अकबर और बीरबल के किस्से हम बचपन से सुनते आ रहे हैं जिसमें बीरबल की होशियारी की बातें सबसे ज़्यादा होती हैं। अकबर के दरबार में बहुत की ज्ञानी महापुरूष रहतें थे जो अकबर को दिशानिर्देंश देते थे जिस कारण राजा अकबर हमेशा से ही विजयी होता था। वहीं बुद्धिमान लोग राजा के नौ रत्न कहलाते हैं और उनका एक हिस्सा बीरबल भी थे जो बहुत ज़्यादा बुद्धीमान थे। लेकिन एक सवाल हमेशा आपके मन में आता होगा कि आखिर अकबर बीरबल की जोड़ी बनी कैसे और कैसे इतना अनमोल रत्न राजा अकबर को मिला होगा। चलिए तो आज हम आपको अकबर और बीरबल की मुलाकात के बारें में बतातें हैं कि आखिर कैसे राजा अकबर को बीरबल मिलें और इन्होंने बीरबल को कैसे अपने नौ रत्नों में शामिल किया। पहले राजा-महाराजा खाना खाने के बाद में पान खाना पसंद करते थे ऐसा ही शौक अकबर को भी था। जिसके लिए उन्होंने मुरलीधर नाम के व्यक्ति को केवल पान बनाने के लिए रख रखा था। एक दिन वो अकबर को पान देकर घर जा रहा था कि एक सिपाही ने उसे रोक लिया और बोला तुम्हें महाराज ने बुलाया। जिसके बाद मुरलीधर अकबर के पास जाकर बोला आज्ञा महाराजा। अकबर ने कहा कि तुम कल 1 किलो चूना लेकर आना। मुरलीधर बोला जी हुजूर ले आऊंगा।
akbar birbal के किस्से आज भी हैं मशहूर
अगले ही दिन मुरलीधर चूना लेकर महल की ओर जा रहा होता हैं तो रास्तें में उसे उसका प्रिय मित्र महेशदास मिल जाता हैं। जिसकी बुद्धिमत्ता के चर्चें हर जगह पर थे। वह मुरलीधर से बोला कि अरें भाई आज इतना चूना लेकर कहां जा रहे हो। मुरलीधर बोला क्या बतायें राजा अकबर ने मंगवाया हैं ये सुनकर महेशदास बोला क्यों क्या करेंगे महाराज इस चूने का। मुरलीधर कुछ नहीं जानता था इसलिए महेशदास समझ गया कि मेरे मित्र के प्राण संकट में और वो मुरलीधर से बोला कि कहीं ये तुम्हें ही ना खाना पड़े इसलिए मेरी बात मानों और 1 किलो घी पीकर ही महल जाना। ऐसा कहकर हसंते हुए महेशदास चला गया अब क्या था मुरलीधर ने सोचा महेशदास की हर बात सहीं ही होती हैं मैं घी पीकर ही जाऊंगा। इधर अकबर आग बबुले हो रहे हैं कि मुरलीधर अभी तक क्यों नहीं आया इतने में मुरलीधर आ जाता हैं फिर क्या था। अकबर बोले चूना लाए हो वो बोला हां महाराजा क्या करना हैं। अकबर ने कहा कल तुमने हमारे पान में इतना चूना मिला दिया कि हमारा मुंह कट गया। इसकी सजा ये हैं कि तुम्हें ये सारा चूना खाना होगा। अब मुरलीधर महेशदास को मन ही मन में धन्यवाद दे रहा था और सैनिक के सामने ही सजा में सारा चूना खाने लगा। फिर मुरलीधर महाराज के लिए पान लेकर उनके कक्ष में पहुंच गया और बोला लीजिए महाराज आपका पान।
अकबर बीरबल – बीरबल की बुद्धिमानी से प्रभावित थे अकबर
मुरलीधर को देखकर अकबर चौंक उठा और तुम जिंदा कैसे हो। मुरलीधर बोला कि महाराज मैंने 1 किलो घी पी रखा था इसलिए मेरे प्राण बच गए। अकबर बोला तुम जानते थे कि चुना तुम्हें खाना पड़ेगा वो बोला नहीं मुझे तो मेरे मित्र मोहनदास ने कहा था कि ये चूना तुम्हें खाना पड़ सकता हैं इसलिए अपने प्राण बचाने के लिए घी पीकर जाना। इस तरह अकबर ने मोहनदास को महल बुलाया और इनाम देते हुए कहा कि हम तुम्हारीं चतुराई से प्रसन्न हुए आज से तुम्हारा नाम बीरबल होगा और आज से तुम हमारे नौ रत्न का हिस्सा हो। टी इस तरह बीरबल पहले मोहनदास हुआ करते थे जो बाद में अपनी होशयारी से मोहनदास बने और अकबर के प्रिय भी बन गए।