इरादें जब मजबूत हो तो मंजिलों की ऊंचाइयां कितनी भी हो, उन्हें नापने में समय नहीं लगता और न ही मजबूत इरादों पर कभी उम्र की दीमक लग पाती. क्योंकि मजूबत हौसलों और मजबूत इरादों में उम्र का फांसला महज़ एक आंकड़ा भर होता है और इस बात को पूरी तरह सच साबित करती हैं 90 साल की लतिका चक्रवर्ती. जिन्होंने उम्र की बिना परवाह किए बगैर अपने सपनों में हकीकत के रंग भरते हुए ऑनलाइन शॉप खोली है. इस Online Shop में लतिका चक्रवर्ती पुराने कपड़ों से खूबसूरत बैग बनाकर बेचती हैं. आज उनकी ये शॉप इतनी फेमस हो गई है कि इनके ग्राहक विदेशों से अपना ऑर्डर बुक करते हैं. यही वजह है की आज लतिका जी, अपने पैशन को पूरा करने की तमन्ना रखने वाले लोगों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं.
90 साल की लतिका चक्रवर्ती चलाती हैं, Online Shop
लगभग 90 बरस की हो चुकी लतिजा जी अपनी 64 साल पुरानी सिलाई मशीन के सहारे पुरानी साडियों से लेकर पुराने कपड़ों से आकर्षक हैंडबैग और अलग अलग किस्म की पोटली बनाकर उस पर अनोखी कहानिंया गढ़ रही हैं. यहीं नहीं लतिका जी ने डिजिटल होती दुनिया के बीच में अपनी खुद की वेबसाइट तैयार की है जिसका नाम है, ‘Latika’s Bags. इसी वेबसाइट के जरिए लतिका के ग्राहकों की कतार आज भारत के साथ-साथ न्यूजीलैंड, ओमान और जर्मनी जैसे देशों में बढ़ रही है. कभी कभी तो ऐसा हो जाता है की लतिका जी को ऑर्डर तो मिल जाते हैं, लेकिन लतिका जी उन्हें पूरा ही नहीं कर पाती. यहीं नहीं इन बैग्स और पोटलियों की कीमत भी बाजार में मिलने वाले बैगों और पोटलियों जितनी है होती है. जिसके चलते कोई भी इंसान इसे आसानी से खरीद सकता है.
हुनर और पैशन के बीच तैयार हुआ, Latika’s Bags
वहीं अगर घर परिवार की बात करें तो लतिका जी के पति अब उन्हें छोड़कर जा चुके हैं और बेटा, नेवी में ऑफिसर है. नौकरी ऐसी है की उन्हें हमेशा देश के ज्यादातर शहरों में जाना पड़ता है. यही वजह रही की लतिका जी के पास भी खूबसूरत साड़ियों से लेकर, खूबसूरत कुर्ते और अलग अलग किस्म के कपड़े हैं और इन कपड़ों से जुड़ी हैं लतिका जी की यादें, क्योंकि हर एक याद में पूरी एक कहानी छिपी होती है, ठीक उसी तरह लतिका जी भी बताती हैं…मेरे पास एक ऐसा कपड़ा है, जिसमें मेरी सालों की विरासत छिपी है.
जिंदगी के 90 पड़ाव पार कर चुकी लतिका जी का जन्म असम के धुबरी जिले में हुआ था और उनके पति कृष्ण लाल चक्रवर्ती की बात करें तो वो सर्वे ऑफ इंडिया में अधिकारी थे. यही वजह रही की शादी के बार से शहरों में घूमने का सिलसिला कभी थमा ही नहीं, अपने पति और बेटे के साथ लतिका जी देश के हर एक शहर घूमी, कई राज्यों में घूमी…और ज्यादा घूमने और सफर करने के चलते ही उनके ज़हन में जगहों से लेकर कपड़ों को एक्सप्लोर करने और शौकिया तौर पर सिलाई करने की शुरुआत की. हालांकि बदलते वक्त के साथ और बच्चों के बड़े होने पर उनका शौक ज़हन में ही थम गया और इसी बची उनके पति भी उनका साथ छोड़कर चले गए और अब लतिका जी अकेली हो गई. इस बीच बेटा नेवी में कैप्टन बन गया और ड्यूटी पर रहने लगा. घर में अकेली रहने वाली लतिका जी के अंदर एक बार फिर अकेलेपन से परे शौक ने हिलोरे मारने शुरु किए और उन्होंने फिर से सिलाई की शुरूवात की.
शुरूवात में, रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए बनाती थी बैग
बस यहीं से शुरू हुआ Latika’s Bags का सफर, पुराने कपड़ों, साडियों, कुर्तों से लतिका जी ने बैग बनाने शुरु किए. हालांकि शुरूवाती समय में लतिका जी ये बैग्स अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को तोहफे के तौर पर देती थी. आज के समय में लतिका जी 500 बैग्स से ज्यादा बना चुकी हैं. हालांकि वेबसाइट बनाने का आइडिया लतिका जी का नहीं, उनके पोते जॉय चक्रवर्ती का था, जिसने अपनी दादी के हाथों की कला को देखकर उसे लोगों के बीच पहुंचाने का प्लान बनाया और बना दी डिजिटल दुनिया की भीड़ एक छोटी सी लतिकाज बैग्स की दुकान. जहां कोई भी इंसान आकर मॉर्डन पोटली से लेकर मॉर्डन बैग्स खरीद सकता है.
बढ़ती उम्र में जहां लोगों के हौसलें जवाब दे जाते हैं, वहीं लतिका जी उम्र के इस पड़ाव में अपने अरमानों की ऊंची उड़ान देकर अपने शौक पूरे कर रही हैं, आज लतिका जी की वेबसाइट पर बिकनी वाली हर एक चीज लतिका द्वारा ही बनी होती है. उम्र के इस पड़ाव में इनके ज़ज्बे को देखकर आज हर इंसान उन्हें सराह रहा है.