घूमने का शौक है और साथ ही इतिहास को खंगालने में भी रूचि रखते हैं तो आपको घूमने के लिए एक बार बिहार तो जरूर आना चाहिए। यहां का भागलपुर शहर आपको एंसिएंट हिस्ट्री से लेकर मिडिवल हिस्ट्री तक के दर्शन सिलसिलेवार तरीके से करा देगा। बिहार का यह शहर बड़ा ही ऐतिहासिक और कुछ नया एक्सपलोर करने के लिहाज से सबसे बेस्ट जगहों में से एक है। वैसे कई लोगों को लग रहा होगा कि, भला बिहार में घूमने के लिए ऐसा क्या है.. तो भैया यह आम सोच बिहार को लेकर बदलिए क्योंकि इतिहास की जितनी कहानियां और उन कहानियों को कहनेवाले साक्ष्य आपको बिहार में मिलेंगे वो शायद ही कहीं मिले।
भागलपुर में क्या खास है?

बिहार में यूं तो घूमने के लिए बहुत कुछ है, ज्यादातर लोग बोध गया और राजगीर को ही बिहार में टूरिज्म की जगह मानते हैं। लेकिन असल में बोध गया के बाद अगर बिहार में कोई सबसे बेहतर घूमने की जगह है तो वो है बिहार का दूसरा सबसे बड़ा और ऐतिहासिक शहर भागलपुर। कभी देश के रेशमी शहर के नाम से मशहूर इस शहर का जिक्र पुराणों और महाभारत में भी मिलता है। इसी जगह को ‘अंग’ राज नाम से पुरातन काल में जाना जाता था।
वहीं अंग प्रदेश जिसे महाभारत में वीर राजा कर्ण की नगरी बताया गया है। यह बिहार के मैदानी क्षेत्र का आखिरी सिरा है, साथ ही झारखंड और बिहार के कैमूर की पहाड़ी का मिलन स्थल भी है। भागलपुर सिल्क के लिए दुनिया में जाना जाता था और आज भी तसर सिल्क यहां के परिवारों की रोजी रोटी का जरिया है।
भागलपुर में कई ऐसी जगहें हैं जो टूरिस्टों के घूमने के लिए सबसे बेहतर जगहों में से हैं। लाजपत नगर, बुद्धनाथ पर शिव मंदिर, चम्पानगर जैन मंदिर, घंटाघर, गुरान बाबा की दरगाह, रविन्द्र नाथ भवन, तग बहादुर गुरूद्वारा, संदिश परिसर, देवी काली और मां दुर्गा का मंदिर, राजमहल जीवाश्म अभयारण्य और संजय उद्यान पार्क ये ऐसी जगहें है जहां, बिहार आने वाले हर एक टूरिस्ट को घूमना चाहिए।
Bhagalpur- कई ऐतिहासिक और पौराणिक चीजें का गढ़
भागलपुर के बारे में जैसा कि हमने बताया इसका जिक्र महाभारत काल में भी मिलता है। ऐसे में इस ऐतिहासिक जगह पर एक ऐसी चीज है जो इसके इतिहास कौ और पीछे ले जाती है। अगर आपने समुद्र मंथन की कथा सुनी होगी तो आपको पता होगा कि, मंथन के लिए मंदार नाम के पर्वत का इस्तेमाल हुआ था। वह मंदार पर्वत भागलपुर डिविजन के बांका जिले में है। इस हिल के सामने एक कुंड भी है जिसे ‘पापहारनी’ के नाम से जाना जाता है, कहते हैं कि, इसमें नहाने के बाद आदमी मैंटली और फिजिकली स्वस्थ रहता है।

इस तलाब में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का एक मंदिर भी है। 700 फिट ऊंचे इस पहाड़ की खासियत यह है कि, यह एक ही पत्थर से बना हुआ है। इस पहाड़ पर धारियों जैसे निशान भी बने हुए हैं जिसे लोग समुद्र मंथन का साक्ष्य मानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि, यहां मोहम्म डन्स से पहले चोल राजा छत्र सेन ने पहाड़ के ऊपर पुराने मंदिर बनवाए। वहीं यहां भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की एक मात्र ऐसी मूर्ति है जिसमें वे हिरण्यकश्पु को मारते हुए नहीं दिखाई देते।
