कोरोना महामारी, कोरोना काल, कोविड-19, कोरोना वायरस….न जानें कितनों नामों से मशहूर हो चुका ये वयारस अब तक लाखों लोगों की जान ले चुका है. अभी भी इस वायरस के चलते लाखों से अधिक की संख्या में लोग इससे पीड़ित हैं. भारत में भी इन दिनों बढ़ रहे आँकड़ों के चलते सरकारों से लेकर हर इंसान के मन में भय दिखाई दे रहा है. यही वजह है कि, 14 अप्रैल को खत्म होने वाले लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाकर अब 3 मई कर दिया गया है. ताकि कोरोना वायरस पर रोक लगाई जा सके.
वहीं इन सबके दौरान ऐसे कई जिलें और ऐसे कई लोगों की तस्वीर हर इंसान ने देखी है. जिन्होंने इस महामारी से निपटने में अपनी अनोखी तस्वीर पेश की है. इसी तरह लद्दाख में रहने वाली दो नर्सें इन दिनों हर तरफ चर्चा का विषय बन गयी हैं. जिन्होंने कोरोना को मात देने की खातिर लोगों में ऐसी हिम्मत भरी की लद्दाख में इन दिनों कोरोना अपना अंतिम चरण में चल रहा है. यही वजह है कि, इन दिनों नर्सों की तरीफा हर तरफ हो रही है.
लद्दा के सबसे बड़े सोनम नारबू मेमोरियल अस्पताल में तैनात दो नर्स यंगचम स्कूरबुचान और गमो लिकिर कोरोना के मरीजों में जाने वाली पहली कर्मचारी बनी. वहीं एक समय तक बढ़ते कोरोना वायरस के मरीज़ों के चलते हर कोई जब भाग खड़ा हुआ तो, इन दिनों नर्सों ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए कोरोना पीड़ित लोगों की हिम्मत बढ़ाई.
कोरोना से डरे नहीं, इसे डराकर भगाएं

इन दोनों नर्सों ने कोरोना वार्ड में जानें के बाद एक ऑडियो संदेश जारी किया, जिसमें इस लड़ाई में लोगों का हौसला बढ़ाने के साथ, इन दोनों नर्सों ने सभी का दिल जीत लिया. वो कहती हैं कि, जिस वक्त कोरोना मरीज अस्पताल में पहुंचे थे. हर तरफ ड़र का माहौल बन गया था. कोई वहाँ नहीं जाना चाहता था. हमारे घर के भी परिवार वालों ने हमें मना किया था. लेकिन हमने अपनी जिम्मेदारी समझी और आज हम इसे पूरी तरफ निभा रहे हैं.
पाँच साल के बच्चे की माँ यंगचम का कहना है कि, हम पूरा दिन कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे हुए हैं. यही वजह है कि, यहाँ अब तक 17 मरीजों में से 11 मरीज पूरी तरह ठीक हो चुके हैं. जिसके चलते उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है. यही नहीं आज हमारे साथ यहां के लोगों की हिम्मत के चलते ही, पिछले 16 दिनों से यहाँ एक भी मामला सामने नहीं आया है. बाकी जो मरीज बचे हैं उन्हें भी जल्द छुट्टी मिल जाएगा.

वहीं दोनों नर्सों की मिसाल बताते हुए. अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेट कहते हैं कि, दोनों नर्स इलाज के लिए आगे आई. उन्होंने एक मिसाल कायम की है. यही नहीं इन दोनों ने स्टाफ के अन्य सदस्यों के अंदर भी अनोखा विश्वास जगाया है. इन दोनों ने जहाँ लोगों को इस बीमारी से बचने की सलाह दी, वहीं लोगों को इससे प्रेरित भी किया. इसलिए दोनों प्रशंसा की हकदार हैं.
लॉक डाउन में बरती जाए सख्ती
देश में जहाँ कई जिलों और जगहों पर हाट स्पॉट बनाया गया है, वहीं पिछले कुछ दिनों में कोरोना के आंकड़ों में काफी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. यही वजह है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर रोक लगाने के लिए आने वाले एक हफ्ते तक लॉकडाउन पर और सख्ती बरतने का फैसला लिया है. ताकि देश में बढ़ रहे इस वायरस को रोका जा सके.