आजकल महिलाओं के साथ छेड़खानी और यौन हिंसा की वारदातें बढ़ती ही जा रही हैं। यह केवल बालिक लड़कियों के साथ ही नहीं बल्कि छोटी-छोटी बच्चियों और बुजुर्ग महिलाओं के साथ भी देखने को मिल रहा है जो अत्यंत शर्मसार होने वाली घटनाओं में से एक है। जगह-जगह महिलाओं के साथ दुष्कर्म होते हुए देखे जा रहे हैं।
महिलाओं और लड़कियों के साथ रेप जैसे दुष्कर्म के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे है। ऐसे में लड़कियों की सुरक्षा बहुत जरूरी हो गई है। लड़कियां कहीं बाहर क्या अपने इलाकों में भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रही है।
महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए एक 17 वर्ष के लड़के ने कुछ ऐसा कमाल कर दिखाया जिससे महिलाएं अब खुद से खुद की सुरक्षा करने के काबिल हो सकेंगी। जी हां आज हम बात करने वाले हैं 17 वर्ष के लड़के सिद्धार्थ मंडल की, जिन्होंने आविष्कार के क्षेत्र में एक नया मोड़ कायम किया है।
आज हर जगह कई नए-नए आविष्कार होते नजर आ रहे हैं, लेकिन सिद्धार्थ ने जिस आविष्कार को अंजाम दिया है, उसके बारे में जानना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं सिद्धार्थ के इस बेहतरीन आविष्कार के बारे में-
17 साल के नौजवान सिद्धार्थ मंडल ने किया एक बेहतरीन “Electric Shoes” का आविष्कार
ऐसी परिस्थिति में लड़कियों की सुरक्षा के लिए सिद्धार्थ मंडल नाम के एक युवा ने “Electric Shoes” तैयार किया है। सिद्धार्थ मंडल हैदराबाद का रहने वाला है, जिनकी उम्र अब 20 साल ही है। हर रोज लड़कियों के साथ होने वाली छेड़खानी, यौन हिंसा को देखकर उनकी सुरक्षा के लिए सिद्धार्थ मंडल ने जब वो 17 साल के थे तब एक बेहतरीन तरीके की खोज की थी, जिससे कि महिलाओं के साथ हो रहे अपराध को कम किया जा सके। सिद्धार्थ द्वारा किए गए इस आविष्कार को पूरे देश ने खूब सराहा और इसके लिए उन्होंने काफी तारीफे भी बंटोरी।
एक ऐसी चप्पल जिससे लड़कियों को छूने वाले लोग खाएंगे करंट
सिद्धार्थ ने एक ऐसी चप्पल बनाई, जिससे कि लड़कियों को छूने वाले को करंट लगेगा। सिद्धार्थ ने इस करंट देने वाले चप्पल को “Electric Shoes” नाम दिया है। सिद्धार्थ का मानना है कि यह चप्पल लड़कियों को यौन हिंसा, रेप आदि दुष्कर्म से बचाएगा।
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सिद्धार्थ का दावा है कि अगर यह चप्पल किसी लड़की ने पहना तो उसके साथ कोई छेड़खानी या दुष्कर्म नहीं कर पाएगा। ऐसा बताया जा रहा है कि यह चप्पल लड़की की सही और करेंट लोकेशन भी बताएगा तथा लड़कियों को छूने वाले को करंट भी देगा। साथ ही इसमें कुछ ऐसे सेंसर लगे हुए हैं जो घटना का अंदेशा होते ही पुलिस और लड़की के परिजन को तुरंत घटना की सूचना देते है।
“Electric Shoes” को चार्ज करने के लिए बिजली और बैटरी की कोई जरूरत नहीं
इस “Electric Shoes” की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह देखने में बिल्कुल आम चप्पलों जैसी है , ताकि उस पर कोई शक ना कर सके। इस चप्पल को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि किसी का ध्यान भी ऐसे आविष्कार पर नहीं जा सकता कि इससे झटका देने वाली बात पता चले।
इन चप्पलों की एक बड़ी बात यह भी है कि इसे चार्ज करने के लिए बिजली और बैटरी की जरूरत नहीं पड़ेगी, यह लड़की के चलने से चार्ज हो जाएगा। सिद्धार्थ का कहना है कि यह चप्पल पहनने के बाद लड़कियों को बाहर निकलते समय एक बार यह चेक करना पड़ेगा कि चप्पल की बैटरी चार्ज है या नहीं। सिद्धार्थ ने यह टेस्ट खुद एक लड़की पर करके देखा है, जो कि बिल्कुल सही सिद्ध हुआ।
“निर्भया कांड” से मिली रेप रोकने के लिए कुछ नए आविष्कार की प्रेरणा
सिद्धार्थ ने कहा कि वो लड़कियों के साथ हो रहे दुष्कर्म की लगातार खबरें सुनकर तंग आ गए और उन्होंने सोचा कि उन्हें लड़कियों की सुरक्षा के लिए कुछ ऐसा करना चाहिए ताकि लड़कियां अपनी सुरक्षा खुद कर सकें। उनका कहना है कि 16 दिसंबर 2012 के दिन “निर्भया कांड” ने दुनिया को झकझोर दिया था। तब वह सिर्फ 12 वर्ष के थे ,तभी से उन्होंने लड़कियों की सुरक्षा के लिए कुछ करने का कुछ मन बनाया। सिद्धार्थ दिल्ली में हुए इस निर्भया कांड से काफी सहम से गए थे।
सिद्धार्थ ने यह भी कहा है कि जब वह 12 वर्ष के थे तब उन्हें अच्छी तरह याद है कि दिल्ली में निर्भया कांड से जुड़े जो मार्च किए जा रहे थे उसमें उनकी मां भी भाग लेती थी और अक्सर आना-जाना किया करती थी। करीब 500 लोगों की संख्या ऐसी थी जिन्होंने कई हफ्ते तक निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश की।
देश भी सलाम कर रहा है सिद्धार्थ मंडल के इस आविष्कार को सिद्धार्थ मंडल ने जवान लड़कियों के साथ-साथ बच्चियों और बुजुर्ग महिलाओं को रेपिस्ट से सुरक्षा दिलाने के लिए जो नया आविष्कार किया है, उसके लिए देश जितनी बार सलाम करे वह कम है। आज पूरा देश सिद्धार्थ के इस आविष्कार की तारीफ कर रहा है।
जहां एक तरफ हमने कभी भी ऐसे आविष्कार के बारे में नहीं सोचा होगा, वहीं दूसरी तरफ सिद्धार्थ ने इस आविष्कार को इतने बेहतरीन ढंग से किया जिसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। वाकई में सिद्धार्थ के दिमाग में आए इस आविष्कार को विशेष रूप से ऊंचाइयों तक ले जाना देश की जनता का कर्तव्य होग।