बोरे से झांकती आंखें, मानों बहुत कुछ पूछ रही हैं- साईकिल चोर का पत्र

देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है. आज देश में कोरोना के एक लाख से ज्यादा मरीज हो चुके हैं. इसका आंकड़ा इन दिनों बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है. हर रोज देश के अनेकों हिस्से से अनेकों लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव रही है. जिसके चलते कोरोना का संकट और गहराता चला जा रहा है. दूसरी तरफ पूरे देश में पलायन अभी भी सबसे बुरी समस्या बना हुआ है. देश के अनेकों हिस्सों से हर रोज हजारों की संख्या में मजदूर से लेकर मध्यम वर्ग के लोग अपने राज्य, अपने घरों को लौट रहे हैं. जिनमें सरकार अनेकों को उनके घर पहुंचा रही है, तो अनेकों ऐसे भी हैं जो इन दिनों रोड़ पर पैदल ही ये दूरी तय कर रहे हैं.

आज देश में लॉकडाउन को 56 दिनों से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है. जल्द ही ये दिन 60 दिन यानि की दो महीने को पार कर जाएगा. पिछले डेढ़ महीने से बंद सभी काम के चलते आज के समय में मजदूर वर्ग पर एक सबसे बड़ा संकट आ गया है, वो है पेट भरने का…यही वजह है कि, मजदूर इन दिनों अपने राज्य अपने घर जाने को मजबूर है. लेकिन जिस तरह की घटनाऐं और तस्वीरें इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. वो ये तस्वीरें बहुत कुछ बयां कर रही हैं.

दिल्ली से लौटते मजदूर की तस्वीर

बीते रोज दिल्ली से उत्तर प्रदेश लौट रहे एक मज़दूरों की ऐसी ही तस्वीर सबके सामने आई. जिसको देखने के बाद हर इंसान का दिल पसीज गया. तस्वीर एक परिवार की है, जोकि अपने रिश्तेदारों के साथ अपने गांव वापस लौट रहा है. जिसमें कुछ लोग एक साथ चल रहे हैं. साथ ही एक शख्स अपनी साकिल पर सामानों के साथ बोरा लादे हुआ आगे जा रहा है. वहीं आगे साइकिल में मौजूद डंडे में उसने एक बोरा बांधा हुआ है. जिसको एक झोले का आकार दिया हुआ है.  

इस झोले के अंदर की तस्वीर जब से सोशल मीडिया पर वायरल हुई है, हर इंसान सोचने पर मजबूर है. क्योंकि इस झोले में मजदूर की बेटी है. जोकि दिव्यांग है. दिव्यांग बेटी चल नहीं सकती…यही वजह है कि, मजदूर ने अपने बेटी के लिए एक झोला बनाकर बेटी को उसमें रखा है. इस फोटो में उसका चेहरा साफ दिखाई दे रहा है…और साथ ही लड़की की दोनों आंखें भी…जोकि हमारे सिस्टम से कई सवाल कर रही हैं.

यही नहीं ये आंखें सिस्टम के साथ साथ उन सबसे सवाल कर रही है, जो इसके जिम्मेदार हैं. ये आंखें ये भी पूछ रही हैं कि, जिस भारत की राजधानी से पूरे देश की रूपरेखा तैयार की जाती है. आज उसी दिल्ली से हर मजदूर और गरीब वर्ग पलायन को क्यों मजबूर है.

साइकिल चोर मजदूर का पत्र

इसी तरह ही एक और तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें एक मजदूर ने एक पत्र लिखा है.

नमस्ते जी-

मैं आपकी साईकिल लेकर जा रहा हूं, हो सके तो मुझे माफ कर देना. क्योंकि मेरे पास कोई साधन नहीं है. जिसके लिए मुझे ऐसा करना पड़ा. क्योंकि मैं विकलांग हूँ. जता नहीं सकता. हमें बरेली तक जाना है.

आपका कसूरवार

ये पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद है. अब तक हजारों लाखों लोग इस पत्र को पढ़ चुके हैं. आज देश में मजदूरों की जो दशा है. उसको देखकर कहा जा सकता है कि, हमारे देश में गरीबी और पेट पालने के लिए जीने वाले लोगों की संख्या कितनी है.

साथ ही इसमें सबसे ज्यादा दोषी हमारे देश का सिस्टम और सिस्टम को चलाने वाले वो लोग हैं. जो धरातल पर उतरकर कभी काम नहीं करते. क्योंकि शायद उन्हें सबकुछ चंगा लगता है….

Indian

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