अगर आपने कभी ईस्टर आईलैंड, अंकोरवट, माउंट रूशमोर जैसी जगहों की तस्वीरें देखी होगी तो एक ख्याल में जरूर आया होगा कि, आखिर पहाड़ियों पर ये मूर्तियां किसने बनाई होंगी। माउंट रूशमोर तो नई पीढी में बनी है। लेकिन अंकोरवट जो घने जंगलों से घिरा हुआ है उस जगह पर ऐसी कलाकृतियों को देखकर हमारा और आपका चौकना तय है। अंकोरवट की सबसे खास बात है वहां का नेचुरल वेजीटेशन और उसके बीच में बसा अंकोरवट मंदिर। लेकिन यह तो कंबोडिया में है, मतलब विदेश में। लेकिन अंकोरवट जैसी कोई जगह क्या इंडिया में भी है। जहां नेचुरल वेजिटेशन भी है और रहस्यमयी जगहें भी। जिसका इतिहास आजतक किसी को नहीं पता और साथ में पहाड़ों पर बने बड़े-बड़े चेहरे जिन्हें बनाने वाले का पता आज तक नहीं चला। इस जगह के साथ जुड़ी पौराणिक कहानियां इसे घुमने के लिए एक ऑफबीट जगह बनाती हैं।
भारत के पूर्वोत्तर में एक राज्य है त्रिपुरा, इस राज्य को लैंड ऑफ 14 गॉड के नाम से भी जानते हैं। यह राज्य मंदिरों से तो भरा ही हुआ है साथ ही यहां पहाड़ियों और झरनों की रहस्यमयी जगहें भी हैं। जिनकी खासियतें दुनिया भर के लोगों को यहां आने पर मजबूर कर देती हैं। त्रिपुरा की इन्हीं रहस्यमयी जगहों में से दो जगहें हैं जिनके बारे में हर कोई जानना चाहता है। ये जगहें हैं उनाकोटी और चाबीमुरा। इन दोनों जगहों से जुड़ी रहस्यमयी कहानियां कुछ ऐसी है जिससे लगता है कि, यह वो जगह है जहां भगवान ने खुद को पत्थरों में ढ़ाल लिया था। आखिर ऐसा क्या है इन दोनों जगहों पर और क्या है इनकी कहानी.. चलिए जानते हैं।

त्रिपुरा की Unakoti पहाड़ियां
त्रिपुरा आने पर लोगों को मंदिरों के अलावा अगर कोई सबसे ज्यादा चीज अपनी ओर खींचती है, तो वो है उनाकोटी की पहाड़ियां। इन पहाड़ियों में सदियों के वो रहस्य छुपे हैं जिनका जवाब आज तक आर्कियोंलॉजिस्टों तक को नहीं पता चल सका है। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला पहुंचने पर आपको यहां के एक छोटे से शहर कैलाशहर पहुंचना होता है। इस छोटे से शहर से 10 किमी. के पास की दूरी पर उनाकोटी की पहाड़ियां हैं। यहां पहुंचने पर आपको फीलिंग वहीं वाली मिलेगी जो अंकोरवट जैसे जगह के वीडियोज देखकर आपने फील की होगी। लेकिन इस जगह की अपनी एक खासियत है। उनाकोटी के बारे में एक शब्द में जानना हो तो बस इसके नाम का ही मतलब समझ लीजिए। उनाकोटी बंगाली शब्द है जिसका मतलब होता है, करोड़ में 1 कम यानि की 99 लाख 99 हजार 999. अभी भी समझ नहीं आया तो आगे की बात जान लीजिए।
टेड़ीमेढ़ी खूबसूरत पगडंडियां, सुंदर और घने जंगल, घाटियों, नदियों और झरनों से भरी यह जगह असल में 99 लाख 99 हजार 999 देवताओं का घर है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि यहां के पहाड़ों पर उकेरी गई भगवान की प्रतिमाएं इस बात की खुद गवाही देती हैं। पहाड़ पर दो तरह की मूर्तिया मिलती हैं। एक जो उकेरी गईं हैं और दूसरी जो पत्थरों से बनाई गई हैं। पूरी पहाड़ी पर फैली इन मूर्तियों की कहानी क्या है? किसने इनको बनाया है? और इसका इतिहास किससे जुड़ा है? इस बारे में आज तक किसी को कुछ भी पता नहीं है। इस जगह पर जो सबसे बड़ी मूर्ति भगवान शिव की है जिसे पहाड़ पर ही उकेरा गया है। भगवान शिव की 30 फुट ऊंची खड़ी छवि पत्थर पर उकेरी गई है, इसे ‘उनाकोटिस्वर काल भैरव’ भी कहा जाता है। इसके सिर को 10 फीट तक के लंबे बालों के रूप में उकेरा गया है। इसी मूर्ति के पास में शेर पर सवार माता देवी दुर्गा की छवी है, वहां दूसरी तरफ मकर पर सवार देवी गंगा,जमीन पर आधी उकेरी गई नंदी बैल की छवी, भगवान गणेश की तीन बेहद शानदार मूर्तियां, चार-भुजाओं वाले गणेशजी की दुर्लभ नक्काशी, उसके बगल में तीन दांत वाले साराभुजा गणेश और