विकसित देश की कल्पना शायद ही कोई ऐसा देश होगा जो न करता हो. हर सरकार से लेकर देश का रहने वाला इंसान यही चाहता है कि, जिस देश का वह नागरिक है. वो देश हर दिन नई ऊचाइंया छुए. हालांकि अगर हम अपने देश भारत की बात करें तो, हमारा देश गांवों का देश है. अगर हम अपने देश को बेहतर विकसित करना चाहते हैं तो, हमें अपने गांवों की अलग विकास गाथा लिखने की जरुरत है.
इसलिए आज भारत के विकसित गांव की दूसरी कड़ी में हम आपको उन गांवों के बारे में बताने जा रहे हैं. जिस गांव के रहने वाले ग्रामीणों ने गांव के विकास की अलग परिभाषा लिख दी. और उसे सम्रगता की अनोखी दौड़ में शामिल कर दिया. पिछले अध्याय में हमने आपको पाँच गांवों के बारे में बताया था. ऐसे गांव जहां जाकर आप खूबसूरती, शांति पा सकते हैं. जहां जाकर आप विकास की इबारत देख सकते हैं. इसी कड़ी में हम आपको आज कुछ और अन्य गांवों के बारे में बताएगें. जिन्होंने अपनी विकास गाथा खुद लिखी है.
खोनोमा, नागालैंड

हमारे देश में प्रदूषण आम बात है. पूरे देश के अनेकों शहरों की बात करें तो, हर शहर प्रदूषण की समस्या से परेशान है. हालांकि खोनोमा गांव इस मामले में अन्य शहरों के लिए भी मिसाल है. जिसकी वजह है. इस गांव की हरियाली और यहां रहने वाले लोग. जिन्होंने इस गांव को भारत का ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया का पहला ‘ग्रीन विलेज’ बनाया है.
नागालैंड की राजधानी कोहिमा से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति इस गांव में लगभग 600 घर हैं. जहां औसतन 3000 लोगों की आबादी रहती है. उसके बावजूद भी इस गांव की हरियाली का कोई तोड़ नहीं है.
चारों और आसमान और ऊंचे पहाड़ों से घिरे इस गांव की हरियाली ऐसी है कि, इस गांव में आने वाले से लेकर रहने वाले इंसान का मन तक नहीं ऊबता. खोनोमा गांव अंगमी आदिवासियों का घर है. इन ट्राइबल ग्रुप को खासकर मार्शल आर्ट्स के लिए पहचाना जाता है.
आज हरियाली जहां इस गांव की पहचान बन चुकी है. वहीं विकास और प्रदूषण के नाम पर सरपट रेस में इस गांव ने खुद को काफी पहले ही अलग कर लिया था. यही वजह थी कि, इस गांव ने 90 के ही दशक में वन कटाई और शिकार जैसी क्रियाओं पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी. जिसके चलते आज इस गांव को लोग पहचानते हैं.
किला रायपुर, पंजाब

पंजाब के लुधियाना शहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद किला रायपुर आज भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में मशहूर है. जिसकी वजह है. यहां हर साल होने वाला ‘किला रायपुर ग्रामीण ओलंपिक’. यही वजह है कि, इस गांव की लोकप्रियता ऐसी है कि, इस गांव को पब्लिसिटी के लिए रेल, सड़क और हवाई मार्ग से भी जोड़ा गया है. किला रायपुर में होने वाले इस ग्रामीण ओलंपिक की लोकप्रियता ऐसी है कि, इसे देखने की खातिर देश से ही बल्कि दुनिया से लोग आते हैं.
इस ओलंपिक खेल में हर साल औसतन चार हजार लोग प्रतिभागी बनते हैं. इतना ही नहीं, इस खेल को हर साल फरवरी के महीने में मनाया जाता है. जोकि तीन दिनों तक चलता है. इस दौरान महिलाएं और पुरुष दोनों ही इन खेलों में एक साथ भाग लेते हैं. इन खेलों को देखने की खातिर लाखों की संख्या में लोग आते हैं. यही वजह है कि, इस तीन दिन तक चलने वाले इस समर को ‘ग्रामीण ओलंपिक’ कहा जाता है.
पुन्सरी गांव, गुजरात

