जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, यह नारा हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया था। लेकिन इस नारे में एक शब्द ऐसा है जिसके कारण ही बाकी के दो क्षेत्रों की जयकार होती है। किसान… किसान का बेटा ही ज्यादात्तर जवान यानि की सेना में भर्ती होता है। जिसके बहुत से उदहारण आपको पता है। वहीं किसान का बेटा साइंटिस्ट, ये मेल ज्यादात्तर लोग नहीं लगा पाते लेकिन इसके भी कई एग्जांपल हैं। लेकिन देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस नारे में एक और वाक्य जोड़ा था ‘जय अनुसंधान’। आज हम इसी अनुसंधान यानि की इनोवेशन से जुड़े एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बात करेंगे जो किसान का बेटा है और चर्चा में इसलिए है क्योंकि एक बार नहीं बल्कि तीन बार ये नासा को भी ना कह चुका है। यहां तक कि, दुनिया के सबसे शक्तिशाली इंसान यानि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने भी उनसे रिक्वेस्ट किया कि, अमेरिका आइए और यहीं रिसर्च करिए लेकिन इस लड़के ने उनके प्रपोजल को भी रिजेक्ट कर दिया। सिर्फ एक कारण से की देश में रहना है और देश के लिए ही काम करना है।
बिहार की राजधानी पटना से 223 किलोमीटर दूर भागलपुर जिले में एक गांव है ध्रुबगंज… इसी गांव में रहते हैं एक किसान के बेटे गोपाल जी.. आज इनोवेशन की दुनिया में एक के बाद एक कीर्तिमान रच रहे हैं। लेकिन बिहार के इस गांव से शुरू हुआ उनका सफर इतना आसान नहीं रहा है। गोपाल जी को पहली बार पूरे भारत में पहचान तब मिली थी जब उन्हें भारत सरकार की ओर से ‘इंस्पायर्ड अवार्ड’ दिया गया था। इसी साल गोपाल जी ने अपनी मैट्रिकुलेशन भी कम्पलीट की थी। इस इंस्पायर्ड अवार्ड के मिलने के पीछे की कहानी ही गोपाल जी नाम के टैलेंट के बनने की कहानी है।
मै सरकारी में पढ़ा हुआ :— सरकारी नौकरी, सरकारी बस, सरकारी सुविधा सब लेना चाहते हैं लेकिन सरकारी स्कूल में शायद ही कोई पढ़ना चाहता है। क्योंकि हम सब को सरकारी स्कूलों की क्वालिटी एजुकेशन के बारे में पता है। लेकिन देश के काम आने वाले टैलेंटेड लोगों की लिस्ट खंगालेंगे तो लिस्ट में ज्यादात्तर बच्चें सरकारी स्कूल वाले ही होते हैं। क्योंकि जब जहां सुविधा नहीं है वहां जरूरत होती है और यहीं से कुछ करने की ललक पैदा होती है। यानि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है और आवश्यकता तब पैदा होती है जब चीजों का अभाव होता है। गोपाल जी जिस गांव से आते हैं वहां केले की खेती होती है और आम तौर पर यह गांव बाढ़ की चपेट में भी आता रहता है। वो बताते हैं कि, 2008 में आई बाढ़ में उनका सब कुछ तबाह हो गया था। टेड एक्स में दी अपनी एक स्पीच में गोपाल ने बताया था कि, उस समय केले का पेड़ ही एक ऐसा साधन हो गया था जिसने हमारी मदद की थी।

केले के पेड़ से जुड़ाव ने गोपाल जी को बनाया इनवेंटर
गोपाल ने सबसे पहले 13 साल की उम्र में ‘बनाना बायोसेल बनाया था। कोई भी इन्वेंशन ऐसे ही नहीं हो जाता, उसके पीछे कोई न कोई लॉजिक जरूर होता है या कोई घटना होती है। गोपाल के संग भी ऐसा ही हुआ था। गोपाल अपने इनवेशन को लेकर अपने टीचर को बहुत थैंक्स करते हैं और बताते है कि, उन्होंने साइंस को पढ़ना नहीं जीना सिखाया और शायद यही कारण है कि, गोपाल कई चीजों के कारणों को ढूंढ़ते रहते थे और यही आदत उन्हें उनके पहले इनवेंशन की ओर लेकर गई। गोपाल बताते हैं वो अक्सर अपने पापा के संग केले के खेत में जाया करते थे, इसी बीच एक थिंकिंग डेवलप हुई की केले के वेस्ट को वेस्ट नहीं जाने देना है। इस बीच तीन घटनाएं हुई एक शर्ट पर केले का दाग, दूसरा स्कूल लैब में एचसीएल एसिड का गिरना और एसिड के इलेक्टोलाइसिस से चार्ज डेवलप करने की जानकारी मिलना।
