#TeaLover आज के वक्त में ये हैशटैग लोगों की पहचान बनता जा रहा है. चाय प्रेमी होना भी मानों एक ट्रैंड बन गया है. जहां कुछ लोग केवल नाम के लिए चाय की चुस्कियां लेते थे आज वो भी खुदकों टी-लवर कहते हैं. और तो और अगर आप अपने ही सर्कल में नजर घुमा के देखेंगे तो आपको एक दो दोस्त ऐसे दिख ही जाएंगे जिनके लिए चाय हर दर्द की दवा है और ऐसे दोस्त चाय के लिए गूगल पर बेस्ट चाय स्पॉट की भी तलाश करने बैठ जाते हैं. तो आज हम आपको एक ऐसे ही चाय स्पॉट के बारे में बताने वाले हैं जहां ना सिर्फ आपको मिट्टी के कुल्हड़ में गर्मागर्म चाय पीने का लुत्फ़ मिलेगा बल्कि यहां अगर आप टी-लवर बनकर पहुंचेंगे तो वापस नेचर लवर बनकर ही लौटेंगे.. और तो और इस टी-स्टॉल की खासियत ये है कि इनकी चाय का स्वाद कभी नहीं बदलता..
यानी अगर आप एक बार चाय पीने के बाद एक महीने बाद यहां आएंगे तब भी आपको वही पुराने स्वाद के साथ नई चाय मिलेगी.. अब ऐसा क्यों हैं. ये भी हम आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले बात करते हैं कि आखिर ये टी-स्पॉट है कहां, और इस अनोखे आइडिया के पीछे किसका हाथ है..
नवंबर 2021 में हुई थी Chaist की शुरूआत
हरियाणा के गुरूग्राम के सेक्टर 44 में मौजूद है Chaist.. जिसकी शुरूआत नवंबर 2021 में धीरज पाटीदार और निलेश पाटीदार ने मिलकर की थी. जहां शुरू शुरू में धीरज पाटीदार ने पार्ट टाइम के तौर पर चाय बेचने का काम शुरू किया था वहीं जब लोगों को उनके हाथ की चाय पसंद आने लगे तो उन्होंने इसे अपनी टीम तैयार कर इस टी-स्टॉल को बड़ा करने का मन बनाया.
धीरज की मानें तो वो खुद भी एक #TeaLover हैं और गुरूग्राम में आस-पास उन्हें कहीं चाय का वो स्वाद नहीं मिला जिसे पीने के बाद मुंह से निकले.. वाह ! मजा आ गया.. बस इसी स्वाद की तलाश में उन्होंने खुद ही चाय बनाने का फैसला किया और तैयार की ऐसी चाय की रैसिपी जिसे एक बार पीने के बाद आप उसका स्वाद कभी नहीं भुला पाएंगे.
धीरज बताते हैं कि उन्होंने सबसे पहले 200 से 250 लीटर दूध का इस्तेमाल करते हुए ऐसी चाय बनाई जिसका स्वाद कभी नहीं बदलता. और हैरानी की बात तो ये रही कि लोगों को भी इसका स्वाद खूब भा गया.. सोने पर सुहागा तो तब हुआ जब धीरज और निलेश ने मिलकर लोगों को उनके कुल्हड़ में चाय पीने के बाद एक प्लांट लगाने का ऑफर शुरू कर दिया.
जी हां, लोगों को चाय के साथ प्रकृति से जोड़ने की ये पहल बहुत अनोखी और खास है. दरअसल, धीरज और निलेश अपने ग्राहकों को चाय पीने के बाद उसी कुल्हड़ में 20-25 रूपये एक्स्ट्रा लेकर पौधे लगाने का ऑफर करते हैं जिन्हें आप चाहें तो अपने ऑफिस में ऑफिस डेस्क पर सजा सकते हैं या घर भी ले जा सकते हैं. यानी कि पहले लोगों को मिट्टी के कुल्हड़ में गर्मागर्म चाय पिलाई जाती है फिर चाय इन्हीं कुल्हड़ों का दोबारा इस्तेमाल हो जाता है.
Also Read – चलता-फिरता चाय वाला, जोकि कमाता है हर महीने 2 लाख रुपये
जाहिर है कि धीरज और निलेश की ये पहले जितनी अनोखी है उतनी ही खास भी है. कुल्हड़ों को फेंकने की जगह उनका फिर से इस्तेमाल करना और चाय का स्वाद हमेशा एक जैसा रहना.. ये जुगाड़ु ख्याल ही इस स्टार्टअप को खास बनाता है और हमारी भारतीयता को भी दर्शाता है.