सम्रग विकास अगर कहीं दिखाई देता है तो, पुन्सरी गांव मे ही. जिसकी एक वजह है कि, इस गांव में मौजूद यहां के स्कूल. गांव के हर मोहल्ले और चौराहे पर वाटर प्रूफ स्पीकर से सुसज्जित कम्युनिटी रेडियो. वाई-फाई की सुविधा और हर घर मोबाइल, कंप्यूटर. पक्की सड़क, पीने का साफ पानी. यानि की अगर कोई कहे की एक विकसित गांव की परिभाषा क्या है तो, हम पुंसरी गांव कह सकते हैं.
इतना ही नहीं, इस गांव में उच्च तकनीक वाला स्वास्थ्य केंद्र, पुलिस चौकी, गांव में निजी बस की सुविधा तक मौजूद है. साथ ही हर इंसान के लिए महज़ 4 रुपये में 20 लीटर मिनरल वाटर भी मुहैया कराया जाता है. इसके अलावा इस गांव के लगभग 6 हज़ार लोगों को मेडिक्लैम व बीमा की सुविधाएं भी हासिल हैं. जिसकी वजह है. इस गांव की पंचायत जोकि दिन रात गांव के लोगों की सेवा में काम करती है.
साथ ही गांवों की देखरेख लेकर अन्य कामों की खातिर पंचायत ने कर्मचारी भी रखे हुए हैं. जिसे पंचायत अपने फंड से तनख्वाह देती है. इसी वजह से दक्षिण अफ्रीका के नैरोबी बैंक के अध्यक्ष सालेमन ने इस गांव को दुनिया के अन्य गांवों के लिए बेहतर मॉडल बताया था. उन्होंने इस दौरान कहा था कि, दुनिया में मैंने लगभग 50 देशों का दौरा किया. हालांकि पुंसरी जैसा गांव कहीं नहीं दिखाई दिया.
आज अगर यह गांव अपनी सम्रगता की विकास गाथा लिख सका है तो, उसके पीछे यहां के सरपंच हिमांशू पटेल का हाथ है.
पोथानिक्कड़, केरल

आज भले ही हमारे देश में साक्षरता के कैंपेन कितने ही क्यों न चलते हों. फिर भी गांव में कहीं न कहीं साक्षरता दर में कमी दिखाई देती है. हालांकि केरल के एर्नाकुलम जिले में मौजूद पोथानिक्कड़ गांव की साक्षरता दर 100 प्रतिशत है. जोकि पूरे भारत का पहला ऐसा गांव है. जिसकी साक्षरता दर 100 प्रतिशत है.
गांव में मौजूद सेंट मैरी हाई स्कूल पोथानिक्कड़ सबसे पुराना स्कूल है. इसके साथ ही सेंट जॉन हायर सेकंडरी स्कूल भी इस गांव के सबसे अग्रणी शैक्षिक संस्थानों में से एक है. जहां बच्चों को सीबीएसई पाठ्यक्रम के तहत शिक्षा दी जाती है.
आज अपनी साक्षरता दर की वजह से इस गांव में साक्षरता दर सौ प्रतिशत है. जोकि अन्य गांवों और शहरों के लिए मिसाल है.
छप्पर, हरियाणा

हरियाणा में बसा गांव छप्पर भले ही विकास के मामले में सबसे आगे न हो. लेकिन जिस वजह से इस गांव को पहचान मिली है. वो वजह है यहां की बेटियां. इस गांव में जब भी किसी लड़की का जन्म होता है. तो गांव के लोगों के बीच खुशियां मनाई जाती हैं. पूरे गांव में मिठाइयां बांटी जाती हैं. इस दौरान बेटियों की पढ़ाई-लिखाई का भी पूरा ध्यान रखा जाता है. हमारे यहां हर जगह पर बेटों को छूट होती है. उन्हें प्रमोट किया जाता है. बेटे के पैदा होने पर खुशियां मनाई जाती है. हालांकि छप्पर गांव इस मामले में सबसे अलग है.
इतना ही नहीं, इस गांव में घूंघट प्रथा भी नहीं है. यही वजह है कि, यह गांव विकास की होड़ से इतर अनोखा गांव है. इस पूरे बदलाव की वजह यहां की सरपंच “नीलम” के द्वारा संभव हो सकता है.
यह थे कुछ ऐसे भारतीय गांव जिन्होंने दुनिया में अपनी अनोखी छाप छोड़ी है. इसी तरह हम और अन्य गांवों के बारे में आपके लिए लिखते रहेगें.