अक्सर जब हम खेती-किसानी की बात करते हैं तो, सबसे पहले खेत में एक किसान हमारी कल्पनाओं में गूंज उठता है. जिसकी वजह है हमारा परिवेश. हमने खेती-किसानी को महज़ खेतों की मिट्टी से जोड़कर रख दिया है. या फिर यूँ कहें कि तन पर एक झन्नेदार बनियान और हाथों में हल या कुदाल बस इतना ही. हाँ मगर जैसे-जैसे वक्त बदल रहा है. खेती के प्रारूप हर दिन बदल रहे हैं. ऐसे न जानें कितने युवा हैं. जो खेती को ही अपना व्यवसाय बना रहे हैं. यही नहीं न जाने कितने ही लोग ऐसे हैं जो अपनी नौकरी छोड़कर खेती में अपना हाथ आजमा रहे हैं. वो भी बिना मिट्टी के. बिना मिट्टी के होने वाली इस खेती को हाइड्रोपोनिक तकनीक कहते हैं. हाइड्रोपोनिक शब्द ग्रीक शब्द ‘हाइड्रो’ और ‘पोनास’ से मिलकर बना हुआ है. जिसका मतलब होता है पानी (हाइड्रो) और कार्य (पोनोस)
अब यहाँ बिना मिट्टी के खेती सोचने वाली बात है. हाँ मगर ‘हाइड्रोपोनिक विधि’ के जरिए बिना मिट्टी के कम से कम जगह में खेती की जा सकती है. इस खेती को करने के लिए सिर्फ पानी और कुछ पोषक तत्वों की जरूरत होती है. जिसके जरिए कोई भी इंसान साग-सब्जियों से लेकर अन्य कई किस्में की चीजें उगा सकता है. यही वजह है कि, इन दिनों शहरों क्षेत्रों में लोग ‘हाइड्रोपोनिक विधि’ के जरिए अपने छतों पर खेती कर रहे हैं साथ ही अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. ठीक इसी तरह ही एक शहरी किसान हैं अंकित गुप्ता, जोकि पंजाब के लुधियाना के रहने वाले हैं.
39 साल के अंकित गुप्ता यूँ तो बैंक में क्लर्क के तौर पर काम करते थे. हालांकि ‘हाइड्रोपोनिक विधि’ की खेती आज उनकी पहचान बन चुकी है. यही वजह है कि, उनकी उगाई गई सब्जियां आज लुधियाना के साथ-साथ आसपास के शहरों में भी पहुंच रही है. यही वजह है कि, अंकित ने अपनी इस शहरी खेती को पर देने के लिए आज अपना स्टार्टअप शुरू कर दिया है. जिसका नाम है ‘हाइड्रोपोनिक्स’, इसके जरिए आज अंकित लोगों को ‘हाइड्रोपोनिक विधि’ सेट-अप के साथ-साथ इस खेती को कैसे शुरू किया जाए सिखाते हैं.
हाइड्रोपोनिक खेती की ऐसे हुई शुरूवात
भारतीय नौसेना में अपनी सेवा दे चुके अंकित गुप्ता ने अपने रिटायरमेंट के बाद बैंक में बतौर क्लर्क काम करना शुरू किया था. साथ ही बागवानी का शौक उन्हें बचपन से था. जिसके चलते वो हमेशा से अपने घर की छत पर बागवानी लगाया करते थे.
जिसके बारे में अंकित बताते हैं कि, “मैं हमेशा से बागवानी करना चाहता था. यही वजह थी कि मैं बागवानी को अलग तरीके से करने की योजना पर काम किया करता था. जिसकी एक खास वजह ये भी थी कि, छत पर बागवानी के लिए मिट्टी की जरूरत होती है. ऐसे में मिट्टी भारी होती है. इसलिए मैं अलग विधि तलाशता रहता था. एक दिन मैंने ‘हाइड्रोपोनिक विधि’ से खेती के बारे में यूट्यूब पर वीडियो देखा. मुझे ये तरीका काफी खास लगा. साथ ही इसके बारे में हमारे यहां किसी को मालूम नहीं था. जिसके चलते मेरी रूचि इसमें बढ़ गई और मैंने फिर आने वाले अपने छह महीने यूट्यूब पर हाइड्रोपोनिक खेती की जानकारी ली. इसके साथ इसको पढ़ा भी. फिर ये खेती शुरू करने की योजना बनाई.”
