कोरोना वायरस…. चीन के हुबेई की राजधानी वुहान से यह वायरस निकला और अब इसका प्रकोप दुनिया के 31 देशों में फैल गया है। दुनिया भर के लोग चीन से अपने लोगों को वापस बुला रहे हैं और जो वहां जा रहे है उन्हें वहां जाने से मना कर दिया गया है। वहीं चीन से होने वाले व्ययापार पर भी काफी बुरा असर हुआ है। फिर चाहे वो मोबाइल सेक्टर हो या आटो—मोबाइल सेक्टर सब कुछ फिलहाल बंद है। चीन में इस वायरस ने ऐसी महामारी फैलाई है कि अभी तक साढ़े 600 से ज्यादा की मौत हो गई है। वहीं करीब 31 हज़ार से अधिक मामले अब तक सामने आए हैं। गुरूवार को तो एक दिन में 73 लोगों की मौत इसी वायरस की वजह से हुई। चीन को छोड़ दें तो, सबसे बड़ा मामला जापान में इस वायरस से देखने को मिला है। जापान के कई नागरिक चीन गए थे, वे जब कोरोना के डर से वे जापान वापस बुलाए गए हैं लेकिन अब वे सभी एक जहाज में कैद हो गए हैं क्योंकि उनमें से ज्यादात्तर कोरोना से अफेक्टेड हैं। इस जहाज में 2000 से ज्यादा लोग एक हफ्ते से कैद हैं। वहीं भारतीय नागरिकों को भी वापस बुला लिए गए हैं जिनकी टेस्टिंग की जा रही है। इस सब के इत्तर चौकाने वाली ओर रौंगटे खड़े करनेवाली खबर यह आई है कि चीन में इस वायरस से अफेक्टेट 20,000 लोगों को मारने वाला है ताकी इसके संक्रमण को रोका जा सके।
कोरोना वायरस के बारे में सबकुछ

कोरोना वायरस इतने दिनों से न्यूज में है कि हम सब इसकी भयावहता को जान चुके हैं। कहा जा रहा है कि यह वायरस चीन में इंसानों के बीच सांप या चंमगादड़ से फैला है। जब चीन में कोरोना वायरस की खबर को छुपाने की कोशिश हो रही थी तब सबसे पहले दुनिया को चेताने की कोशिश चीनी डॉक्टर ली वेनलियान्ग ने की थी। अफसोस की बात यह है कि उनकी भी मौत इसी वायरस के कारण हो गई। पिछले साल के अंत में यानि दिसंबर महीने में वुहान शहर में अचानक से निमोनिया के पेसेंट्स बढ़ने लगे, पहले तो लगा सिर्फ निमोनिया है लेकिन जब ठीक से जांच हुई तो पता चला इसके पीछे एक वायरस है। जिसे पहले कभी नहीं देखा गया था। इस वायरस को एक नाम दिया गया नोवेल कोरोना वायरस 2019 (nCoV2019)। तब से लेकर हजारों की संख्या में लोग चीन ओर इसके आस पास के देशों में इस वायरस का शिकार हो गए हैं। चीन के बुहान और इसके आस पास के कुछ शहर के लोगों को तो शहर के अंदर ही कैद कर दिया गया है।
दरअसल कोरोना वायरस की एक प्रजाति है, जो इंसानों और जानवरों में सांस से जुड़ी बिमारियां पैदा करते हैं। यह प्रजाति इन्फ्लूएंजा वायरस से अलग होती है। आमतौर पर कोरोना से होने वाली बिमारियां गंभीर नहीं होतीं। लेकिन ये अचानक से बड़ी महामारी फैलाने में माहिर हैं, जैसे कि 2003 में, 2003 में चीन में सार्स (सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) फैला था। वहीं 2012 में मर्स (मिडिल ईस्टर्न रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) का कहर दुनिया ने देखा था और अब 2019 में एन कोव नाम का कोरोना महामारी फैला रहा है। इसके नाम को लेकर आप भी सोचते होंगे कि कोरोना ही क्यों नाम पड़ा तो बता दें कि हर वायरस के बीच में एक जेनेटिक मटेरियल भरा होता है और बाहरी भाग एक एनवेलप की तरह होता है, कोरोना का बाहरी खोल मुकुट (क्राउन) जैसा दिखता है और क्राउन को लैटिन भाषा में कोरोना कहते हैं। तो इसका नाम कोरोना पड़ गया।
लक्षण और बचाव

