क्रिकेट वो गेम है जिसमें कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता, आपने अक्सर मैच के दौरान कॉमेंटेटर को यह कहते सुना होगा कि, क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है और इसी के कारण क्रिकेट से कई रोचक कहानियां हमें सुनने को मिलती हैं। क्रिकेट हो या कोई भी गेम हो, अगर खिलाड़ी एकदम अपने खेल पर फोकस है तो वो हारी बाजी भी जीत सकता है। और इस फोकस को बनाने के लिए चाहिए प्रैक्टिस और कुछ एक्टिविटीज जैसे की योग, और योग यानि मेडिटेशन करने में सबसे अच्छा साथी होता है एक म्यूजिक।

आप कह रहें होंगे कि यह कौन सी ज्ञानबाजी हो रही है। क्रिकेट से योग और योग से म्यूजिक! तो बता दें कि, हम आपको क्रिकेट की जो इंट्रस्टिंग स्टोरी बताने जा रहे हैं उसमें यह सब है। कहानी है भारतीय टीम के पूर्व ओपनर बल्लेबाज और फिलहाल पूर्वी दिल्ली से सांसद गौतम गंभीर की।
Gautam Gambhir- जब 12 घंटों तक पिच पर डटे रहे गौतम
गंभीर को उनके शांत स्वभाव के लिए जाना जाता है। लेकिन उनकी शांति में एक अलग तरह का एंकर भी रहा है। उनके क्रिकेट करियर में कई ऐसे मैच रहे हैं जिनका री-प्ले देखकर आज भी क्रिकेट फैंन्स जोश से भर जाते हैं। वैसे तो गंभीर तेजी से रन बनाने वाले बल्लेबाजों में गिने जाते हैं। लेकिन उनके करियर का एक मैच ऐसा भी था जिसमें उन्होंने बहुत धीमें खेला और मैदान पर टीके रहे। करीब 12 घंटे पिच पर डटे रहे, इस दौरान उन्होंने करीब 436 गेंदे खेल डाली और 643 मिनट तक न्यूजीलैंड के बॉलरों का सामना करते रहे। ऐसा लग रहा था कि गंभीर ने खूंटा गाड़ दिया है।
यह मैच था 2009 का, जब भारतीय टीम न्यूजीलैंड के दौरे पर गई थी। इस दौरान 3 टेस्ट मैच हुए। पहला मैच तो इंडिया जीत गई, लेकिन लकड़ी लग गई दूसरे मैच में, जब इंडिया को फॉलो ऑन बचाना था, तो पिच पर थे गौतम गंभीर और बहुत खास लक्ष्मण। दोनों ने एक बार जो पिच पर खूंटा गाड़ा तो कीवियों के पसीने छूट गए। दोनों खेलते रह.. खेलते रहे… और मैच को ड्रा करा दिया। गंभीर ने 137 रन बनाए।
Gautam Gambhir – इस पारी के बाद मैं टेस्ट का प्लेयर भी बन गया
अपनी इस पारी के बारे में खुद गंभीर ने बताते हुए कहा था कि इससे पहले तक वो एक स्ट्रोक लगाने वाले प्लेयर थे। लेकिन यहां वे एक ऐसे प्लेयर बन गए जो मैदान पर टीक सकता है। वहीं उन्होंने एक इंटरव्यू में यह बताया था कि उनकी इस पारी के पीछे एक भजन का हाथ था। उन्होंने कहा कि जैसे ही फॉलोऑन के दौरान बैटिंग करने की मेरी बारी आई तो मैं पैड पहनने गया। वहीं पर आईपैड पर एक भजन बज रहा था। उस भजन को सुनकर मन शांत हो गया। गंभीर ने बताया कि उन्होंनें उसके बाद फिर टी ब्रेक में वह भजन सुना, और फिर रातभर सुना और फिर अगले दिन टी ब्रेक, लंच और फिर टी ब्रेक में सुना और तीसरे दिन भी तब तक जब वे आउट हुए…
गंभीर की मानें, तो उस भजन के कारण वो एक अलग ही जोन में चलें गए थे। जहां उन्हें सिर्फ इतना पता था कि उन्हें बस खेलना है और बॉलर का सामना करना है। उन्हें इस बात तक का पता नहीं था कि उन्होंने कितना वक्त पिच पर बिताया था। गंभीर को अपने इस स्टेज का थोड़ा पता तब चला जब दूसरे झोर पर खड़े वीवीएस लक्ष्मण उनसे बात करने के लिए आए। लक्ष्मण ने उनसे कहा कि ‘आपने एक बात रियलाइज की, कि हम इतनी बार एक दूसरे से बात करने आए लेकिन आपने एक शब्द तक नहीं बोला’
गंभीर कहते हैं कि अगर वो उस जोन में दोबारा जा पाते तो शायद हर मैच में सेंचुरी लगाना कोई बड़ी बात नहीं होती। वे कहते हैं कि मैं हमेशा उस जोन में जाने की कोशिश करता हूं। गंभीर बताते हैं उस दिन उन्हें पता चला कि इंसान कुछ भी कर सकता है। इंसान के अंदर वो क्षमता है कि अगर वो ठान ले तो कुछ भी कर सकता है। जब गंभीर से पूछा गया कि वो भजन कौन सा था तो उन्होंने बताया कि वो हनुमान चालिसा थी… जिसका ऐसा प्रभाव उनपर हुआ था।