हमारे देश में हर चीज़ को धार्मिक मान्यता और आस्था के साथ जोड़ कर देखा जाता है। अगर हम अपने दिन की शुरुवात करें तो ऐसी कई बातें हमें दिनभर देखने और सुनने को मिलती है। इसका सबसे बड़ा रीज़न है कि पहले के टाइम में लोग उतने ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हुआ करते इसलिए पिछड़े इलाकों में हर चीज़ को अंधविश्वास से जोड़कर देखा जाने लगा। मगर कहीं कुछ बदलाव हुए तो कहीं चीजें बिलकुल वैसी की वैसी हैं। ज्यागदातर लोग आज भी हर बात को धर्म के नज़रिए से देखते हैं, इतना ही नहीं यहां पर तो बीमारियों का नाम भी भगवान से जोड़ दिया जाता है। इन बीमारियों में सबसे ऊपर है चिकन पॉक्स की। इस बीमारी को को आज भी हमारे देश में माता की ओर से मिली सजा माना जाता है। आज शहरों में तो लोग अब ये सब बातें नहीं मानते मगर आज भी गांव कस्बों में कई लोग तो इस बीमारी में दवाईयां देने से भी मना करते हैं और इस बीमारी के उपचार के लिए सिर्फ नीम की पत्तियां और डालियां ही इस्तेमाल करते हैं। इन चीज़ों को मरीज़ के सिरहाने रखकर इस बीमारी के ठीक होने तक का इंतज़ार किया जाता है। यही नहीं मरीज को डॉक्टर के पास ले जाने की जगह इसे माता का प्रकोप मानकर दिन रात पूजा करते हैं। तो आप भी शायद आजतक ये नहीं जानते होंगे कि हमारे देश में चिकन पॉक्स को माता क्योंय कहा जाता है, आपने इससे पहले इस बात पर गौर ही नहीं किया होगा कि इसके पीछे क्यां वजह है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि चिकन पॉक्स को माता क्यों कहा जाता है।
Chicken pox से जुड़ी हैं कुछ धार्मिक मान्यताएं
दरअसल इस बीमारी और इस मिथ से एक पौराणिक मान्यबता जुड़ी हुई है जिसके कारण इस बीमारी को माता कहा जाता है। मेडिकल साइंस के मुताबिक चिकन पॉक्स खसरा से फैलने वाली एक गंभीर बीमारी है जोकि सीधे हमारी हाइजीन यानि साफ़ सफाई से जुड़ी हुई मानी जाती है। जबकि भारत के कई इलाकों और गांवों में आज भी इस बीमारी को माता शीतला से जोड़कर देखा जाता है जोकि मां दुर्गा का ही एक रूप है। इस देवी के बारे में बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि इनके एक हाथ में झाडू और दूसरे हाथ में पवित्र जल का पात्र होता है और इसके एक ओर माता नाराज़ होकर झाडू से रोग देती है तो वहीं उचिता पूजा और सफाई होने पर पवित्र जल से बीमारी को हर लेती हैं। प्राचीन मान्यचता के अनुसार फोड़े-फुंसी या घाव से पीडित हो उसे मां शीतला की पूजा करनी चाहिए। पूजा करने से मां शीतला प्रसन्नस होती हैं और मरीज़ के शरीर को ठंडक मिलती है। इससे रोग बिलकुल ठीक हो जाता है। इसलिए इस बीमारी को माता कहा जाता है।
Chicken pox बीमारी है इसलिए इसे माता या देवी ना मानें
अब अगर बात दूसरी मान्यता की करते हैं तो 90 के दशक तक चिकन पॉक्स की कोई दवा या इंजेक्शयन मौजूद नहीं थे और उस समय इस बीमारी का प्रकोप कुछ ज्यावदा ही हो गया था। ऐसे में इससे बचने के लिए वैद्यों ने लोगों को कुछ घरेलू उपाय बताए जिनमें साफ-सफाई का विशेष ध्याेन रखना शामिल था। अब क्योंकि हम इंडियंस कोई कोई भी काम मन लगाकर तभी करते हैं जब उसे धर्म से जोड़ दिया जाए इसलिए इस बीमारी को भी देवी से जोड़ दिया गया। क्योंकि अगर वैद्य कहते तो कोई भी साफ़ सफाई का ध्यान रखता नहीं इसलिए इसे शीतला माता से जोड़ दिया गया कि अब माता ठीक तभी करेंगी जब आप साफ़ सफाई रखोगे। उस समय माना गया कि जिन लोगों से देवी नाराज़ हो जाती हैं उन्हेंख खुद से बीमारी देती हैं और ऐसे में इस बीमारी से अगर निजात पाना है तो लोगों को मां शीतला की पूजा करनी होगी और इससे पीडित व्यरक्ति को साफ-सफाई का खास ध्याान रखना पड़ता है। धीरे-धीरे ये मान्यतता प्रचलित हो गई और आज भी इसे ही माना जाता है। बस तभी से ये मान्यता आजतक चली आ रही है। आज भी आप घर में अपने बड़े बुजुर्गों से चिकन पॉक्स के बारे में पूछेंगे तो वो इसे छोटी माता ही कहेंगे।