कोरोना वायरस ऐसा है कि अभी तक विज्ञान के पास इसका कोई काट नहीं है. भारत समेत दुनिया भर के वैज्ञानिक इस वायरस का अंटिटोड बनाने में लगे हैं, कुछ देशों में इनके एंटीडोट के बनाए जाने की बात भी सामने आई है. लेकिन अभी तक इंसानों पर इसके इस्तेमाल का कोई परिणाम नहीं सामने आया है. वहीं कोरोना वायरस के एंटीडोड बनाने की रेस में भारत भी लगा हुआ है. भारत की कई कंपनियां इस काम में लग हुई हैं. लेकिन आज के आधुनिक विज्ञान के संग ही भारत के पास एक प्लस प्वाइंट भी है और ये है यहीं इलाज के दूसरे तरीके जिनमें आयुर्वेद, यूनानी और हेमियोपैथी जैसी चीजें आती हैं. इनमे में सबसे ज्यादा भरोसेमंद है भारत का प्राचीनतम ज्ञान आयुर्वेद. जिसे आज के समय में दुनिया मानने भी लगी है.
आयुर्वेद से खत्म होगा Corona

आयुर्वेद और योग, ये दुनिया को भारत की ओर से दी गई वो प्राचीन विद्या है. जो लाखों सालों से दुनिया के लोगों को स्वस्थ रखने में मदद करती आ रही है. वहीं जब आज दुनिया एक ऐसे दौर में है जब उसके पास एक वायरस से सिर्फ बचने के आलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है, तब आयुर्वेद जैसी विद्या की और फिर से लोगों का ध्यान गया है. लोग आयुर्वेद की तरफ एक बार फिर से आशा की नजरों से देख रहे हैं. तभी तो भारत की सरकार ने इस काम के लिए आयुष मंत्रालय को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है.

आयुर्वेद और पारंपरिक दवाइयों के जरिए इस खतरनाक बीमारी पर काबू पाने की दिशा में ICMR ( भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) जैसे संस्थान रिसर्च कर रहे हैं. भारत सरकार ने एक टास्क फोर्स बनाया है, जो साथ मिलकर रिसर्च को तेजी से आगे बढ़ाने का काम करेगी, साथ ही केंद्रीय मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा है कि, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने एक टास्क फोर्स गठित किया है. जो आयुर्वेद और पारंपरिक दवाइयों के मेडिकल फॉर्मूले को COVID-19 के खिलाफ वैज्ञानिक तरीके से प्रयोग करने की दिशा में काम करेगा. केंद्रीय मंत्री की मानें तो, अब तक 2000 प्रस्ताव मिले हैं. इनमें से कई सुझावों की वैज्ञानिक वैधता चेक करने के बाद उसे ICMR और अन्य रिसर्च संस्थानों को भेजे जाएंगे.’
इसी बीच आयुर्वेद और योग के लिए विश्व ख्याति प्राप्त बाबा रामदेव की पतंजलि की और से भी इसको लेकर एक शोध किया गया है. पतंजलि योगपीठ ने आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया है कि आयुर्वेदिक की दवाओं से न सिर्फ Covid-19 का शत-प्रतिशत इलाज संभव है, बल्कि इसके संक्रमण से बचने को इन दवाओं का बतौर वैक्सीन भी इस्तेमाल किया जा सकता है. आचार्य बालकृष्ण की मानें तो पतंजलि अनुसंधान संस्थान में इस पर तीन माह तक चले शोध और चूहों पर कई दौर के सफल परीक्षण के बाद यह निष्कर्ष सामने आए हैं. उन्होंने बताया कि अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी और स्वासारि रस का निश्चित अनुपात में सेवन करने से कोरोना संक्रमित व्यक्ति को पूरी तरह स्वस्थ किया जा सकता है. इसके बारे में वो ये भी बताते हैं कि 12 से अधिक शोधकर्ताओं ने आयुर्वेदिक गुणों वाले 150 से अधिक पौधों के 1550 कंपाउंड पर दिन-रात शोध कर यह सफलता हासिल की है. पतंजलि का यह शोधपत्र अमेरिका के वायरोलॉजी रिसर्च मेडिकल जर्नल में प्रकाशन के लिए भेजा गया है, वहीं अमेरिका के ही इंटरनेशनल जर्नल ‘बायोमेडिसिन फार्मोकोथेरेपी’ में इसका प्रकाशन हो चुका है.

पतंजलि को मिला Covid-19 का तोड़
पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख एवं उपाध्यक्ष डॉ. अनुराग वार्ष्णेय बताते हैं कि, Covid-19 के इलाज की सारी विधि महर्षि चरक के प्रसिद्ध ग्रंथ ‘चरक संहिता’ और आचार्य बालकृष्ण के वर्तमान प्रयोगों एवं सोच पर आधारित है. वे कहते हैं ‘Covid-19 कोरोना फैमिली का सबसे नया एवं खतरनाक वायरस है. इसकी प्रकृति इससे पहले आए इसी फैमिली के ‘सॉर्स’ वायरस से काफी मिलती-जुलती है. डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने बताया कि उनकी टीम को ‘Covid-19 के इलाज और दवा की खोज के लिए सॉर्स वायरस पर हुए शोधों से काफी मदद मिली. इसके बाद सॉर्स वायरस और ‘Covid-19 की कार्यप्रणाली पर शोध किया गया. इसमें दोनों की समानता और अंतर को तय करने के साथ ही ‘Covid-19 की मानव शरीर में कार्यप्रणाली एवं मारक क्षमता का विस्तृत अध्ययन किया गया.
डॉ. वार्ष्णेय बताते हैं कि, योग गुरु बाबा रामदेव की सलाह एवं निर्देश पर आचार्य बालकृष्ण के सानिध्य में जनवरी 2020 से इस पर शोध शुरू किया गया. वे कहते हैं कि इस दवा को ‘नोजल ड्रॉप’ के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने इस दवा के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी प्रमुख संस्थानों, जर्नल आदि से प्रामाणिक होने कि भी बात कही है. हालांकि अभी सरकार की ओर से ऐसा दावा नहीं किया गया.
पतंजलि के इस रिसर्च पेपर पर दुनिया क्या कहती है, ये आगे की बात है. लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता की योग और आयुर्वेद के उपायों से आम इंसान खुद को कोरोना संक्रमण से बचाए रख सकता है. आयुर्वेद में बताए गए त्री सिद्धांत जो वात, पित और कफ के नियंत्रण पर आधारित है. उनके उसका सार्थक असर हमारे शरीर पर दिखता है. ये त्रि सिद्धांत हमारी इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग करती है और स्ट्रॉन्ग इम्यून सिस्टम कोरोना से बचाव का एक सबसे पहला स्टेप है. कहते हैं कि आयुर्वेद अंतिम सांस तक आस नहीं छोड़ता, ऐसे में अगर सरकार और आयुर्वेदिक संस्थाओं की ओर से अगर कोई कारगर इलाज सामने आता है तो वो निश्चित ही मानवता के हित में होगा.