इस वायरस से बीमारी होने का बड़ा कारण ज्यादा देर तक जानवरों से संपर्क हो सकता है। इसलिए इसे स्पिलओवर वायरस भी कहा जाता है। शुरूआती लक्षणों की बात करें तो दस्त लगना, खांसी आना, सांस लेने में तकलीफ, शरीर में दर्द, बुखार आदि हो सकते हैं। यह बीमारी आदमी को छूने से या आसपास की चीजों से, खांसने तथा छींकने से काफी समय तक जानवरों के संपर्क में रहने और मांस खाने से फैल सकता है। ऐसे में इससे बचने के लिए जरूरी है कि कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
— प्रभावित क्षेत्र में स्क्रीनिंग प्रोटोकॉल पूरा होने के बाद ट्रैवल करें
— बीमार व्यक्ति को घर पर ही आराम करना चाहिए।
— खांसी और छींक के समय नाक को और मुंह ढक लें।
— पब्लिक स्पेश पर संक्रमित चीजों को छूने और बीमार व्यक्ति से मिलने के बाद साबुन से हाथ जरूर धोएं।
— मास्क का प्रयोग करें
— एनिमल प्रोडक्ट जैसे मांस व अंडा आदि से दूर रहें, या खाएं तो अच्छी तरह से पकाकर।
— बिना जरूरत के भीड़ वाली जगहों पर न जाएं।
चीन के साथ ही दुनिया की अर्थव्यवस्था पर खतरा
चीन में इस वायरस के चलते पर्यटकों की संख्या घट गई है। इसका सीधा असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है, जो पहले से ही सुस्ती के दौर में है। रूस ने चीन के साथ अपने पूर्वी बॉर्डर को ही फिलहाल बंद कर दिया है। वहीं चीन से होने वाले कई तरह के व्यापार भी बंद हो गए हैं। वहीं कोरोना को फैसलने से रोकने में लगे चीन को अपनी इकोनॉमी में नुकसान को झेलना पड़ रहा है। वुहान और इसके आस पास की जगहों से आवाजाही बंद है। जहां 1 करोड़ से ज्यादा लोग रहते है, ऐसे में बिजनेस भी बंद हो गया है। चीन में जनवरी से लेकर मार्च तक का महीना काफी भीड़ वाला होता है क्योंकि यह चीनी न्यू ईयर का महीना होता है, लेकिन वायरस का प्रकोप ऐसा है कि सड़के खाली हैं।
सिर्फ चीन की इकोनॉमी ही कोरोना वायरस से प्रभावित नहीं हुई है। बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर भी इसका असर हुआ है। आइकिया और स्टारबक्स ने अपने ऑपरेशन सेंटर वहां बंद कर दिए हैं। इंटरनेशनल होटलों को पेमेंट लौटाने पड़ रहे हैं, हुंडई ने फिलहाल अपने पार्ट चीन से मंगाना बंद कर दिया है। बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक्स और मोटर व्हीकल्स के पार्ट्स का चीन बड़ा सप्लायर है। वहीं कई बड़ी कंपनियों के मोबाइल और कम्प्यूटर पार्ट्स चीन में बनते हैं। खुद चीन के कई थिंक टेंक इस बात को कह रहे हैं कि कोरोना के कारण तीन महीनों में इकोनॉमी ग्रोथ 5 प्रसेंट ही रहेगी। बात भारत की करें तो भारत के संग भी चीन का अच्छा खासा व्यापारिक संबंध है। भारत से चीन सबसे ज्यादा कॉटन खरीदता है। उम्मीद थी कि इस महीने भारत चीन को पांच लाख गांठ कॉटन निर्यात करेगा लेकिन अब यह इसमें कमी की संभावना जताई जा रही है। बता दें कि 2003 में जब सार्स महामारी फैली थी तो ग्लोबल इकोनॉमी को 30 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था, ऐसा ही कुछ अनुमान इस बार भी लगाया जा रहा हे।
कोरोना से इन्हें हो रहा है फायदा

वैज्ञानिकों का मानना है बुहान शहर के समुद्री जीवों को बेचने वाले बाजार से ही कोरोना वायरस फैला है। इन बाजारों में खास तौर पर जंगली जीव जैसे सांप और साही की अवैध बिक्री होती थी। ऐसे जानवरों का यहां पिंजरे में रखा जाता था और खाद्य पदार्थ के तौर पर इनका इस्तेमाल होता था। चीन दुनिया का सबसे बड़ा जंगली जानवरों का खरीददार है फिर चाहे वो वैध हो या अवैध। लेकिन कोरोना वायरस के कारण फिलहाल इस सब पर बैन लग गया है। आम तौर पर हम और आप चीनी लोगों के खाने को लेकर काफी बात करते हैं कि वहां के लोग तो हर जानवर को खा जाते हैं। चीन में सांप, चमगादड़, बाघ, कुत्ता बिल्ली और न जाने क्या—क्या खाने की परंपरा है। यहां के रेस्तोरां में कई तरह के जानवरों के सूप मिलते हैं जिसमें बाघ के अंडकोश और कई बार साबूत चमगादड़ भी सर्व किए जाते हैं। दरअसल चीन के घर—घर में आपको ‘जंगली स्वाद’ नाम का एक वर्ड आपको सुनने को मिलेगा, जिसका मतलब जानवरों को खाने से है।
खाने के अलावा यहां दवाइयों में भी जानवरों के हिस्से मिलाए जाते हैं। जानवरों की इसी डिमांड के कारण इसका वैध या अवैध कारोबार बहुत अधिक है। पैंगोलिन जानवर चीन से इसी कारण लुप्त हो गया। लेकिन कोरोना वायरस के फैलने ने जानवरों के अवैध व्यापार दुनिया के सामने फिर से एक्सपोज हो गया है। दुनिया में जानवरों का अवैध व्यापार 20 अरब डॉलर का है। ऐसे में कोरोना के संक्रमण को कई एनिमल एक्टिविस्ट एक अवसर के रुप में देख रहे हैं।
दरअसल इंसानों के बीच फैलती नई—नई बिमारियों का सबसे बड़ा कारण है, इंसानों के अंदर की इच्छा। जो उसे अब जानवरों की निजी जिंदगी में दखल देने तक ले जा चुकी है। हम कही न कहीं अब बड़े स्तर पर प्रकृति को डिसबैलेंस करने में लगे हैं। आपको तो यह बात पता ही होगी कि 71 लाख से ज्यादा जानवरों की प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है, इसका एक बड़ा कारण इंसानों कें हर तरह के व्यवहार में आए परिवर्तन के कारण है जिसमें खाप—पान सबसे अहम है। शायद इसलिए हमारी भारतीय विचारों में बताया गया है — ‘अन्नमयं हि सोम्य मनः’ मतलब ‘जैसा अन्न वैसा मन। इस कथन का मर्म आज दुनिया के लोगों को समझने की जरूरत है।