गोपाल ने इलेक्ट्रोलाइसिस के प्रोसेस को ही केले पर अप्लाई किया और केले में दो इलेक्ट्रोड लगाकर चेक किया तो मीटर में कुछ हलचल हुई। यानि चार्ज डेवलप हुआ था इस बात का पता तो चल गया। इससे यह भी क्लियर हो गया कि, केले का दाग जाता क्यों नहीं, क्योंकि उसमें सिट्रिक एसिड होता है। गोपाल ने इसी पर थोड़ा और काम किया और ‘बनाना बायोसेल’ इन्वेंट कर दिया। गोपाल के इस इन्वेंशन से उनके गांव में जहां शायद ही बिजली होती थी 13 से 14 घंटे लेड बल्ब वाली रोशनी चमकने लगी। जिससे गांव के बच्चों को भी पढ़ाई—लिखाई में काफी फायदा हुआ। उनके इसी इनवेंशन ने उन्हें अपने गांव में गोपाल से गोपालजी बना दिया।
10 इनवेंशन में से 2 पेटेंट हो चुके हैं :— गोपालजी ने ‘बनाना बायोसेल के अलावा 10 नए इन्वेंशन किए हैं। जिसमें से उनके दो इन्वेशन पेटेंट हो चुके है बाकी के 7 पेटेंट होने की कगार पर हैं। 1 पर गोपाल अभी भी शोध कर रहे हैं। उनके इन्वेंशन में 1 बनाना बायोसेल (पेटेंट #: 16/676,566), पेपर बायोसेल (पेटेंट #: 17/678,467), गोपोनियम अलॉय, जी स्टार पाउडर, हाइड्रोइलेक्ट्रीक बायो सेल, सोलर माइल, गोपा अलास्का, BNC & BNF, Pseudo Plastic और लीची वाइन। ये सारे इनोवेशन एक से बढ़कर एक हैं। जैसे कि, हाइड्रोइलेक्ट्रिक बायोसेल को ही ले लीजिए जो आसमान से गिरने वाली बिजली को इकट्ठा कर उस बिजली को यूज करने का काम करती है, वहीं जी पाउडर जो कि, एक ऐसा पाउडर है जिसे किसी भी बॉडी में लगाने पर उस बॉडी का हीटिंग टेंपरेचर 5 हजार हो जाता है।

देश के लिए करना है काम करना चाहते हैं गोपाल जी
नासा क्यों बुला रहा है :— गोपाल ने नासा का ऑफर तीन बार रिजेक्ट किया हुआ है। नासा से आए बुलावे को लेकर वे कहते हैं कि, नासा को मेरी जरूरत है हमे नासा की नहीं। वे बताते हैं कि, उन्होंने ‘गोपोनियम अलॉय’ डेवलप किया है जो नासा के बड़े काम का है। दरअसल इसका 20,000 डिग्री है…, ऐसे में नासा इस इन्वेंशन का इस्तेमाल सूरज के लिए अपने स्पेश मिशन में करना चाहता है। लेकिन मैं अपने देश में ही रहकर देश के लिए बहुत कुछ और करना चाहता हूं।
इस सब से इत्तर गोपाल जी ने एक ‘हंट फॉर हंडरर्स’ नाम की मुहिम शुरू की है। इसके जरिए उनका सपना है कि, उनकी तरह देश के जीतने बाकी नए ओर यंग इनोवेटर्स हैं उन्हें एक प्लेटफॉर्म पर लाया जाए और उनके फ्यूचर को सिक्योर किया जाए ताकी वे अपने काम से देश का नाम कर सकें। ‘इंस्पायर अवार्ड’ से शुरू हुआ गोपाल का सफर अभी जारी है। गोपाल अपनी ओर से युवाओं को एक बात जरूर कहते हैं कि, ‘ नॉलेज से ज्यादा जरूरी है, इमेजीनेशन, क्योंकि इसी के बाद नॉलेज का काम शुरू होता है। वहीं इसके अलावा वे यह भी मानते हैं कि, आज देश के साइंटिस्टों के देश में बने रहने की जरूरत है वे मानते हैं कि, देश के यंग और ब्रिलियेंट माइंड को देश के लिए काम करना चाहिए। वैसे एक इन्वेंटर होने के साथ ही गोपाल इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर हैं जिन्हें यूनाइटेड नेशन की ओर से ग्लोबल लीडर का भी अवार्ड मिला है।