पहाड़ पर गुप्ता डायनेस्टी के राजा आदित्यसेन और उनकी रानी का जिक्र भी किया गया है। इसमें बताया गया है कि, दोनों ने नरसिंह की पूजा के बाद पापहारनी तालाब में डुबकी लगाई थी। वहीं पहाड़ के ऊपर जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर वासुपूज्य का भी मंदिर है। वहीं इस पहाड़ के आसपास 12वीं सदी की कई ऐतिहासिक और अनोखी मूर्तियां भी देखने को मिलती हैं। इसके अलावा भागलपुर जिले के भरहाट ब्लॉक के मलयपुर गांव में मौजूद मां काली मंदिर में लगने वाला मेला देखने कई लोग पहुंचते हैं।
Bhagalpur : ऐतिहासिक होने के साथ ही पौराणिक है इसका इतिहास
विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन सेंचुरी
डॉल्फिन के करतबों के सब दीवाने होते हैं। लेकिन गंगा नदी में एक अलग तरह की डॉलफिन नज़र आती है। इस डॉल्फिन के करतबों का मजा लेना जाहते हैं तो आब भागलपुर के विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन सेंचुरी घूमने जा सकते हैं। यह जगह गंगा डॉल्फिनों से भरा हुआ है। सिर्फ डॉल्फिन ही नहीं यहां आपको मीठे पानी वाले कछुए और 135 अन्य तरह के जीव भी देखने को मिलेंगे। वैसे यहां आने के लिए सबसे सही टाइम अक्टूबर का महीना होता है। स्थानीय भाषा में लोग डॉल्फिन को सोंस भी कहते हैं।
विक्रमशीला यूनिवर्सिटी
प्राचीन काल में भारत दुनिया के लिए ज्ञान पाने की सबसे उच्च जगह हुआ करती थी। इसका सबसे बड़ा कारण है यहां मौजूद तीन बड़ी यूनिवर्सिटियां। नालंदा, लक्षशिला और विक्रमशीला उस जमाने में विश्व की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटीज हुआ करतीं थीं। विक्रमशीला यूनिवर्सिटी इसी भागलपुर में है। पाल वंश के राजा धर्मपाल ने इसको स्थापित किया था। यहां खुदाई के दौरान हिंदू और तिब्बती धर्म के मंदिरों के अवशेष भी मिले हैं। एक ओर जहां बख्तियार खिलजी ने नालंदा को जलाया तो वहीं उसी के सैनिकों ने तक्षशिला को भी ध्वस्त किया। 100 एकड़ से ज्यादा के इलाके में यह यूनिवर्सिटी फैली हुई है। अभी भी यहां खुदाई का काम जारी है।
कुप्पा घाट
भागलपुर के मुख्य टूरिस्ट प्लेसों में से एक है गंगा नदी का यह घाट जिसे कुप्पा घाट नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महर्षि मेही परमहंस ने यहां की गुफा में कई महीने चटाई पर बिताए थे। कुप्पाघाट में खूबसूरत बगीचे हैं जिनके बारे में रामायण में भी बताया गया है। लोगों का ऐसा मानना भी है कि, भगवान बुद्ध का जन्म इसी क्षेत्र में हुआ था।
तो अगर आप भी भागलपुर की सैर करना चाहते हैं तो आप रेलगाड़ी पकड़ कर सीधे यहां दिल्ली से पहुंच सकते हैं। वहीं सड़क मार्ग से भी यहां पहुंच सकते हैं। हवाई मार्ग फिलहाल पटना तक ही है तो फिर वहां से आपको रेल या सड़क का रास्ता ही चुनना होगा। तो इतिहास से अपनी जिज्ञासा को शांत करना चाहते हैं तो भागलपुर घुमने एक बार जरूर पहुंचिए ।