चार दांत वाले अष्टभुजा गणेशजी की दो मूर्तियां हैं। साथ ही, तीन आंखों वाला एक शिल्प भी है, जिसके बारे में माना जाता है कि, वह भगवान सूर्य या विष्णु भगवान का है। वहीं पास में एक झरने से पानी गिरता है जिसे सीता कुंड के नाम से जाना जाता है। पहाड़ों पर यह वे प्रतिमाएं हैं जो हमें दिखाई दे रही है। लेकिन माना जाता है कि, यहां बहुत सी प्रतिमाएं हैं। इन प्रतिमाओं को देखने के बाद मंच रोमांचित तो होता ही है साथ ही कई तरह के सवाल आ जाते हैं, हम जानने को इच्छूक हो जाते हैं कि, आखिर पहाड़ों पर यह कलाकारी किसने की है? लेकिन जवाब में यहां लगा आर्कियलॉजिकल सर्वे का बोर्ड हमे कुछ नहीं बता पाता।
Unakoti पहाड़ियां -पौराणिक कहानियों से भी मिलती है इनकी जानकारी
हमारे देश में पौराणिक कहानियों का जुड़ाव लगभग हर एक चीज़ से है। ठीक वैसे ही उनाकोटी पहाड़ से भी कई कहानियां जुड़ी हुई हैं। एक कहानी के अनुसार, इस जगह को एक रात में एक कलाकार ने बनाया था जिसका नाम कल्लू कुम्हार था। वह शिवभक्त था। उसने सालों तपस्या करके भोलेनाथ को प्रसन्न कर लिया और उनके साथ कैलाश जाने की इच्छा जताई। माता पावर्ती से उसने भगवान शिव को मनाने को कहा। माता के कहने पर शिव मान गए लेकिन एक शर्त पर कि, अगर वह एक रात में एक करोड़ मूर्तियां बना लेगा तो ही वो कैलाश जा सकेगा। कल्लू कुम्हार उसी समय मूर्तिया उकेरने में जुट गया। मगर अगले दिन तक एक करोड़ में एक मूर्ति कम बनी थी। जिस वजह से वह कैलाश नहीं जा पाया।
लेकिन इसके अलावा एक और कहानी है। इस कहानी के अनुसार, एक बार भगवान शिव 1 करोड़ देवी देवताओं के संग काशी यानी आज की वाराणसी की ओर जा रहे थे। इसी दौरान रास्ते में रघुनंदन पहाड़ से गुजर रहे थे। रघुनंदन पहाड़ को ही आज उनाकोटी कहा जाता है देवता थक गए थे तो शिव से उन्होंने यहीं आराम करने की बात कही। भगवान माने लेकिन साथ ही कहा कि, सभी लोग सुबह उठ जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ देवता थके हुए थे सो सोए रह गए। ऐसे में वो सभी देवता पत्थर में परिवर्तित हो गए। ऐसे में यह कहा जाता है कि, त्रिपुरा की उनाकोटी पहाड़ी असल में भगवान का दूसरा घर है। इसी कारण यहां लोगों की अस्था भी है। हर साल यहां अशोकाष्टमी मेला लगता है। इस जगह को कई तांत्रिक गतिविधियों का गढ़ भी माना जाता है।

चाबीमुरा में भी मिलती है ऐसी ही कलाकृतियां
अगरतला से 82 किमी, उदयपुर से 30 किमी, और अमरपुर से 7.5 किमी की दूरी पर गोमती जिले में गोमती नदी के किनारे पहाड़ियों पर आपको अनोखी कलाकृतियां देखने को मिलती हैं। इन पहाड़ियों पर हिन्दू देवी देवताओं की अनूठी प्रतिमाएं बनाई हुई हैं। यह जगह नेचुरल वेजिटेशन से भरा पड़ा है। हर तरफ से चिड़ियों की अवाजें, कभी-कभी जानवरों की अवाजें। यहां पर घूमने के लिए आपको एक बोट लेनी होगी। जैसे-जैसे आप गोमती नदी में आगे बढ़ते जाएंगे आपको यहां पहाड़ियों पर देवी देवताओं की शानदार प्रतिमाएं देखने को मिलेंगी। इनमें से सबसे ज्यादा आकर्षित करती है मां दुर्गा की मुर्ति, जिसे खड़ी पहाड़ी पर उकेरा गया है। इस मूर्ति की ऊंचाई 20 फीट है। आप इसके पास जाकर मां का आर्शिवाद भी ले सकते हैं। इन सब के अलावा यहां टूरिज्म के मजे लेने के लिए बहुत सी गुफाएं हैं जहां आपको मैन वर्सेज वाइल्ड वाली फीलिंग मिलेगी।
आप पहाड़ियों पर चढ़कर इन गुफाओं में जा सकते हैं जहां आप कई तरह के बैट्स और सांपों से मिल सकते हैं। लोग बताते हैं कि, ये किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते। मूर्तियों, घने जंगलों, कलकल बहती नदियां और ऊंचे पहाड़ के पास बहते झरनों और नदियों का ऑफबीट मजा अगर लेना है तो त्रिपुरा की इन दो जगहों से अच्छी जगह शायद ही कोई और होगी।