चाहे बीबी से लड़ाई हो, घर की टेंशन, दोस्त से झगड़ा या फिर नौकरी की परेशानी…जब भी कोई इंसान इन सभी चीजों से परेशान होता है तो, उस परेशानी को या तो वो अपने अंदर या तो समेट लेता है या फिर वो कुछ न कुछ हरकतें करता है. हालांकि अधिकतर लोग ऐसे होते हैं. जो उस गुस्से को अपने अंदर समेट लेते हैं. क्योंकि वो ये उनकी मजबूरी होती है.
शायद, उनकी मजबूरी को ही समझा है भड़ास कैफे ने, जहां जाकर आप जमकर तोड़फोड़ कर सकते हैं और कोई भी इंसान आपको रोकेगा नहीं. क्यों…क्योंकि इस कैफे का नाम ही है, भड़ास कैफे.
जाहिर है, इस तरह का कैफे अलग और अनोखा है. जहां हर तरह से सताया इंसान आकर अपनी भड़ास निकाल सकता है और ये अनोखा कैफे मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के चन्द्रनगर क्षेत्र में खोला गया है. यहां जानें के बाद कोई भी इंसान जी-भर कर तोड़-फोड़ कर सकते हैं, और जिस तरह हम किसी कैफे में जाने के बाद पैसे देते हैं, ठीक उसी तरह यहां भी अपनी भड़ास निकालने के लिए पैसा देना पड़ता है. जिसके बाद इंसान खुद को तनावमुक्त महसूस करता है.

Bhadaas Cafe में जी चाहा “सेट” मिलता है
आप अपनी बीबी के सताए हैं, बॉस के सताए हैं या फिर अपनी गर्ल फ्रेंड के तो यहां आपको ठीक उसी तरह का माहौल मिलेगा. यानि की अगर आप ऑफिस का भड़ास निकाल रहे हैं तो आपको यहां पर कुर्सी, लैपटॉप, कम्प्यूटर, टेबल, घड़ी सबकुछ मिलती है, साथ ही अगर आप बीबी के सताए हैं तो आपको यहां पर तोड़ने के लिए वॉशिंग मशीन, बर्तन, सोफा, टी.वी सबकुछ मिलता है और अगर गर्ल फ्रेंड की प्राब्लम है तो, आपको यहां पर गिफ्ट के पैकेट, गुब्बारे और बहुत कुछ मिलता है. जिसको तोड़ फोड़कर आप अपनी भड़ास निकाल सकते हैं.
जो जी आए, फोड़ो जनाब
भड़ास कैफे के फाउंडर अतुल मलिकराम की मानें तो, उन्होंने ये कैफे लोगों की भड़ास निकालने के लिए ही खोला है, क्योंकि आज के समय में लोगों की जिंदगी तनाव और अवसाद से ग्रसित हो चली है. हालांकि एक समय था. जब अतुल मलिकराम खुद इस अवसाद से ग्रसित थे. जिसके बाद उन्हें ये कैफे खोलने का आइडिया आया था. इस कैफे में लोगों की सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाता है. इसके लिए लोगों को तोड़-फोड़ के वक्त ग्लव्स, हेलमेट, ट्रैक सूट पहनाया जाता है.
वहीं इस पूरे कैफे को भी कुछ इसी तरह डिजाइन किया गया है. जहां अलग-अलग सेक्शन बनाए गए हैं. जहां इंसान तोड़-फोड़ के साथ, अपनी भड़ास निकालने के लिए एक अलग रूम में भी जा सकता है. जहां जी भर वो उसे कोस सकता है. इन सबके अलावा यहां दीमाग को ठंडा करने के लिए लाइब्रेरी और म्यूजिक रूम भी है. जहां इंसान पढ़ने के साथ-साथ म्यूजिक से भी अपना दीमाग शांत कर सकता है.
भारत का पहला Bhadaas Cafe

भारत का ये पहला भड़ास कैफे भले ही एक अजीबोगरीब कैफे हो सकता है, हालांकि दुनिया में इस तरह के कैफे काफी पहले से मौजूद हैं. वहां इन्हें एंगर रूम के नाम से जाना जाता है. व्यस्त दिनचर्या और बढ़ते तनाव को देखते हुए दुनिया का पहला एंगर रूम अमेरिका की एक टीनेजर डोना अलेक्जेन्डर ने खोला था. जिसके बाद डोना ने 2008 में अपने ऑफिस के लोगों को 5 डॉलर के बदले तोड़-तोड़ करने के लिए, उनके पास मौजूद गैराज में बुलाया था. तोड़-फोड़ का आइडिया लोगों को काफी पंसद आया. जिसके बाद डोना ऑफिस के साथ-साथ बाहर के लोगों को भी तनाव दूर करने के लिए तोड़-फोड़ के लिए आमंत्रित करने लगी. यही वजह रही थी कि, डोना ने दो साल ऑफिस में काम करने के बाद नौकरी छोड़कर पूरी तरह से इस बिजनेस को शुरू किया था. आज अमेरिका के अलावा ऐसे कई देश हैं जहां इस तरह के कई एंगर रूम खुले हुए हैं.
Bhadaas Cafe में तोड़फोड़ के साथ-साथ मैडिटेशन भी
जाहिर है, जब कभी कोई इंसान भड़ास निकाल लेता है, तो वो पूरी तरह से शांत हो जाता है. अच्छा फील करता है. इसी को बरकरार रखने के लिए वहां साइकोलाजिस्ट परामर्श भी देते हैं. आप चाहे अपने बॉस से परेशान हो, पत्नी से परेशान या फिर अपने गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड या फिर किसी दोस्त से क्यों न परेशान हों. सबका ईलाज यहां मिलता है. क्योंकि इनके साथ ये मजबूरी होती है कि, हम उन पर रिएक्ट नहीं कर सकते. जिसके चलते हम इसे अपने अंदर दबा कर रख लेते हैं. यही देखते हुए भारत में भी पहला भड़ास कैफे अतुल मलिकराम ने शुरू किया है. जहां जानें के बाद इंसान अच्छा फील करता है.