जब हमें मन्नतें मांगनी होती है तो हम अपने धर्म अपने समुदाय के मंदिर, मस्जिद से लेकर चर्च तक जाते हैं. कभी सुबह जाकर वहां माथा टेकते हैं तो कभी अपनी झोली फैलाए वहां मौजूद अपने भगवान से कुछ मांग आते हैं.
लेकिन मंदिर मस्जिदों के बाहर कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो बाहर बैठे बैठे शायद ही मंदिर, मस्जिद के अंदर जाते हैं क्योंकि वो लोग वहां की सीढ़ियों पर बैठे बैठे दो वक्त का खाना इकट्ठा होने का इंतजार करते हैं और अपनी बेबसी और गरीबी को कोसते रहते हैं. इन सबके बीच में उन लोगों को न जानें कितनी ही बिमारियां अपनी आगोस में ले लेती हैं जिनका उपचार कराने को न तो उनके पास पैसे होते हैं और न ही वो अपना इलाज करा पाते हैं.
शायद उन लोगों के दर्द और मजबूरी को समझा है महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाले डॉक्टर अभिजीत सोनवाने ने….
Abhijeet Sonwane – जरूरतमंदों और बेसहारा लोगों को तलाशते हैं अभिजीत
आज हमारे समाज में बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो जरूरतमंदों से लेकर बेसहारा लोगों की मदद करना चाहते हैं. लेकिन कभी समाज के डर से तो कभी अपनी खुद की लोक लज्जा के चलते वो ऐसा नहीं कर पाते.
लेकिन अभिजीत सोनवाने समाज के उन लोगों से बिल्कुल अलग हैं शायद, और यही वजह है की आज अभिजीत सोनवाने गरीबों से लेकर उन लोगों के मसीहा बन बैठे हैं. जो गरीबी और बेसहारी के चलते अपना शरीरिक ध्यान नहीं रख पाते.
अभिजीत सोनवाने पेशे से डॉक्टर हैं लेकिन इनका न तो कोई फिक्स क्लीनिक है और न ही इनकी कोई फीस है. अभिजीत सोनवाने उन लोगों में से एक हैं जो बिना किसी फायदे के जरूरतमंदों और भिखारियों का इलाज करते हैं. अभिजीत उन सभी का मुफ्त में इलाज करते हैं और उन्हें फ्री में दवाइंया बांटते हैं और यही वजह है कि, आज ये काम अभिजीत की पहचान बन चुका है. क्योंकि आज के समय में लोग “अभिजीत को भिखारियों” का डॉक्टर कहकर बुलाते हैं.
Abhijeet Sonwane – ईलाज के लिए मंदिरों-मस्ज़िदों की सीढ़ियों पर ढूंढ़ते हैं, बेबस लाचार लोग
जिस जगह हम आप जैसे लोग अपने घरों से जाकर कर अपनी ईच्छाएं पूरी होने की मनोकामनाएं करते हैं. उन्हीं सीढ़ियों पर अभिजीत सोनवाने लाचार और बेबस लोगों की तलाश करते हैं उन लोगों की जो बिमारियों की आगोस में धीरे धीरे जा रहा होता है और अपनी बेबसी के चलते अपना ईलाज नहीं करा पाता है. अभिजीत सोनवाने हर दिन दवाइयों का अपना बक्सा उठाकर शहर में बीमार भिखारियों की तलाश करते हैं और उनका इलाज करते हैं.
अपने काम को लेकर अभिजीत सोनवाने कहते हैं कि, “मैं अक्सर बुर्जुग बीमार लोगों से मिलता हूं, जिन्हें उनके परिजन बेसहारा छोड़ देते हैं. उनके पास भीख मांगने के अलावा गुजर-बसर का कोई और रास्ता नहीं होता. मैं जरूरी दवाइयां साथ लेकर चलता हूं. उनका इलाज करने के साथ-साथ मैं उन्हें मुफ्त में दवाइयां देता हूं.”
अभिजीत सोनवाने रविवार के अलावा हर दिन सुबह 10 बजे से लेकर 3 बजे तक यही काम करते हैं. वो कहते हैं कि, ‘समाज के लिए कुछ करने की उनकी ये छोटी सी कोशिश है. लेकिन इसके पीछे उनका एक बड़ा मकसद भी छिपा है. क्योंकि जब वो लोगों का इलाज करते हैं तो उनसे बातचीत भी करते हैं और उनकी बीती जिंदगी के बारे में सुनते हैं और आखिर में उन सभी लोगों को भीख न मांगने की सलाह देते हैं.
इसके साथ अभिजीत सोनवाने उन लोगों को छोटे मोटे काम धंधें के लिए भी प्रेरित करते हैं. जिससे कोई भी इंसान गरीबी और बेबसी के चलते यूं ही भिखारी बन जिल्लत की जिंदगी न गुजरता रहे.
समाज में शायद इक्का-दुक्का लोग ही ऐसे होते हैं जो अपनी खुशियों की परवाह किये बगैर उन लोगों के की खुशियों की परवाह करते हैं. जिनको समाज दरकिनार कर देता है. उन्हीं लोगों में से एक हैं…अभिजीत सोनवाने