अकिंत जिस समय हाइड्रोपोनिक खेती की शुरूवात करना चाहता थे. उस समय उनके सामने चुनौती थी अपने घर वालों को समझाने के साथ-साथ इसका सेटअप तैयार करना. यही वजह थी की अंकित बताते हैं कि, “हाइड्रोपोनिक विधि के बारे में किसी को मालूम न होने के चलते मुझे घरवालों को समझाने में मुश्किल दे रहा था. वहीं जब मैं अपने आस-पास हर तरफ पता किया तो भी जवाब न ही मिला. जिसके बाद मैंने सोशल मीडिया के जरिए अलग-अलग शहरों में ‘हाइड्रोपोनिक विधि’ से खेती कर रहे लोगों से संपर्क करना शुरू किया.”
शुरूवात में महज़ 50 पौधों का लगाया हाइड्रोपोनिक सेटअप
अपनी खेती के शुरूवाती समय में अंकित ने महज़ 50 पौधों वाले सेटअप को तैयार कर उसमें पालक लगाई. जिसमें उन्हें काफी उम्दा सफलता मिली. जिसके बाद अंकित कहते हैं कि, “यही वजह थी कि, मैंने अपने सेटअप बढ़ाना शुरू कर दिया. आज मेरे पास दो हजार से ज्यादा पौधों वाला सेटअप है. जिसमें मैं डीप फ्लो तकनीक (DFT) से सब्जियों को उगा रहा हूँ. यही नहीं मेरे पास 50 ग्रोबैग भी हैं. जिनमें मैं कोकोपीट और पर्लाइट जैसे पोषक तत्वों की मदद से कई तरह की सब्जियों का उत्पादन करता हूँ.”
‘हाइड्रोपोनिक विधि’ की खेती में लागत
अंकित कहते हैं कि, इस खेती में मैं पालक, लेटस, टमाटर, मिर्च, खीरा, मटर और अन्य तरह की सब्जी उगाता हूँ. जबकि इस पूरे सेटअप में मैंने अब तक लगभग डेढ़ लाख रुपये खर्च किए हैं.
शुरूवाती समय में अपने परिवार के लिए ये खेती शुरू करने वाले अंकित कहते हैं कि, “जिस समय मैंने ये खेती शुरू की थी. उस समय मेरा कोई इरादा नहीं था कि, इस खेती को मैं अपनी आय का जरिया बनाऊं. मगर लॉकडाउन के दौरान जब लोगों को समस्या होने लगी. लोग बाहरी चीजों से बचने लगे तो मेरे जानने वाले मुझसे सब्जियां मांगने लगे. धीरे-धीरे मांग बढ़ने लगी और मैंने अपना स्टार्टअप ‘सेवनसीज हाइड्रोपोनिक्स’ शुरू करने की योजना बनाई. आज मेरे इस ‘सेवनसीज हाइड्रोपोनिक्स’ स्टार्टअप से लगभग 70 ग्राहक नियमित जुड़ चुके हैं. जिन्हें में व्हाट्सअप और फोन कॉल के जरिए सब्जियां भिजवाता हूँ.”
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एक तरह जहां अंकित के ग्राहकों में हर रोज इजाफा हो रहा है तो दूसरी ओर मांग भी बढ़ रही है. जिसकी वजह है इन दिनों का खान पान, वहीं हाइड्रोपोनिक विधि से उगाई गई सब्जियां रसायन मुक्त होती हैं. ऐसे में अंकित लोगों को अपने स्टार्टअप ‘सेवनसीज हाइड्रोपोनिक्स’ के जरिए हाइड्रोपिनक सेट अप की खेती के गुण बता रहे हैं. यही वजह है कि, अंकित इन दिनों इस खेती के जरिए 40 हज़ार रुपये से ज्यादा की कमाई हर महीने कर रहे हैं.
अपनी इस खेती पर खुशी जाहिर करते हुए अंकित कहते हैं कि, आज मेरी एक छोटी-सी कोशिश बिजनेस में बदलने को है. मैं अपने परिवार को भी इस खेती से जोड़ना चाहता हूँ. साथ ही उन लोगों को भी जो कम जगह में भी बागवानी करना चाहते हैं. इसलिए मैं सभी लोगों को हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से जुड़ने की बात करता हूँ.