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छोटू जरा एक कप चाय देना, छोटू यहाँ गंदगी है कपड़े से इस साफ करना. किसी भी दुकान, रेस्टोरेंट या ऐसी किसी भी जगह पर जाकर हमने इस तरह की लाईने न जाने कितनी ही बार बोली होंगी. हमारे आस-पास अनेकों जगह हमें छोटी उम्र के बच्चे काम करते दिखाई […]

सफलता कहीं जमीन में दफ्न नहीं होती. ऐसा भी नहीं होता कि, पलभर में आप सफलता के मुकाम को पा लें. जब कभी हम कुछ अलग करने की कोशिश करते हैं तो, हमें हज़ारों दुश्वारियां रोकती हैं. कई बार ऐसा होता है कि, परिस्थितियां हमारे विपरीत होती हैं. लेकिन इन […]

सच है विपत्ति जब आती है, कायर हो की दहलाती है. सूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते. बचपन में हिंदी की किताब में हम में से अनेकों लोगों ने ये पक्तियां जरुर पढ़ी होंगी. इन पक्तियों का मतलब भी हमें बाखूबी मालूम होगा. अगर नहीं तो चलिए […]

The Indianness की कोशिश हमेशा रहती है कि, आपको बेहतर भारत की वो तस्वीर दिखाई जाए. जोकि असल भारत है. हमारे देश में अनेकों ऐसे लोग हैं. जो हर रोज़ बेहतर काम करते हैं, अपने समाज से लेकर अपने आस-पास के परिवेश को बेहतर करने की दिशा में काम करते […]

पिता एक शब्द नहीं. एक संसार की कल्पना है. एक छत है. घर का निर्माण कभी महज़ दीवार बना लेने से नहीं होता. उसे जरुरत होती है एक छत की अगर आज हम कहें कि, पिता ठीक वही छत है. जिसके आगोस में हम रहकर धूप, बारिश, जाड़ा, आंधी-तूफान सबसे […]

आज़ादी के बाद से जब हमारे देश ने विकास की पगडंडी पर चलना शुरू किया होगा तो, उसे जरुरत पड़ी होगी गांवों, कस्बों को एक शहर में तब्दील करने की. ताकि विकास की एक लंबी डोर की शुरुवात हो सके. हालांकि जिस तरह से हमने और हमारे पूरे समाज ने […]

हमेशा हम अपने देश की तमाम बेहतरीन इंसानों से लेकर, बेहतरीन कामों को आपके सामने लेकर आते हैं. हालांकि आज की स्टोरी काफी अलग है. क्योंकि आज की स्टोरी हमारे देश की नहीं Indonesia की स्टोरी है. आज पर्यावरण के नाम पर महज़ गिने चुने लोग हैं. जो इस तरह […]

अक्सर किसी भी सफर के दौरान हमें सड़कों के किनारे, सड़कों के बीच में कुत्तों की लावारिस लाश दिखाई देती है. गलियों से लेकर मोहल्लों में आवारा और बेजुबान कुत्ते दर-दर भटकते रहते हैं. लोग उन्हें कभी दुत्कार देते हैं. कभी बेरहमी से मार देते हैं. हालांकि कम ही लोग […]

दुनिया महामारी, पानी की कमी, प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग न जाने किसी किसी समस्याओं से जूझ रही है. अगर हम ये भी कहें की इसकी जिम्मेदार भी मानव जाति खुद ही है तो, शायद कहना गलत नहीं होगा. इंसानों ने घरती पर आने के बाद से शायद ही कभी धरती की […]