साल 2008 का U19 विश्व कप मैच। इस मैच को जब भारत ने जीता तो एक नाम जो सबकी जुबान पर था वो था विराट कोहली। उस समय कोई ये नही जानता था कि कोहली एक दिन टीम इंडिया के लिए खेलेंगे और ऐसा खेलेंगे की आज 11 साल बाद भारत समेत पूरे क्रिकेट जगत में अपनी एक अलग पहचान बना लेंगे। कोहली ने 20 साल की उम्र में जब भारत के लिए खेलना शुरू किया तो डेब्यू मैच में ही अपने इरादों से पूरी दुनिया को वाकिफ करा दिया। विराट कोहली की आज अपनी एक वर्ल्ड वाइड Fan following है। कोहली के क्रिकेट करियर के बारे में पूछने पर बहुत लोग बहुत सी बातें बता सकते हैं। लेकिन मैदान पर उतरने के लिए मैदान से बाहर विराट क्या—क्या करते हैं और कौन-कौन सा त्याग करते हैं, यह शायद कोई बता सके। उनके इसी त्याग में से एक है चटोरपन से उनका सन्यास यानि खान—पान के तरीके में बदलाव। जिसके कारण आज फिटनेस के मामले में वे ऑस्ट्रेलिया, वेस्ट-इंडिज और इंग्लैंड तक के बेहतरीन खिलाड़ियों को मात देते हैं। लेकिन यह एक दिन में और एक झटके में नही हुआ।

अगर आप तीखा खाने के शौकीन हैं और आपसे एक महीने तक तीखा न खाने को कहा जाए तो क्या होगा? शायद ही आप अपने आप को रोक सकें। गांव देहात में कहावत है कि ‘जीभ का बढ़ना अच्छी बात नहीं है। यानी चटोर होना सही नहीं है। लेकिन अगर आपको कोई चीज खाने का शौक है और वो आपके सामने हो तो उसे छोड़ पाना काफी मुश्किल है। लेकिन अगर आपको यह कला सीखनी है तो कोहली इसके लिए बेस्ट पर्सन हैं। कोहली वो खिलाड़ी हैं जिन्हें मैदान पर खेलते देख किसी को भी उनसे इश्क हो जाए। 5’7 इंच के इस खिलाड़ी की पर्सनेलिटी ही ऐसी है कि किसी मैदान पर हर कोई इनका दीवाना हो जाता है। लेकिन कोहली हमेशा से ऐसे नहीं थे। यह सब तब बदला जब उन्होंने अपनी फिटनेस पर ध्यान दिया और इसके लिए अपने फेवरेट डीशेज तक का त्याग कर दिया।
Virat Kohli- यूं ही नहीं हैं कोहली 31 की उम्र में इतने फिट, बहुत कुछ त्यागना पड़ा है
कोहली के त्याग की यह कहानी शुरू हुई साल 2013 में। इंडियन क्रिकेट टीम का हिस्सा तो वह पहले ही बन चुके थे लेकिन 2013 से पहले कोहली अपने फिटनेस को लेकर उतने सचेत नहीं थे जितने की अब लगते हैं। RCB की पार्टियों में कोहली को एन्जॉय करते हुए और जंक फूड बहुत ही चाव से खाते हुए सबने देखा हैं और यह बात सच भी है। पहले वे कहीं भी कुछ भी खा लेते थे। लेकिन टीम के सीनियर प्लेयर बनने पर कोहली अचानक से सन्यासी टाइप हो लिए।
इसके पीछे एक कहानी यह है कि 2013 में एक देर रात तक चली पार्टी के कारण सुबह कोहली देर से उठे, वह दिन उनका हैंगओवर में डूबा रहा। इसी दौरान शीशे में अपने आप को निहारते हुए कोहली ने देखा की उनकी बॉडी फिट नहीं है। वो एकदम तनु वेड्स मनु फिल्म के लीड रोल मनु शर्मा की तरह होते जा रहे थे। एक दम अदरक की तरह जो कहीं से भी बढ़ता है। ठीक वैसे ही उनका शरीर हो रहा था। इससे जो झटका कोहली को लगा उसके बाद कोहली संभल गए। वो शायद आखिरी दिन होगा जब कोहली को अपने फिटनेस की चिंता हुई हो।

कोहली के खाने की बात करें तो उन्होंने पिछले एक साल से रोटी या ब्रेड जैसी कोई चीज नहीं खाई है। वो भारत में रहें या कहीं और उनके खाने की मेज पर सिर्फ एक ही चीज़ होती है साल्मन फिश और लैंब। उनके खाने में कार्बोहाइड्रेट होता ही नहीं है। प्रोटीन के अलावा उनकी डाइट में कुछ नही है। कोहली को जंक फूड खाए तीन साल से ज्यादा बीत चुका है। वहीं कोहली जो पानी पीते हैं वो फ्रांस से एक्सपोर्ट होता है। इस पानी की एक लीटर वाली बोतल 600 रुपए की आती है। वैसे हमें और आपको ये रईसी लग सकती है लेकिन असल में यह एक त्याग के बाद शुरू हुई कोहली की तपस्या है।
Virat Kohli ने ऐसे बनाई जंक फूड से दूरी, आसान नहीं है ऐसा कर पाना
कोहली खुद ही कहते हैं कि अगर कप्तान रहते हुए मैं ही बेंचमार्क सेट नहीं करूंगा, तो कौन करेगा, उनके शुरुआती कोच राजकुमार शर्मा उनके बारे में बताने को बहुत कुछ है। एक इंटरव्यू के अनुसार विराट को बटर चिकन, काठी रोल, मटन रोल और फास्ट फूड बहुत पसंद हुआ करता था। वे कहते हैं कि लोग कोहली की फिटनेस और उनके वर्क एथिक्स की चर्चा करते हैं लेकिन मुझे इसमें उनका त्याग दिखता है और मैं इसकी तारीफ करता हूं। कोहली की तरह अपनी चटोर जुबान पर लगाम कसना हर किसी की बात नहीं है। इतनी कम उम्र में इतना त्याग करना आसान नहीं है। उनके कोच कहते हैं कि कोहली जो करता है, वो आप और हम कुछ दिनों तक तो कर सकते हैं लेकिन इसे लाइफस्टाइल बना लेना बहुत मुश्किल है।
जीभ का स्वाद खोना या इससे बहुत दिनों तक दूरी बनाना हर इंसान के बस की बात नहीं है। मैच के स्टेडियम में समोसा, कोलड्रिंक्स और पॉपकॉर्न का मजा लेते हुए मैच देखना अलग बात है। यह हमारे लिए सिर्फ आनंद की बात होगी। लेकिन एक खिलाड़ी जब मैदान में उतरता है तो उसे कई चीजों का त्याग पहले करना पड़ता है। असल में कोहली आज कई युवाओं के लिए फिटनेश आइकॉन हैं जिनके चटोरपन से सन्यास लेने की कहानी से बहुत कुछ सिखा जा सकता है।