छोटू जरा एक कप चाय देना, छोटू यहाँ गंदगी है कपड़े से इस साफ करना. किसी भी दुकान, रेस्टोरेंट या ऐसी किसी भी जगह पर जाकर हमने इस तरह की लाईने न जाने कितनी ही बार बोली होंगी. हमारे आस-पास अनेकों जगह हमें छोटी उम्र के बच्चे काम करते दिखाई दिए होंगे. लेकिन हम में से शायद ही कोई ऐसा होगा. जिसने कभी उनके बारे में सोचा हो, शायद ही कोई होगा. जिसने कभी अपनी आवाज़ उठाई हो. यही वजह है कि, आज मजदूरी की दुनिया में बच्चों की तादात बढ़ रही है.
एक वक्त तक Child Labour रोकने के लिए हमारे देश से लेकर, पूरी दुनिया में अनेकों प्रयास किए गए. बच्चों के लिए अनेकों तरह के कानून बनाए गए. हालांकि हाल ही में Child Labour को लेकर दुनिया की International Labour Organisation (IOL) & UNICEF ने एक रिपोर्ट जारी की है. जिसमें बताया गया कि, दुनिया का हर 10वां बच्चा इस समय बाल मजदूरी (Child Labour) करने को मजबूर है.

आज पूरी दुनिया में लगभग 16 करोड़ से ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं. जिसमें 39.4% यानि की 6.3 करोड़ बच्चियां हैं. बाकि 60.6% यानि की 9.7% करोड़ बच्चे हैं. इतना ही नहीं, इस रिपोर्ट में और भी अनेकों बातें कहीं गई. जिसमें बताया गया कि, 7.9% बच्चे उन कामों में लगे हैं. जहां हर दिन उनका स्वास्थ्य खराब हो रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक जहाँ साल 2000 में करीब 24.6 करोड़ बच्चे Child Labour थे. उस समय उनमें लगभग 17 करोड़ बच्चे जोखिम भरा काम करते थे. वहीं साल 2004 आते आते Child Labour की संख्या घटकर 22.2 करोड़ हो गई थी. जबकि साल 2008 में 21.5 करोड़ और 2012 आते-आते यह संख्या 15.2 करोड़ पर पहुंच गई थी.
हालांकि एक बार फिर बाल मजदूरी में इजाफा होना शुरू हो चुका है. रिपोर्ट में जारी किए गए सर्वे में बताया गया कि, 2020 में Child Labour की संख्या 16 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है.

इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि, लगभग 70% बच्चे आज के समय में खेती के कामों में लगे हुए हैं. जिनकी संख्या इस समय 11.2 करोड़ से अधिक है. जबकि 19.7% सर्विस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. यह बच्चे पूरी तरह शिक्षा से वंचित हैं. जिन्हें खाने पीने से लेकर पोष्टिक आहार तक नहीं मिलता.
इस रिपोर्ट का जारी करते हुए International Labour Organisation (IOL) के महानिदेशक गाय राइडर ने कहा कि, “नई पीढ़ी के बच्चों को जोखिम में डाला जा रहा है. लेकिन हम में से कोई खड़ा नहीं हो रहा. हम सभी एक महत्वपूर्ण क्षण में हैं. जहां अधिकतर चीजें हमारी प्रतिक्रियाओं पर निर्भर करता है. साथ ही हमें गाँवों के विकास और कृषि के क्षेत्र में अच्छा काम करने की जरुरत है. ताकि हम इस बढ़ती बाल मजदूरी को रोक सकें.”
इतना ही नहीं, इस रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले 2022 तक में, बाल मजूदरों की संख्या में 9 मिलियन तक का और इजाफा हो सकता है. जबकि एक सिमुलेशन मॉडल के मुताबिक इस संख्या में आने वाले दिनों में 46 मिलियन तक की बढ़ोत्तरी दर्ज की जा सकती है.
UNICEF के कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर ने कहा कि, “हमने जितने भी प्रयास किए थे. बाल मजदूरी को रोकने के लिए जो जमीन तैयार की थी. हम उसे धीरे-धीरे खो रहे हैं. साथ ही पिछले कुछ सालों में जो कुछ भी गुजरा है. उसने इसे और मुश्किल बना दिया है. पूरी दुनिया कोरोना महामारी के बीच में बंद रही, स्कूल बंद रहे. हर घर में आर्थिक समस्याएं रही. जिसके चलते बाल मजदूरी में इजाफा हुआ है.”

ज़ाहिर है, हम में से शायद ही किसी इंसान ने रेड लाईट पर, बाज़ारों या भीड़ भाड़ वाले इलाके में भीख मांगते बच्चे जरुर देखे होंगे. अनेकों जगह पर छोटे बच्चों को काम करते देखा होगा. लेकिन हमें कभी जरुरत नहीं महसूस हुई कि, उनसे पूछा जाए. उनकी बाल मजदूरी की वजह क्या है.
लेकिन एक बार फिर से वक्त है. उन पर गौर किया जाए. बच्चों के बचपनें को बर्बाद होने से रोका जाए. क्योंकि बचपन हमेशा उड़ने, लहराने के लिए होना चाहिए. न की यूँ ही बर्बाद हो जाने के लिए.