पुलवामा अटैक आज ही के दिन साल 2019 में हुआ था। यह 26/11 के हमले के बाद 11 सालों में हुआ दूसरा सबसे बड़ा आतंकी हमला था। वहीं पहली बार आतंकियों ने सेना के इतने बड़े काफिले पर इतना बड़ा हमला किया था। इस हमले को जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर ने अंजाम दिया था। उसने आईडी से भरी वैन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर मार दी थी जिसमें सीआरपीएफ़ की बस के टुकड़े-टुकड़े हो गए थे और देश के 40 वीर सपूत शहीद हो गए थे। आज इस घटना को 1 साल पूरे हो गए हैं। वीर जवानों की शहादत को पूरा देश याद कर रहा है।
एक साल पहले जो आंखे नम थी आज भी उनमें अपने देश के वीर जवानों को खोने का गम है। इसी बीच पुलवामा के शहीदों की याद में एक स्मारक भी बनवाया गया है। यह स्मारक श्रीनगर में सीआरपीएफ के लेथपोरा कैंप में बनाया गया है आज इस स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजली दी गई। श्रद्धांजली के दौरान मीडिया और आम लोगों के कैमरे पर एक इंसान की तस्वीरें कई बार दिखाई दी या यूं कह लें कि, इस इंसान की तस्वीर आज हर जगह छाई हुई है। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल है कि, यह लंबा—चौड़ा शख्स कौन है? और इस विशेष मौके पर कैमरे के फोकस में यह क्यों है?

कौन हैं उमेश गोपीनाथ जाधव?
पिछले साल 2019 के वैलेंटाइन डे की ही बात थी। अजमेर में एक म्यूजिक कॉन्सर्ट खत्म कर उमेश गोपीनाथ जाधव अपने घर बैंगलोर जाने के लिए निकल पड़े थे। वे पेशे से एक फार्माकॉलजिस्ट थे लेकिन म्यूजिक के लिए अपनी जॉब छोड़ दी थी। एयरपोर्ट पर फ्लाइट का इंतजार कर रहे जाधव की नज़र तभी टीवी स्क्रीन पर पड़ीं। यह न्यूज़ पुलवामा में हुए आतंकी हमले की थी। खबर में दिखा रहे थे कि कैसे एक आत्मघाती हमलावर ने आइडी से लदी वैन को सीआरपीएफ के काफिले में ले जाकर घुसा दिया और वैन को ब्लास्ट कर दिया। यह खबर सुन उस दिन बाकी के देश के लोगों की तरह ही जाधव भी सहम गए।
लेकिन इसी वक्त उन्हें इन शहीद जवानों के परिवार वालों का ख्याल आया। जाधव सोचने लगे की वे शहीदों के परिवार के लिए क्या कर सकते हैं? शहीदों के सम्मान के लिए क्या कर सकते हैं? और तभी उन्होंने मन बना लिया कि वो प्रत्येक शहीद जवान के गृहनगर की मिट्टी एकत्रित करेंगे और उससे पुलवामा में भारत का मानचित्र बनावाएंगे। महाराष्ट्र से आनेवाले उमेश गोपीनाथ जाधव बैंगलूरू के मांड्या में रहते हैं। उन्होंने अपनी यात्रा यहीं से शुरू की। इसके बाद वे केरल में वायनाड, तमिलनाडु में कन्याकुमारी और थूथुकुडी और गोवा पहुंचे। साउथ के बाद वे देश के दूसरे हिस्सों में एक—एक करके शहीदों के घर पहुंचे। अपनी 6100 किमी की यात्रा के बाद जाधव ने पुलवामा हमले में शहीद हर जवान के परिवार से मुलाकात की और उनके घर से उनकी अस्थियों का हिस्सा और मिट्टी इकट्ठा की। अपनी इस यात्रा को लेकर जाधव कहते हैं
”मुझे इस बात का गर्व है कि मै पुलवामा हमले में शहीद सभी जवानों के परिवार वालों से मिला और और उनका आर्शिवाद मुझे मिला। माता—पिता ने अपने बच्चे खोये, औरतों ने पति खोया, बहनो ने भाई और दोस्तों ने अपने दोस्तों को। मुझे मौका मिला कि, मैने उन शहीदों की मिट्टी इकट्ठा की।”

उमेश गोपीनाथ जाधव को पुलवामा शहीदों की श्रद्धांजलि पर किया गया खास आमंत्रित
अपनी इस ‘तीर्थयात्रा’ के बारे में बताते हुए जाधव बताते हैं कि सभी शहीदों के परिजनों से मिलना इतना आसान नहीं था। उनमें से कई लोग बहुत ही सुदूर इलाकों में रहते हैं। वहां पहुंचना और उनसे मिलना एक मुश्किल काम था। जाधव बताते हैं कि, अपनी इस यात्रा के दौरान अपना जन्मदिन भी शहीद के परिजनों के संग मनाया। उस पल की यादें मैं सीआरपीएफ कैंप को सौपूंगा।
उमेश गोपीनाथ जाधव को उनके इस काम के लिए सीआरपीएफ ने भी आभार जताया है। उन्हें आज सीआरपीएफ के लेथपोरा कैंप में बनवाए गए स्मारक के पास आयोजित श्रद्धांजलि और पुष्पांजलि समारोह के विशिष्ट अतिथि के रूप में भी बुलाया गया था, जिसमें उन्होंने भाग लिया और शहीदों के घर से लाई गई मिट्टी को सीआरपीएफ को सौंपा। शहीदों के प्रति जाधव जी के इसी समर्पण के कारण ही आज वे हर स्क्रीन पर छाए हैं। उन्होंने यह बात साबित की है कि भले ही हम सीमा पर देश की सेवा नहीं कर रहे, लेकिन सेना के जवानों और उनके परिवार के प्रति सम्मान जता कर हम देश की सेवा कर सकते है। इंडियननेस की टीम ‘उमेश गोपीनाथ जाधव’ को सैल्यूट करती है।