारी कर दिया कि, कोई भी कभी भी किसी को जबरदस्ती यहां नहीं लाएगा। यही वजह थी कि, वहां रह रही और दूसरी तवायफ गंगू की फोटो तक अपने कमरों के मंदिरों में रखने लगी।
और फिल्म अभिनेत्री बनने का अरमान पालने वाली गंगूबाई माफिया क्वीन बन गई। हकीकत कुछ ऐसी है कि, अब फिल्म में क्या दिखता है ये तो सितंबर 2020 में फिल्म के रिलीज होने के बाद ही पता चलेगा। आपको कितनी पसंद आई इस माफिया क्वीन गंगू की कहानी, सोचने वाली बात है कि, हालातों से बेबस इंसान कहां से कहां चला जाता है?