पनौती ये एक ऐसा वर्ड है, जोकि कहीं भी आ जाए तो बना बनाया मामला बिगाड़ कर रख देता है. क्योंकि बड़े बूढ़े कह गए हैं कि पनौती लगना शुभ संकेत नहीं होता. इसी को समझा है शायद इस समय महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने. वैसे तो हमारा वास्ता राजनीति से कोसों दूर रहता है. हां मगर जब हमने खबर देखी तो हमको लगा क्यों न हम आपको बता ही दें….की पनौती की डर लोगों को क्या क्या करने पर मजबूर कर देता है.
खैर अब सीधे मुद्दे पर आते हैं. मुद्दा बस इतना सा है कि, महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार बन गई. मंत्रीमंडल का चयन हो गया. यहां तक की मंत्रालय में कमरों का चयन भी कर दिया गया. जहां इमारत में 6वें फ्लोर पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कमरा बना है. यहीं से वो अपना काम काज देखेंगे. लेकिन उन्हीं के सामने एक कमरा है…कमरा नंबर 602
जहां बिल्डिंग में मंत्रालय के हिसाब से चीजें बांट दी गई. वहीं ये कमरा यानि की उद्धव ठाकरे के कमरे के ठीक सामने वाला कमरा बंद कर दिया है और वजह है पनौती. हमारे यहां क्योंकि पनौती सबसे बड़ी बिमारी होती है, जो बने बनाए काम तक को खराब कर देती है. ठीक उसी तरह इस कमरे को भी पनौती ही माना जा रहा है. जिससे कोई भी इस कमरे में रहना ही नहीं चाहता.
खैर इस कमरे का इतिहास भी यही बताता है, क्योंकि भारत में अंधविश्वासों की कमी नहीं है तो, ये कमरा हकीकत में भी कुछ यही बयां करता है.
602 का इतिहास भी यही कहता है

इसकी शुरूवात होती है, साल 1999 से जहां इस कमरे में मंत्री बनकर पहुंचे थे छगन भुजबल…जोकि NCP से जीतकर इस कमरे में पहुंचे थे. हालांकि उन पर इस दौरान तैलिय घोटाले का आरोप लगा और उन्हें कमरा तो खाली ही करना पड़ा..इसके साथ-साथ मंत्रीपद से हाथ भी धोना पड़ा
इसके बाद नंबर आता है. NCP के दिग्गज नेता यानि की इस समय के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार का ये भी इसी कमरे में पहुंचे और इन पर भी आरोप लगा. इरीगेशन का जिसकी जांच चली और इन्हें कमरा नंबर 602 खाली करना पड़ा.
इसके बाद सरकार बदल गई, BJP की सरकार आई तो इस कमरे में पहुंचे एकनाथ खड़गे. लेकिन एक बार फिर घंटा बजा. यानि की वही हुआ जो पहले दो नेताओं के साथ हुआ. उन पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे और फिर उन्हें दो साल के अंदर ही मंत्रीपद से भी इस्तीफा देना पड़ा और ये कमरा फिर से विराना हो गया.
इस सबके बाद बारी आई देवेंद्र फणनवीस सरकार के कृषि मंत्री पांडुरंग पोंडकर की, हालांकि 2018 में इनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई….
मनहूस कमरा 602
लेकिन जोखिम फिर से दिया गया…और इस बार ये जोखिम लेने वाले नेता का नाम था अनिल बोंडे, लेकिन अनिल बोंडे मंत्री तो बनकर आए थे. हालांकि वो लोकसभा चुनाव हार गए. यानि की दोबारा मंत्री ही नहीं बन सके. खैर इतना सब कुछ हो गया, महाराष्ट्र में सत्ता में आई उद्धव ठाकरे सरकार ने मुख्यमंत्री के सामने वाले कमरे में उपमुख्यमंत्री का कमरे बनाने की सोची. लेकिन अजीत पवार यानि की महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री ने ये कमरा लेने से मना कर दिया.
जिसकी वजह से ये कमरा लावारिस हो गया. 3 हजार स्कावयर फुट में बना ये कमरा हकीकत में पनौती है, या धकोसला ये तो खुदा जानें लेकिन हमारे भारत में पनौती और अंधविश्वासों की झड़ी हर जगह दिखाई देती है. चाहे वो उत्तर प्रदेश बिहार जैसे राज्यों में किसी महिला पर जादू टोना की बात हो. या फिर किसी जगह को भूतिया बताने की. हकीकत क्या है…ये या तो वो कमरा जानता है. या फिर ऊपर वाला. यानि की हम किसी से भी पूछ नहीं सकते