Bluetooth लगभग हर फ़ोन में होता है। फोन ही नहीं बल्कि कम्प्यूटर तमाम गैजेट्स, टीवी और गाडी में भी हम ब्लूटूथ कनेक्ट कर सकते हैं। इसने ना सिर्फ मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल को और बेहतर बना दिया बल्कि फाइल शेयरिंग को भी बहुत ही मामूली काम बना दिया | इसने पूरी दुनिया को wireless communication का नया मतलब सिखा दिया | लेकिन ये जो नाम है, ‘ब्लूटूथ’, आपको कुछ अजीबोगरीब नहीं लगता ? आखिर क्या सोचकर इस वायरलेस टेक्नीक का नाम ‘ब्लूटूथ’ रखा गया ? इस सवाल का जवाब इस वीडियो में है, देख लीजिये क्योंकि ये नाम जुड़ा है एक राजा की कहानी से और आपका थोडा सा नॉलेज भी बढ़ जाएगा।
Bluetooth – नाम किसने और क्यों रखा ?
Bluetooth के पीछे की कहानी बड़ी इंटरेस्टिंग है। 10वीं सदी में एक राजा हुआ करता था जिनकी वजह से ही हमें Bluetooth नाम मिला। तो कहानी पहले शुरू करते हैं 1996 से जब कुछ बड़ी टेक कंपनियों जैसे Intel, Ericsson, Nokia, और बाद में IBM ने मिलकर टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में Short-range wireless link लिंक के लिए नया स्टैण्डर्ड बनाने के बारे में सोचा जिससे की कुछ नए काम किए जा सके। इसके लिए हर कंपनी ने खुद की शोर्ट-रेंज रेडियो टेक्नोलॉजी develop की, लेकिन जो भी नाम उन्होंने इस टेक्नोलॉजी को दिए। वो किसी के भी गले नही उतरे मतलब वो नाम किसी को भी पसंद ही नहीं आए।
इन सभी कम्पनी का उद्देश्य था, एक short-range wireless link के साथ PC और Cellular को एकजुट करना। फिर उसी वक़्त एक ऐतिहासिक किताब का ज़िक्र छिड़ा, जिसका नाम था The Longships by Frans G. Bengtsson. जो मध्ययुग के स्कैंडिनेवियाई Harald Gormsson के ऊपर थी। जिन्होंने सन 940 से सन 986 तक डेनमार्क और नॉर्वे पर शासन किया। उस वक़्त कई मध्यकालीन शासकों की तरह उनका भी एक उपनाम था Blatonn, जिसका एक और मतलब भी था Bluetooth . वो अपने मूल नाम की जगह Harald Bluetooth के नाम से जाने जाते थे। राजा Harald Bluetooth सन 940 में अपने पिता के अधूरे काम को पूरा करना चाहते थे। उनके पिता की इच्छा थी कि, डैनिश जनजातियों को संगठित करके एक डैनिश साम्राज्य बनाया जाए। इसलिए राजा Harald Bluetooth ने अपने शासनकाल के दौरान डेनिश योद्धाओं को एकजुट किया था, और वो एक अच्छे शाशक के रूप में जाने जाने लगे।

बाद में इसलिए ही राजा Harald स्कैंडेनेविया को एकजुट करने के लिए फेमस हुए। तो बस इस किताब में राजा हेराल्ड ब्लूटूथ के ज़िक्र के बाद सारी कम्पनीज़ जो wireless communication पर काम कर रही थीं। उन्होंने आखिरकार ब्लूटूथ नाम को फाइनल किया गया। शायद इसका मकसद ये था कि जिस तरह राजा ने अपनी प्रजा के साथ विशवास कायम किया और प्रजा को खुद से जोड़े रखा कुछ वैसा ही काम इस वायरलेस टेक्नीक का होगा। जो एक डिवाइस को दूसरी डिवाइस से जोड़ेगी और कस्टमर के साथ अपना भरोसा बनाएगी।
आज मार्किट में इतनी कम्पनी हैं जिनके बीच अच्छा ख़ासा कम्पटीशन है। ऐसे में हर कोई कम्पनी चाहती है कि उसके ब्रांड का नाम सबसे अलग हो और ये नाम मीनिंगफुल हो। ऐसे में जब कोई कम्पनी ऐसा नाम सेलेक्ट करती है जो सबसे अलग हटकर हो और उसके पीछे एक महान कहानी हो और वो नाम किसी हिस्ट्री से भी जुड़ा हो तो वो नाम कंपनी के लिए और भी ज़्यादा वैलुएअबल हो जाता है। कुछ इसी सोच के साथ इस वायरलेस टेक्नीक का नाम ब्लूटूथ रखा गया।
Bluetooth – सिर्फ नाम ही नहीं साइन का भी है इतिहास
मगर ये ऐतिहासिक कहानी यही ख़त्म नहीं होती | Bluetooth का logo लोगो भी “Harald Blatand” से बनाया गया है, इमेज में आप देख सकते है की राजा Harald Blatand के समय के दो फेमस चिन्हों ᚼ और ᛒ को मिलाकर Bluetooth का logo तैयार किया गया है, जिसमे ᚼ का मतलब “H” और ᛒ का मतलब “B” से है | इन दोनों को ब्लू बैकग्राउंड पर मिलाने के बाद आपको Bluetooth का logo नजर आ जाएगा। तो इस तरह राजा हेराल्ड ब्लूटूथ के सिर्फ नाम को ही नहीं बल्कि उनके साइन का भी इस्तेमाल ब्लूटूथ में किया गया है।